वर्ल्ड एक्वेटिक एनिमल डे: जलचर प्राणियों को समर्पित दिवस

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

जलीय जीवों की दुनिया हम इंसानों से कई गुना बड़ी और विकसित है. समुद्र में तो अनगिनत ज्ञात-अज्ञात प्रजातियां रहती हैं. जलीय जीवों की कुछ ऐसी भी प्रजातियां हैं, जिनके बारे में जानकर आप चकित रह जायेंगे. ऐसे में इनके संसार को हानि न पहुंचाने का संकल्प भी हमें लेना चाहिए, क्योंकि जलीय जीवों के इकोसिस्टम को प्रदूषित करने हम इंसानों की अहम भूमिका है. प्लास्टिक प्रदूषण की वजह से जलीय जीवों के ऊपर संकट के बादल छाने लगे हैं. विश्व जलीय जीव दिवस के मौके पर समुद्र में बसने वाली कुछ अनोखी मछलियों के बारे में जानिए.

नुकीली दांतों व चमकने वाली एंगलर फिश

एंगलर फिश की 200 से अधिक प्रजातियां हैं. इनमें से अधिकांश अटलांटिक और अंटार्कटिक महासागरों की गहराइयों में सतह से एक मील तक रहती हैं. कुछ एंगलर फिश उथले व उष्णकटिबंधीय वातावरण में भी रहती हैं. ये आमतौर पर गहरे भूरे रंग के होते हैं. इनके सिर काफी बड़े होते हैं व तेज दांतों से भरे बड़े अर्धचंद्राकार मुंह होते हैं. कुछ एंगलर मछलियां काफी बड़ी हो सकती हैं, जिनकी लंबाई 3.3 फुट तक होती है. हालांकि, अधिकांश छोटे होते हैं. अक्सर एक फुट से भी कम की इनकी लंबाई होती है. ये अपने शिकार को ललचा कर पकड़ने के लिए अपने शरीर के अगले हिस्से में मौजूद टॉर्च जैसे एक चमकदार अंग का प्रयोग करती हैं. यही वजह है कि इसे चमकने वाली मछली भी कहा जाता है.

अनोखा ड्वार्फ यानी बौने लैंटर्न शार्क

यह शार्क परिवार के डॉग फिश शार्क की एक प्रजाति है. खास बात है कि यह दुनिया की सबसे छोटी शार्क है. इसकी अधिकतम ज्ञात लंबाई 20 सेमी तक होती है. यह केवल कोलंबिया और वेनेजुएला के ऊपरी महाद्वीपीय ढलानों पर 283-439 मीटर की गहराई पर पायी जाती है. आमतौर पर जब लोग शार्क की कल्पना करते हैं, तो वे एक विशाल शार्क की कल्पना करते हैं, लेकिन इस शार्क को आप अपने एक हाथ में पकड़ सकते हैं. चूंकि, ये समुद्र की गहराई में रहते हैं, इसलिए रोशनी वहां तक नहीं पहुंच पाती. ये प्रकाश से इतनी दूर रहते हुए भी देख सकते हैं, क्योंकि इनके पास एक ऐसा अंग है, जो प्रकाश उत्पन्न करता है. ये भी अंधेरे में चमकते हैं. इस गुण में यह एंगलर फिश के समान ही है.

तोते जैसी मछली कहलाती है पैरेट फिश

एक और अद्भुत समुद्री जीव है तोता मछली. चूंकि, इस मछली का रंग तोते जितना चमकीला होता है, इसी वजह से इसका यह नाम पड़ा है. इसके अनोखे रंग के साथ इसमें विशिष्ट व्यवहार की क्षमता भी होती है. उदाहरण के लिए, तोता मछली सोते समय अपने चारों ओर एक बुलबुला बनाते रहती है. दरअसल, यह बुलबुला शिकारियों से खुद को छिपाने और परजीवियों को दूर रखने में मदद करता है. कुछ तोता मछलियां काफी तेजी से खा सकती हैं. ये प्रति मिनट लगभग 20 बाइट ले सकती हैं. जितनी तेजी से ये खाते हैं, इनके दांत भी उतने ही मजबूत होते हैं. आपको जान कर आश्चर्य होगा कि इनकी दांतों में सोना, चांदी, तांबा, सबकुछ काट सकने की क्षमता होती है.

अंगूठे के आकार का हवाई बॉबटेल स्क्वीड

यह छोटा जीव केवल एक से दो इंच लंबा होता है. यह अंगूठे के आकार के बराबर होता है. ये नन्हे घोंघे, अन्य समुद्री जानवरों की तरह शिकार करने में सक्षम नहीं होते हैं, इसलिए ये अपने शिकार के साथ लुका-छिपी खेलते हैं. छिपने के लिए ये रेत के नीचे खुद को ढंक लेते हैं और अपने दोपहर के भोजन की प्रतीक्षा करते हैं. आमतौर पर इनके आहार छोटे झींगे होते हैं. जहां तक जीवनकाल की बात है, तो ये केवल तीन महीने तक ही जीवित रह पाते हैं.

मानवीय गतिविधि से समुद्री जीवों पर भारी खतरा

विभिन्न प्रकार के प्रदूषण, जैसे- तेल व गैस के आवागमन के लिए समुद्र में बढ़ती गतिविधियां और भूकंपीय सर्वेक्षण के लिए किये जाने वाले विस्फोट की वजह से समुद्र के भीतर की प्राकृतिक ध्वनियां बाधित होती हैं. इस कारण से समुद्री जीवों का आपसी संपर्क व भोजन, प्रजनन, शिकारियों से बचने के लिए किया जानेवाला आपसी वार्तालाप बिगड़ता है. साथ ही हम मानवों की वजह से प्लास्टिक व रासायनिक कचरों के समुद्र में पहुंचने से पानी में विषाक्त पदार्थों की मात्रा काफी तेजी से बढ़ रही है, जो समुद्री जीवों के लिए संकट की वजह बन रही है. अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ के अनुसार, वर्ष 2100 तक समुद्रों में घुली ऑक्सीजन की मात्रा में से 3-से-4 प्रतिशत की कमी हो जायेगी.

“जलीय जानवर” में वे सभी जानवर शामिल हैं जो अपने अधिकांश जीवन के लिए पानी में रहते हैं: मछली, उभयचर, समुद्री स्तनधारी, क्रस्टेशियंस, सरीसृप, मोलस्क, जलीय पक्षी, जलीय कीड़े और यहां तक ​​कि तारामछली और मूंगा जैसे जानवर। ये जानवर एक स्वस्थ ग्रह और ग्रह पर जीवन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनके महत्व के बावजूद, कई लोगों को समुद्री जीवन के बारे में जानकारी का अभाव है, जिसके कारण जलीय जानवरों का अत्यधिक उपभोग, उपेक्षा और दुरुपयोग होता है।

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