मुख्तार अंसारी की मौत के बाद पूरे यूपी में हाई अलर्ट

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गाजीपुर समेत पूरे यूपी में धारा 144 लागू

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी की गुरुवार देर रात मौत हो गई। जेल की बैरक में मुख्तार अंसारी की तबीयत खराब होने पर जेल प्रशासन रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज ले आया, जहां उसकी हालत गंभीर बताई जा रही थी। सूचना मिली कि मुख्तार को आईसीयू से सीसीयू में भर्ती करना पड़ा। यहां मुख्तार के इलाज में 9 डॉक्टरों की टीम लगाई गई। हालांकि, मुख्तार की जान नहीं बच सकी।

मुख्तार अंसारी की मौत के बाद अस्पताल प्रशासन ने मेडिकल बुलेटिन जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि 28 मार्च, गुरुवार को 8:25 बजे सिद्धदोष/विचाराधीन बंदी मुख्तार अंसारी पुत्र सुभानल्लाह उम्र लगभग 63 वर्ष को जेल कर्मिकों द्वारा रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज, बांदा के आकस्मिक विभाग में उल्टी की शिकायत एवं बेहोशी की हालत में लाया गया था.

1999 में मुख्तार अंसारी केंद्रीय कारागार की बैरक संख्या पांच में बंद था। तत्कालीन डीएम आरके तिवारी, एसएसपी सुबेश कुमार सिंह के साथ 18 मार्च 1999 पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों ने छापा मारा था। अंसारी की बैरक से बुलेटप्रूफ जैकेट, मोबाइल और सिम आदि बरामद किया था। इंटर स्टेट गैंग 191 का सरगना मुख्तार अंसारी 25 अक्टूबर, 2005 से जेल में निरुद्ध था। पुलिस उसके गिरोह के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है। उसके सहयोगियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। उनकी संपत्ति को भी ध्वस्त व जब्त किया गया।

1995 में जेल से छूटने के बाद गाजीपुर जनपद के युसुफपुर मुहम्मदाबाद निवासी मुख्तार अंसारी ने मऊ में अपना अड्डा जमा लिया था। बहुजन समाज पार्टी में शामिल होने के साथ ही मऊ में बड़ी रैली निकाल ताकत का एहसास करा मुख्तार 1996 में विधायक बन गया था। फिर 2002 में फिर विधायक चुने जाने के तीन वर्ष बाद यानी मुख्तार ने 2005 में मऊ दंगे से रक्तरंजित शुरुआत की थी।

माफिया मुख्तार अंसारी की गुरुवार की शाम हार्ट अटैक के बाद मौत हो गई। बांदा जेल में बंद मुख्तार की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। इलाज के दौरान मुख्तार अंसारी ने दम तोड़ दिया। प्रशासन की ओर से मौत की पुष्टि कर दी गई है। पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक पूरे उत्तर प्रदेश में एहतियातन धारा 144 लागू कर दी गई है। मऊ, गाजीपुर और बांदा में सुरक्षा बलों को अलर्ट रहने कहा गया है।

मुख्तार अंसारी की इस सप्ताह दूसरी बार तबीयत बिगड़ी थी। पहली बार चेकअप के बाद वापस जेल भेजा गया था, जहां गुरुवार को फिर तबीयत खराब हो गई। चेकअप में हार्ट अटैक की आशंका के बाद एंबुलेंस से मेडिकल कॉलेज ले जाया गया था। मुख्तार अंसारी की मौत के बाद मेडिकल कॉलेज को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। पुलिस-प्रशासन के कई अधिकारी मौके पर हैं।

बतादें कि इससे पहले मुख्तार की सोमवार रात हालत बिगड़ी थी, जिस पर जिला अस्पताल से तीन डॉक्टर बुलाए गए थे। पेट दर्द और फूलने की शिकायत के साथ मोशन नहीं हो रहा था। रात पौने चार बजे उसे मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। यहां 14 घंटे आईसीयू में रखने के बाद मंगलवार शाम सवा छह बजे डिस्चार्ज कर दिया गया था। इसके बाद उसे फिर से जेल में शिफ्ट कर दिया गया था।

बुधवार दोपहर मुख्तार की फिर हालत बिगड़ी तो जिला अस्पताल से डॉक्टर बुलाए गए। एनिमा आदि लगाने के बाद मुख्तार को राहत मिली। गुरुवार दोपहर को मुख्तार को अचानक पेट और सीने में दर्द की शिकायत हुई। इस पर जिला अस्पताल से फिर डॉक्टर बुलाए गए। शाम करीब आठ बजे मुख्तार के सीने में तेज दर्द हुआ और उसकी हालत बिगड़ गई। बताया जा रहा है कि उसे हार्ट अटैक पड़ा है। मेडिकल कॉलेज में उसका इलाज किया जा रहा है।

मुख्तार के भाई अफजाल ने लगाया था साजिश का आरोप

बांदा जेल में बंद मुख्तार की तबीयत खराब होने पर उनके भाई अफजाल अंसारी ने मारने का आरोप लगाया था। मीडिया से बातचीत के दौरान अफजाल ने कहा था कि मुख्तार को मारने की साजिश कई सालों से रची जा रही है। अफजाल ने कहा था कि एक बार गाजीपुर में ही बम बनाते समय विस्फोट हो गया, जिसमें एक मौत भी हो गई थी। दिल्ली पुलिस ने एक अपराधी को पकड़ा था जिसने कबूल किया था कि उसे पांच करोड़ रुपये मुख्तार को उड़ाने के लिए दिए गए थे। इसके अलावा भी कई घटनाएं हैं जिसमें मुख्तार को मारने की कोशिश की गई।

सांसद ने कहा था कि यह सब बृजेश सिंह को बचाने के लिए किया जा रहा है। क्योंकि 2001 में उसरी चट्टीकांड में मुख्तार पर हुए हमले में बृजेश सिंह व त्रिभुवन सिंह के खिलाफ कोर्ट में मामला चल रहा है। इन लोगों को सजा न हो, इसके लिए घटना के 22 साल बाद मुख्तार और उस केस में शामिल गवाहों के खिलाफ केस दर्ज किया गया। सरकार जानती है कि उसरी चट्टीकांड के केस में अगर बृजेश को बचाना है तो मुख्तार को खत्म करना होगा। मुकदमे में गवाही देने से पहले मुख्तार को मारने की साजिश है।

कोर्ट से अपनी जान की सुरक्षा की कई बार गुहार लगा चुका था मुख्तार

बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी पर गैंगेस्टर के कई मुकदमे चल रहे हैं। मुख्तार को हमेशा ही अपनी जान जाने का खतरा सताता रहता था। इसी के चलते वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेशी पर आता था। इस दौरान मुख्तार कोर्ट से जान का खतरा बताते हुए कई बार सुरक्षा की गुहार भी लगा चुका था। आठ दिन पहले बाराबंकी की एमपी एमएलए कोर्ट में माफिया मुख्तार अंसारी को पेश होना था, हालांकि वह पेश नहीं हुआ था। उसने अपने वकील के माध्यम से कोर्ट में पत्र दाखिल किया। मुख्तार ने कोर्ट में दाखिल पत्र में अपने खराब स्वास्थ्य का हवाला दिया था। मुख्तार ने कहा था कि जेल में उसे खाने में जहर देकर मारने का प्रयास किया गया है। जहर के कारण हालत काफी गंभीर है। पूरे शरीर के नसों में दर्द हो रहा है। बांदा जेल में जान का खतरा बताते हुए उसने मेडिकल बोर्ड का गठन कर बेहतर इलाज का अनुरोध किया था।

कोर्ट को दिए पत्र में लिखी थी जहर देने की बात

मुख्तार अंसारी ने अधिवक्ता रणधीर सिंह सुमन के माघ्यम से न्यायालय में एक प्रार्थना पत्र दिया था। जिसमें मुख्तार ने कहा था कि बांदा जेल में बीते 19 मार्च को जो उन्हें भोजन दिया गया था उसमें जहर मिला था। भोजन करने के बाद प्रार्थी की हालत बहुत ही खराब हो गई। हाथ पैर ही नहीं पूरे शरीर की नसों में दर्द है, ऐसा लगता है कि उसकी मृत्यु हो जाएगी। उसने कहा कि इस घटना के 40 दिन पहले भी उसे खाने में विषाक्त पद्वार्थ मिला कर दिया गया था। उसे जेल स्टाफ द्वारा खाना टेस्ट करके दिया जाता था। उक्त खाना खाने वाले जेल कर्मचारी भी बीमार हुए थे। मुख्तार ने बांदा जेल में जान का खतरा बताते हुए कहा कि उसके साथ कोई भी अनहोनी हो सकती है।

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