क्या चुनाव प्रचार में बजेगा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का डंका?

क्या चुनाव प्रचार में बजेगा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का डंका?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

आम चुनाव से पहले राजनीतिक दल मतदाताओं को लुभाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं. वहीं, साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डीपफेक टेक्नोलॉजी समेत अन्य टेक्नोलॉजी के संभावित दुरुपयोग को लेकर चिंता जताई है. भारत में लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल से एक जून के बीच सात चरणों में होगा.

निर्वाचन आयोग ने फर्जी खबरों और गलत सूचनाओं की पहचान एवं त्वरित प्रतिक्रिया के लिए पहले ही मानक संचालन प्रक्रिया जारी कर दी है. दिल्ली पुलिस के साइबर अपराध प्रकोष्ठ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘डीपफेक वीडियो और वॉयस क्लोनिंग दो उपकरण हैं, जिनका चुनाव अभियान के दौरान बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा सकता है.”

उन्होंने कहा कि पुलिस के सामने एक बड़ी चुनौती ऐसी सामग्री का समय पर पता लगाना और त्वरित कार्रवाई करना है. ऐसी कोई प्रौद्योगिकी उपलब्ध नहीं है, जो AI का उपयोग करके तैयार की गई मूल और नकली वीडियो सामग्री के बीच स्वचालित रूप से अंतर का पता लगा सके.

पूर्व आईपीएस अधिकारी व साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ त्रिवेणी सिंह ने कहा कि एआई-जनित गलत सूचना का व्यापक प्रसार चुनावी प्रक्रिया और लोकतांत्रिक संस्थानों में जनता के विश्वास को कम कर सकता है. सिंह ने कहा कि सरकार को एआई उपकरणों के मूल्यांकन और अनुमोदन के लिए पारदर्शी एवं निष्पक्ष दिशानिर्देश विकसित करने के वास्ते साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों, प्रौद्योगिकी कंपनियों और नागरिक संस्थाओं सहित विभिन्न हितधारकों के साथ मिलकर काम करना चाहिए.

लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है. राजनीतिक दल कमर कस कर चुनावी मैदान में ताल ठोंकने उतर चुके हैं. लड़ाई आर-पार की है, तो जीत के हथकंडे भी नये और अनूठे हैं. कुछ साल पहले तक जो चुनाव प्रचार सोशल मीडिया के सहारे हो रहा था, अब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तक पहुंच चुका है.

लोकसभा चुनाव के प्रचार में इस बार कांग्रेस बहुत आक्रामक तरीके से प्रचार अभियान चलाने जा रही है. इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) का सहारा लिया जायेगा. वहीं, भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण को अलग-अलग राज्यों की जनता को उनकी ही मातृभाषा में पहुंचाने के लिए एआइ डबिंग तकनीक का सहारा ले रही है.

देश की आठ भाषाओं में लोग सुन रहे प्रधानमंत्री मोदी को

लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जोर-शोर से जुटी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस बार बड़े पैमाने पर एआइ तकनीक का इस्तेमाल कर रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण अब देश की आठ भाषाओं में उपलब्ध है.

  • बंगाली, कन्नड़, तमिल, तेलुगु, पंजाबी, मराठी, उड़िया और मलयालम में पीएम का भाषण उपलब्ध

पीएम मोदी आमतौर पर हिंदी में ही अपना भाषण देते हैं. उनके भाषण को अलग-अलग राज्यों की जनता को उनकी ही मातृभाषा में पहुंचाने के लिए भाजपा एआइ डबिंग तकनीक का सहारा ले रही है. इस तकनीक से मोदी के भाषण को देश की आठ भाषाओं बंगाली, कन्नड़, तमिल, तेलुगु, पंजाबी, मराठी, उड़िया और मलयालम में लोगों तक पहुंचाया जा रहा है.

कांग्रेस चलायेगी कैंपेन, अगर महात्मा गांधी, नेहरू जिंदा होते, तो…

इस बार कांग्रेस आक्रामक प्रचार अभियान चलाने जा रही है. इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का सहारा लिया जायेगा. भाजपा की ओर से कांग्रेस पर देश के बंटवारे, जम्मू-कश्मीर की समस्या के आरोप लगते रहे हैं. इनका जवाब एआइ वीडियो के माध्यम से खुद महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू और सरदार पटेल देते नजर आयेंगे.

  • एआइ वीडियो के माध्यम से महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू व सरदार पटेल देंगे सवालों के जवाब

इसके लिए नेताओं के पुराने और एआइ तकनीक से बनाये नये वीडियो का उपयोग प्रचार में होगा. कांग्रेस इस तरह के अभियान का नाम, ‘अगर गांधी और नेहरू जिंदा होते’ दे सकती है. इसके तहत ऐतिहासिक किताबों से महापुरुषों की बातों के वीडियो भी एआइ तकनीक से बनवाने की रणनीति है.

Leave a Reply

error: Content is protected !!