गोवर्धन पूजा पर श्रीकृष्ण को क्यों लगाया जाता है अन्नकूट का भोग

गोवर्धन पूजा पर श्रीकृष्ण को क्यों लगाया जाता है अन्नकूट का भोग

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow

गोवर्धन पूजा दीवाली के अगले दिन मनाई जाती है। लेकिन इस बार सूर्य ग्रहण लगने के कारण गोवर्धन पूजा की तारीख टल गई है। सूर्यग्रहण के कारण गोवर्धन पूजा कल मनाई जाएगी। इस त्योहार को मनाने की पीछे भी एक महत्वपूर्ण पौराणिक कथा है। वैसे सारे पूजा-पाठ मंदिर में चौकी लगाकर की जाती है गोवर्धन पूजा की विधि बहुत ही अलग होती है। तो चलिए आपको बताते हैं कि गोवर्धन पूजा क्यों मनाई जाती है…

PunjabKesari

गोवर्धन पूजा की कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार इंद्र देवता ने अपने घमंड के कारण ब्रज में भारी बरसात की थी। उनकी इतनी भारी बरसात करने के कारण ब्रजवासी परेशान हो गए थे। ब्रजवासियों ने अपनी रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण से गुहार लगाई थी। इसके बाद श्रीकृष्ण ने कनिका उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाई और सारे गोकुलवासियों की इंद्र से रक्षा की। इसके बाद इंद्र का घमंड टूट गया। इसी के बाद ब्रज समेत कई सारे देशों में गोवर्धन पूजा की जाती है। इसे ही गोवर्धन पूजा कहते हैं।

PunjabKesari

सालभर बनेगी श्रीकृष्ण की कृपा

ऐसा माना जाता है कि यदि पूरे विधि-विधान से गोवर्धन भगवान की पूजा की जाए तो सारा साल भगवान श्रीकृष्ण की कृपा आप पर बनेगी। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की सच्चे दिल से अराधना करें। गोवर्धन पूजा वाले दिन 56 या 108 तरह के व्यंजन भी श्रीकृ्ष्ण को भोग के रुप में लगाए जाते हैं।

अन्नकूट का लगता है भोग

गोवर्धन पूजा के दिन पूजा के साथ-साथ विभिन्न व्यंजनों का भी श्रीकृष्ण भगवान को लगता है। इस दिन मुख्य तौर पर कड़ी चावल और बाजरा बनाया जाता है। इसे अन्नकूट भी कहते हैं। माना जाता है कि जब श्रीकृष्ण और बाकी वृदांवनवासी गोवर्धन पर्वत के नीचे आ गए थे, तब उन्होंने इस पर्वत के नीचे सात दिन बिताए थे। इन सात दिनों में सभी ने अपने साथ खाद्य सामग्री और अन्न को मिलाकर खाना खिलाया। इन्हीं में से एक अन्नकूट भी था।

अन्नकूट का स्वाद इतना अच्छा था कि श्रीकृष्ण इसे खाने के लि ललचाते थे। इसी के बाद अन्नकूट प्रसाद के रुप में गोवर्धन पर्वत को भोग लगाया जाने लगा। श्रीकृष्ण ने स्वंय ही इसे अपने प्रिय प्रसाद के रुप में हर साल गोवर्धन पूजा करके भोग लगाकर अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी थी।

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा का त्योहार मनाया जाता है। हर साल दिवाली के अगले दिन यह त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन इस बार सूर्य ग्रहण के कारण गोवर्धन पूजा आज यानी दिवाली के अगले दिन नहीं मनाई गई।  27 साल बाद ऐसा हुआ है कि गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन नहीं मनाई गई है। यह पूजा 26 अक्टूबर यानी कर मनाई जाएगी। दीवाली के चौथे दिन गोवर्धन पूजा का त्योहार धूमधाम से मनाया जाएगा।

1995 के बाद इस साल हुआ ऐसा

ज्योतिषाशास्त्र के अनुसार, ऐसी स्थिति पूरे 27 साल बाद बनी है। यहां दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा नहीं मनाई गई। आज पूरे भारत में साल का अंतिम सूर्य ग्रहण लगा है। दिवाली पूजा पर सूर्यग्रहण का कोई असर नहीं दिखाई दिया। वहीं दूसरी ओर 8 नवंबर को चंद्र ग्रहण लगने वाला है। इस दौरान भी बुध, गुरु,शुक्र और शनि अपनी-अपनी राशियों में ही विद्यमान होंगे। यह साल का आखिरी सूर्य ग्रहण होगा।

गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त

कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा मनाई जाती है। इसी कारण यह त्योहार दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है। परंतु आज सूर्य ग्रहण होने के कारण गोवर्धन पूजा 25 अक्टूबर को की जाएगी। वहीं दूसरी ओर प्रतिपदा तिथि 25 अक्टूबर की शाम 4:18 पर शुरु होगी और अगले दिन यानी की 26 अक्टूबर सुबह 6:29 पर खत्म होगी। वहीं गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त 26 अक्टूबर के दिन सुबह 6:29 से लेकर सुबह 08:43 तक है।

ये है पूजा की विधि

26 अक्टूबर की पूजा से पहले ही आप घर में गोवर्धन पर्वत बना लें। इसके बाद ज्योतिषाशास्त्र के अनुसार,  पूजा के दिन पर्वत के पास गाय, बछड़े को उस पर रखे जाते हैं परंतु यह परंपरा खत्म हो गई है। इसके बाद पर्वत की पूजा की जाती है। पर्वत को मूली, मिठाई और पूरी का भोग भी लगाया जाता है। गोबर की आकृति बनाकर पर्वत की परिक्रमा की जाती है। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। गोबर की आकृति पर चावल, रोली, मोली, सिंदूर, खीर आदि चीजें चढ़ाई जाती है। इसके बाद गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। पूजा करने के गोवर्धन की आरती भी की जाती है।

Leave a Reply

error: Content is protected !!