क्या सिंधु जल समझौता स्थगित रहेगा या नहीं?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच सीजफायर की घोषणा हो गई है। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बताया कि पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत के डीजीएमओ को फोन कर सीजफायर की पेशकश की थी। इसके बाद चर्चा होने लगी थी कि सिंधु जल संधि पर भी निर्णय लिया जा सकता है।
लेकिन न्यूज एजेंसी एएनआई ने विदेश मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि सीजफायर के बावजूद सिंधु जल संधि स्थगित रहेगी। इसमें कहा गया है कि विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि सीजफायर के लिए कोई भी शर्तें नहीं रखी गई हैं। सीजफायर की पेशकश पाकिस्तान ने ही की थी।
भारत के साथ लड़ाई में जहां पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ रही है, वहीं, उसे एक और जोरदार झटका लगा है. पहलगाम हमले के बाद भारत ने जब पाकिस्तान के साथ 1960 में हुआ सिंधु जल समझौता रद्द किया था तब पाकिस्तानी एक्सपर्ट्स कह रहे थे कि भारत एकतरफा तरीके से समझौते को रद्द नहीं कर सकता है और समझौते का मध्यस्थ विश्व बैंक भारत को मजबूर कर सकता है कि वो समझौते को स्थगित करने का अपना फैसला बदल दे. लेकिन अब विश्व बैंक ने पाकिस्तान को झटका देते हुए साफ कह दिया है कि वो भारत को मजबूर नहीं कर सकता कि वो अपना फैसला बदले.

विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा ने कहा है कि संस्था की द्विपक्षीय मुद्दे में मध्यस्थ के अलावा कोई भूमिका नहीं है.

गुरुवार को अजय बंगा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की. मुलाकात में क्या बात हुई इसकी जानकारी तो सामने नहीं आई है लेकिन बंगा ने CNBC-TV18 से बात करते हुए कहा कि समझौता दो देशों के बीच है और अगर वो असहमत होते हैं, तो विश्व बैंक की भूमिका विवाद को सुलझाने के लिए एक तटस्थ विशेषज्ञ या मध्यस्थ की व्यवस्था करने भर की है.

उन्होंने कहा, ‘हमें विशेषज्ञों या मध्यस्थों की फीस एक ट्रस्ट फंड से देनी है जिसे संधि के समय बैंक में स्थापित किया गया था. यही हमारी भूमिका है. इसके अलावा हमारी कोई भूमिका नहीं है.’

संधि निलंबन को लेकर विश्व बैंक के सामने जाने वाला था पाकिस्तान

पाकिस्तान ने पिछले महीने के अंत में कहा था कि वो भारत के “एकतरफा और अवैध” फैसले को रद्द कराने के लिए विश्व बैंक से संपर्क करेगा.जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए घातक आतंकवादी हमले में 26 लोग मारे गए थे. हमले के तार पाकिस्तान के जुड़े थे जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते को स्थगित कर दिया था.

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने गुरुवार को मीडिया को बताया कि पाकिस्तान कई सालों से लगातार बाधाएं पैदा कर रहा था जिस कारण भारत को सिंधु जल संधि निलंबित करने के लिए बाध्य होना पड़ा.

मिसरी ने प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा, ‘हमने उन्हें कई पत्र भेजे, जिसमें इस संधि में संशोधन पर बातचीत करने का अनुरोध किया गया था. भारत ने छह दशकों से भी अधिक समय से इस संधि का सम्मान किया है. पाकिस्तान ही इस संधि का उल्लंघन कर रहा है. वो जानबूझकर पश्चिमी नदियों पर भारत के अपने वैध अधिकारों के इस्तेमाल में बाधा उत्पन्न कर रहा है.’

पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कदम उठाए थे जिसमें सबसे अहम सिंधु जल समझौते को रद्द करना था. भारत ने तब पाकिस्तान के साथ अटारी-वाघा सीमा भी बंद कर दी, पाकिस्तान के शीर्ष राजनयिकों को भारत से निष्कासित कर दिया और पाकिस्तानी नागरिकों को जारी सभी अल्पकालिक वीजा को रद्द कर दिया.

सिंधु जल समझौता 19 सिंतबर, 1960 को विश्व बैंक की मध्यस्थता में भारत-पाकिस्तान के बीच हुआ था. तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान ने समझौते पर कराची में हस्ताक्षर किया था. इस समझौते के तहत दोनों देशों के बीच सिंधु और उसकी सहायक नदियों – रावी, ब्यास, सतलुज, झेलम, चिनाब और काबुल के पानी बंटवारे पर सहमति बनी थी.

इस समझौते के तहत भारत को तीन पूर्वी नदियों- रावी, ब्यास और सतलज के पानी तक बिना किसी रोक-टोक के इस्तेमाल की इजाजत मिली जबकि पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों सिंधु, चिनाब, झेलम तक पहुंच मिली.

 

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