सौराष्ट्र-तमिल संगमम क्यों आवश्यक है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सौराष्ट्र-तमिल संगमम (Saurashtra-Tamil Sangamam) में लगभग 3,000 लोगों के भाग लेने की उम्मीद है। इस महोत्सव का उद्देश्य गुजरात और तमिलनाडु के दो तटीय राज्यों के बीच ‘पुराने संबंधों’ और सांस्कृतिक संबंधों को प्रदर्शित करना है।

  • सौराष्ट्र-तमिल संगमम, काशी-तमिल संगमम के समान है।

सौराष्ट्र-तमिल संगमम:  

  • पृष्ठभूमि:
    • सदियों पहले यानी 600-1000 वर्ष के बीच आक्रमणों ने कई लोगों को गुजरात में सौराष्ट्र से पलायन करने और मदुरै के आसपास के तमिलनाडु के ज़िलों में नई बस्तियाँ स्थापित करने के लिये मजबूर किया, जिसे अब तमिल सौराष्ट्रियन के रूप में जाना जाता है।
    • गुजराती मूल के लोग तमिलनाडु में विभिन्न स्थानों जैसे- तिरुचि, तंजावुर, कुंभकोणम और सलेम में बस गए हैं, जिससे गुजरात और तमिलनाडु के बीच सांस्कृतिक संबंध मज़बूत हुए हैं।
  • महोत्सव की मुख्य विशेषताएँ:
    • इस महोत्सव का उद्देश्य भारत की सांस्कृतिक विविधता और ताकत को उज़ागर करना तथा लोगों को तीर्थस्थलों एवं सांस्कृतिक विरासत के साथ फिर से जोड़ना है।
    • यह महोत्सव गुजरात में सोमनाथ, द्वारका और केवडिया में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी जैसे कई स्थानों पर आयोजित होगा।

  • लोगो का महत्त्व: 
    • यह तमिल-सौराष्ट्र के लोगों की रेशमी कपड़े की विशेषज्ञता और गुजरात के कपड़ा उद्योग के विलय को दर्शाता है।
    • दो संस्कृतियों के संगम को सोमनाथ मंदिर, सौराष्ट्रियों की उत्पत्ति के स्थान और मदुरै के पास मीनाक्षी मंदिर, जहाँ वे बसे थे, के माध्यम से दर्शाया गया है।
    • डांडिया (गुजरात) और भरतनाट्यम (तमिलनाडु) के साथ नृत्य मुद्रा में एक युवती दो कला रूपों के संगम का प्रतीक है।
    • ऊपरी तीन रंग ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत‘ के संदेश को दर्शाता है, जबकि नीचे का नीला रंग दो राज्यों के समुद्र के साथ मिलन का प्रतीक है।

संगमम का महत्त्व:

  • सांस्कृतिक सुरक्षा: यह सुरक्षा के अन्य रूपों की तरह ही महत्त्वपूर्ण है जैसे- सीमा सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और साइबर सुरक्षा।
    • संगमम के माध्यम से सांस्कृतिक संबंधों और विरासत की रक्षा कर एक राष्ट्र की पहचान को बनाए रखने के लिये आवश्यक है और इसने भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान को देखा है।
  • सामुदायिक भवन और सामाजिक सामंजस्य: संगमम समुदाय को एक साथ आने, सामाजिक और सामुदायिक भावना का निर्माण करने के लिये एक मंच के रूप में कार्य करता है।
    • यह विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के मध्य एकता और घनिष्ठता की भावना को बढ़ावा देने के साथ ही आपसी सम्मान, समझ एवं सद्भाव को भी बढ़ावा देता है।

एक भारत श्रेष्ठ भारत:

 

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