प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का क्यों विस्तार किया गया है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारतीय प्रधानमंत्री ने अतिरिक्त पाँच वर्षों के लिये प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के विस्तार की घोषणा की है।

  • PMGKAY को सर्वप्रथम वर्ष 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान पेश किया गया था और इसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 (NFSA) के तहत पात्र राशन कार्ड धारकों को प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम मुफ्त खाद्यान्न प्रदान करने के लिये डिज़ाइन किया गया था।
  • प्रारंभ में यह योजना दिसंबर 2022 में समाप्त होने वाली थी, फिर इसे दिसंबर 2023 तक बढ़ा दिया गया था और अब इसे अतिरिक्त पाँच वर्षों के लिये आगे बढ़ा दिया गया है।
  • इस योजना के आरंभ होने के बाद से सरकार ने 3.9 लाख करोड़ रुपए की लागत से अपने केंद्रीय खरीद पूल से 1,118 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न आवंटित किया है।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013:

  • परिचय: 
    • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, (NFSA) 2013 खाद्य सुरक्षा की पहुँच के लिये कल्याण से अधिकार आधारित दृष्टिकोण में एक आदर्श बदलाव का प्रतीक है।
  • लाभार्थी: 
    • यह अधिनियम कानूनी तौर पर ग्रामीण आबादी  के 75% और शहरी आबादी के 50% को लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने का अधिकार देता है।
      • इस प्रकार इस अधिनियम के अंतर्गत अत्यधिक सब्सिडी/सहायिकी वाले खाद्यान्न के आबंटन के लिये लगभग दो तिहाई आबादी को कवर किया जायेगा।
    • इसमें राशन कार्ड धारकों की दो श्रेणियाँ शामिल हैं: अंत्योदय अन्न योजना (AAY) एवं प्राथमिकता वाले परिवार (PHH)
      • महिला सशक्तीकरण की दिशा में एक कदम के रूप में, इस अधिनियम के तहत राशन कार्ड जारी करने के उद्देश्य से घर की 18 वर्ष अथवा उससे अधिक उम्र की महिला को परिवार का मुखिया होना अनिवार्य है।
  • प्रावधान:
    • इस कार्यक्रम के तहत AAY के लाभार्थी परिवारों को प्रत्येक माह 35 किलोग्राम खाद्यान्न दिये जाने का प्रावधान है, चाहे परिवार के सदस्यों की संख्या कुछ भी हो।
    • प्राथमिकता वाले परिवारों को परिवार के सदस्यों की संख्या के आधार पर खाद्यान्न मिलता है, जिसमें प्रत्येक सदस्य को प्रति माह 5 किलोग्राम खाद्यान्न मिलता है।
  • PMGKAY एवं NFSA का एकीकरण:
    • जनवरी 2023 में PMGKAY को NFSA के साथ एकीकृत किया गया, जिसके परिणामस्वरूप AAY एवं PHH परिवारों के लिये सभी राशन निशुल्क उपलब्ध कराए गए।
    • इस एकीकरण ने PMGKAY के निशुल्क राशन कारक को NFSA में शामिल कर कोविड-19 महामारी के दौरान पेश किये गए अतिरिक्त प्रावधानों को समाप्त कर दिया

PMGKAY के विस्तार के क्या प्रभाव होंगे?

  • सकारात्मक प्रभाव:
    • तत्काल खाद्य सुरक्षा आवश्यकताओं का समाधान करना: यह विस्तार निम्न-आय वाले परिवारों को राहत प्रदान करता है, आवश्यक खाद्य आपूर्ति तक निरंतर पहुँच सुनिश्चित करता है, और तत्काल खाद्य सुरक्षा चिंताओं का समाधान करता है।
      • यह विस्तार आर्थिक संकट अथवा प्राकृतिक आपदाओं के दौरान सुरक्षा जाल के रूप में कार्य करता है, अप्रत्याशित कठिनाइयों का सामना करने वाले व्यक्तियों को त्वरित सहायता प्रदान करता है एवं आपात स्थिति के दौरान बुनियादी जीविका की गारंटी देता है।
    • ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना: योजना के लिये खाद्यान्न की खरीद स्थानीय किसानों व कृषि समुदायों को सहायता प्रदान करती है, जिससे ग्रामीण आर्थिक विकास और स्थिरता में योगदान मिलता है।
    • सामाजिक सामंजस्य: यह कार्यक्रम सामुदायिक कल्याण की भावना को बढ़ावा देता है, जहाँ सरकार की पहल यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी भूखा न रहे, यह विस्तार सामाजिक एकजुटता एवं ज़रूरतमंद लोगों के प्रति सामूहिक ज़िम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देता है।
  • नकारात्मक प्रभाव:
    • दीर्घकालिक राजकोषीय एवं आर्थिक चिंताएँ कार्यक्रम के विस्तार के साथ अत्यधिक  वित्तीय व्यय का कारण हो सकती हैं।
      • समय के साथ खरीद व्यय बढ़ने से लागत में वृद्धि हो सकती है, जिससे सरकार के बजट पर बोझ पड़ सकता है।
      • यदि योजना के विस्तार के साथ-साथ राजस्व वृद्धि में भी कमी हो रही है तो इससे राजकोषीय घाटा बढ़ सकता है।
    • बाज़ार की गतिशीलता में विकृति: निशुल्क मिलने वाले अथवा अत्यधिक छूट प्राप्त करने वाले खाद्यान्न वितरण से विस्तारित कार्यक्रम बाज़ार की गतिशीलता को परिवर्तित कर सकता है, साथ ही यह कृषि उद्योग को भी प्रभावित कर सकता है तथा मूल्य विकृतियों का कारण भी बन सकता है।
    • निर्भरता तथा स्थिरता के मुद्दे: मुफ्त खाद्यान्न वितरण जारी रखने से लाभार्थियों में इस खाद्यान्न पर निर्भरता में वृद्धि हो सकती है, जिससे आत्मनिर्भरता अथवा वैकल्पिक आजीविका प्रयासों की इच्छा कम हो सकती है।
      • गरीबी एवं भुखमरी को दूर करने के लिये सरकारी सहायता पर निर्भर रहना कोई स्थायी, दीर्घकालिक समाधान नहीं हो सकता है।
    • प्रतिस्पर्धी लोकलुभावनवाद तथा नीतिगत स्थिरता: इस विस्तार से राजनीतिक दलों के मध्य प्रतिस्पर्धी लोकलुभावन उपाय हो सकते हैं, जो अस्थिर नीतियों को लागू कर सकते हैं और साथ ही  सार्वजनिक वित्त पर भी दबाव डाल सकते हैं।

आगे की राह:

  • अल्पावधि के उपाय: 
    • खाद्यान पहुँच के लिये डिजिटल वाउचर का उपयोग: ई-रुपी का उपयोग विशेष रूप से आवश्यक खाद्य पदार्थों की खरीद के लिये डिजिटल वाउचर के रूप में किया जाता है।
      • सरकार लक्षित लाभार्थियों को ई-रुपी वाउचर आवंटित कर सकती है, यह सुनिश्चित करते हुए कि धन का उपयोग केवल पौष्टिक खाद्यान खरीदने के लिये किया जाएगा।
    • क्राउडसोर्स्ड डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क: प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्म या ऐसे ऐप विकसित करना जो घरों, रेस्तरां तथा सुपरमार्केट से ज़रूरतमंद लोगों तक अतिरिक्त या बर्बाद होने वाले भोजन के वितरण की सुविधा प्रदान कर सकें।
      • इसमें अतिरिक्त भोजन की पहचान करने तथा इसे ज़रूरतमंद लोगों तक कुशलतापूर्वक वितरित करने में सामुदायिक भागीदारी शामिल होगी।
  • दीर्घकालिक उपाय: 
    • आर्थिक सशक्तीकरण कार्यक्रम: पर्पेचुअल हैंडआउट्स के बजाय उन कार्यक्रमों में निवेश करने की आवश्यकता है जो व्यक्तियों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाते हैं।
      • इसमें लोगों को आत्मनिर्भर बनने में मदद करने के लिये कौशल विकास, नौकरी प्रशिक्षण एवं उद्यमशीलता के अवसर शामिल हो सकते हैं।
    • सब्सिडी में धीरे-धीरे कमी: निशुल्क राशन कार्यक्रम को अचानक बंद करने के बजाय, धीरे-धीरे सब्सिडी में कमी करके इसे समाप्त करें तथा साथ ही अन्य सहायता प्रणालियों को लागू करें। इससे अभावग्रस्त जनसंख्या और अर्थव्यवस्था को अचानक लगने वाले झटके से बचने में मदद मिल सकती है।
    • निशुल्क राशन कार्यक्रम को अन्य सहायता प्रणालियों के कार्यान्वयन के साथ धीरे-धीरे बंद किया जाना चाहिये, न कि अचानक रोक देना चाहिये। इससे सुभेद्य आबादी एवं अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।
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