उस समय गंगा-यमुना की तहजीब कहाँ चला गई थी?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

“चुप रहो तुम…आखिर इंसानियत भी कोई चीज़ होती है..!!” रामनाथ कौल गुस्से में चीख पड़े थे शन्नो की माँ पर।
दबी जबान में शन्नो की माँ रामरती ने कहा,”तुम कुछ भी कहो जी, पर आसार ठीक नहीं लग रहे…! कल ही रामबाग में वो अपने ग्रंथी जयराम सिंह की नई ब्याही दुल्हन संतो को दिन दहाड़े उठा ले गए वो…!”

“अरे….!! उन्होंने भी कुछ किया होगा, तभी ले गए होंगे…!! फिर रामबाग यहाँ से सात कोस दूर है, उनके चक्कर में हम यहाँ को स्यापा करें,यहाँ सब अमन चैन है, चिंता की कोई बात नहीं..” कहते कहते बाहर निकल गए रामनाथ कौल।

पिछले सात दिन से पूरी घाटी में चुपचाप जहर और मौत बरस रही थी, लोग गठरी बाँधे झुंड के झुंड जाते दिखाई दे रहे थे। मर्दों के झुके बोझिल कंधे, भरी आँखे..फटती छाती बता रही थी कि क्या हुआ होगा…!! क्यों इस झुंड में उतनी बेटियां, बहने, माँ या पत्नी नही है..!!

गली में अपनी दुकान में बैठे रामनाथ कौल के साथ ही बैठे शकील ने उनके कंधे थपथपाए…
“कौल भाई… खुदा न करे हम पर कोई आफत आती तो तुम हमे छोड़ देते क्या…?? हम सदियों से साथ रहते आए हैं, आज तुम्हें हम छोड़ देंगे क्या..??

तभी शकील की बीबी रहीमन बोली” कौल भाई… ममता, शन्नो, कंचन क्या हमारी बेटियां नही है… अपनी गोद में पली बढ़ी है वो, उनकी और रामरती बहन की बिल्कुल भी चिंता ना करें आप..,आग लगे इन जाहिलों को…जो अल्ला के नाम से ऐसे जबरजिनाह कर रहे..!”

रात में घर आते ही रामरती पति को पकड़ कर फफक पड़ी। तीनो बेटियां सहमी सहमी खड़ी थी…
“क्या हुआ… आखिर कुछ बताओगी भी शन्नो की माँ..??”
“साँप आखिर साँप ही होता है ना…!! आज डंस ही लिया ना आख़िर..!”
“अरे साफ साफ बोलो ना हुआ क्या..?”
“सुन सकते हो तो सुनो…आज ही शकील भाई के बड़े भाई साहब, आये थे, शन्नो का हाथ माँग रहे थे….!”
“क्या……? चीख पड़े रामनाथ।
“हाँ… मैंने कहा भाई साहब आप इस पोते पोती वाली उमिर में ये क्या बोल रहे हैं, शन्नो आपकी पोती की सहेली है…!”
“तो क्या हुआ बीबी….आज दीन अपने शबाब पर है… आज मुसल्लम होने का ईनाम फरमाया गया है हमें, एक शन्नो दे दो…तो बाकी की जान बचाने की कोशिश करूँगा…!!”
“आप क्या बोल रहे हैं भाई साहब…. रहीमन बहन… तुम क्यो नही समझा रही इन्हें….!! शन्नो तुम्हारी बेटी सी नही है क्या…?”

पान चबाते हुए…रहीमन ने झटका दिया रामरती को ,” काफ़िर से रिश्ता कैसा…!! काफ़िर मर्द काटने के लिए और काफ़िर औरत लूटने के लिए होती है बस…!!”

“दीने-*स्लाम ने आज ही जन्नत बख्शा है अपने जिहादियों को….फिर भी एक बेटी के बदले दो बेटी और एक माँ को बचाने का सौदा बुरा तो नहीं…,कहे देती हूँ.. कल तक शन्नो और भाई साहब का निक़ाह हो जाना चाहिए नही तो खुदा का खौफ़ बरसेगा…!! ”

सुबकते हुए रामरती पूछती है “अब क्या होगा हमारा… हमारी बच्चियों का….?”

रामनाथ मानो पत्थर हो चुके थे… अभी थोड़ी देर पहले ही शकील भाई और रहीमन बहन दुकान पर कितना हौसला दे रहे थे….!! और थोड़ी देर में ही क्या हो गए वो..!!”

रात होते होते… पूरी गली जिहादी दंगाइयों से भर गई। कंचन ने छत से देखा, उसके दुकान का ताला तोड़कर कर सारा सामान लूटा जा रहा है….!! सभी घर के एक कोने में एक दूसरे से चिपके सहमे खड़े थे।

रामनाथ एक कटार लिए खड़ा था, तभी सबसे छोटी बेटी ममता आकर बाप के पैरों से लिपट गई, रोते रोते बोली,” पापा,” मरने से पहले हमें मार देना… हम जानवरों के हाथ ना लगे….,हम बिल्कुल भी नही रोएँगे, हमे मार कर फिर मरना…”

बाप बस बेटी को ख़ुद से चिपकाए बिलखता रहा।

तब तक साथ के घरों में आग लगाई जा चुकी थी। सुरेखा की अम्मा को घसीट रहे थे दंगाई, खिड़की की छेद से देखा रामनाथ ने, वही शकील हाथ में तलवार लिए, एक झटके में उसके दोनों स्तन काट कर हवा में उछाल दिया, मानो अपने शैतानी आसमानी आका को भेंट चढ़ाया हो।

दर्जनों हैवान फिर टूट पड़े सुरेखा पर भी, माँ खून में लथपथ अपनी बेटी को लुटती देखती रही, मरने के बाद लाश के साथ भी दर्जनों बार बलात्कार होता रहा उस बच्ची के साथ।

रामनाथ देख नही सके….!! पर अब किया क्या जा सकता है, क्या शन्नो को …!! नही…..शन्नो को ऐसे भेड़ियों के हवाले कैसे कर सकते हैं वो।
तभी गेट पर आवाज़ आई…. पागल भीड़ अब इनके दरवाज़े पर थी।
अल्लाह हो अकबर की शोर में दरवाज़े को आग लगा दी गई। हाथ में कटार मजबूती से थामे रामनाथ देख रहे थे, तीनो बेटी माँ के साथ उनसे आकर चिपट गई थी, तभी धड़ाक से खिड़की तोड़कर कर कोई अंदर दाखिल हुआ।

इससे पहले की वो रामनाथ पर गोली चलाता, रामनाथ का कटार काम कर गया, वो बिना सिर के गिर पड़ा। रामनाथ ने उसकी पिस्टल उठा ली। एक बार पिस्टल को देखा फिर बाहर खड़ी सैंकड़ो की जिहादी भीड़ को देखा….!! बाहर सुरेखा की लाश को अब भी कोई “दीन” वाला दीनदार नोच रहा होगा, सुरेखा की माँ के कटे स्तन लुढ़क रहे होंगे…..!!

कुछ ही पल में निर्णय कर लिया उसने, सब एक साथ किचन में गए, पांचों एक दूसरे से चिपक कर एक दूसरे को जी भर देखा, एक दूसरे को प्यार किया, सब को छाती से लगाकर , पिता ने झटके में ही चार फायर किया और माँ समेत तीनो बेटियां ईश्वर को प्यारी हुई, गैस की पाइप काट कर मोमबत्ती जलाया और गैस सिलेंडर तक आग पहुंचे उस से पहले खुद के सिर पर पिस्टल रख कर ट्रिगर दबा दिया, सिलेंडर के धमाके में उसकी चीख दब कर रह गई।

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