विश्व तंबाकू निषेध दिवस 31 को: तंबाकू से होने वाले दुष्प्रभाव और पर्यावरण पर पड़ने वाले खतरे से संबंधित होंगे आयोजन

विश्व तंबाकू निषेध दिवस 31 को: तंबाकू से होने वाले दुष्प्रभाव और पर्यावरण पर पड़ने वाले खतरे से संबंधित होंगे आयोजन

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-डब्ल्यूएचओ ने वर्ष 1987 में की थी विश्व तंबाकू दिवस की शुरुआत: सिविल सर्जन
-कई तरह की बीमारियों को जड़ मिटाने के लिए धूम्रपान का ख़ात्मा करना बेहद जरूरी: डॉ वीपी अग्रवाल
-31 मई से 21 जून तक तंबाकू उत्पादों के दुष्प्रभाव से लोगों को करना होगा जागरूक: डीपीएम
-तंबाकू उत्पादों का सेवन सार्वजनिक स्थलों पर रोकने के लिए सरकार द्वारा तंबाकू नियंत्रण अधिनियम किया गया है लागू: साइक्लोजिस्ट

श्रीनारद मीडिया, पूर्णिया,  (बिहार):


आगामी 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। “तंबाकू हमारे पर्यावरण के लिए खतरा” के नाम से थीम रखा गया है। क्योंकि अमूमन ऐसा देखा जाता है कि तंबाकू पदार्थो के सेवन से कईं ऐसे तथ्य सामने आए है, जिस कारण यह पता चलता है कि पर्यावरण पर भी प्रभाव पड़ा है। जैसे कि कोई व्यक्ति सिगरेट पीने के बाद सिगरेट के बट‌ को जमीन पर डाल देता हैं। वहीं इस बार तंबाकू के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कक्षा 06 से 12 आयुवर्ष के बच्चों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा आमंत्रित किया गया है। तंबाकू से होने वाले दुष्प्रभाव और पर्यावरण पर पड़ने वाले खतरे को लेकर बच्चों को स्लोगन और पोस्टर बनाने हैं। अच्छे पोस्टर बनाने वाले बच्चों को विभाग की ओर से सम्मानित किया जाएगा।

-डब्ल्यूएचओ के द्वारा वर्ष 1987 में की गई थी विश्व तंबाकू दिवस की शुरुआत: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ एसके वर्मा ने बताया कि मानव के शरीर में नुकसानदायक बीमारियों की शुरुआत के पीछे तंबाकू का सेवन ही मुख्य कारण सामने आ रहा है। तंबाकू सेवन के प्रति आजकल न सिर्फ युवाओं में बल्कि स्कूली बच्चों में कुछ ज्यादा ही रुचि नज़र आने लगी है। कई तरह की गंभीर बीमारियों की जड़ तंबाकू सेवन ही माना जा रहा है। इसलिए इसको रोकने और इसके बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 31 मई को पूरे विश्व में विश्व तम्बाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। विश्व तम्बाकू निषेध दिवस की शुरुआत डब्ल्यूएचओ द्वारा 1987 में की गयी थी। इस दिन का उद्देश्य तंबाकू सेवन के व्यापक रूप से प्रचार प्रसार और नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों की ओर ध्यान आकर्षित करना होता है, जो पूरे विश्व में प्रत्येक वर्ष लगभग 70 लाख से अधिक मृत्यु का कारण बनता है।

-कई तरह की बीमारियों को जड़ मिटाने के लिए धूम्रपान का ख़ात्मा करना बेहद जरूरी: डॉ वीपी अग्रवाल
अपर उपाधीक्षक सह सहायक अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी ( गैर संचारी रोग) डॉ विष्णु प्रसाद अग्रवाल ने बताया केवल तंबाकू के सेवन मात्र से न जाने कितने प्रकार की गंभीर बीमारियां उत्पन्न होती हैं। जिसका आकलन हर किसी के बस की बात नहीं है। क्योंकि तंबाकू सेवन करने से कैंसर जैसी भयंकर बीमारी हो जाती है। वहीं फेफड़ों की बीमारियां जैसे: क्रोनिक ब्रोंकाइटिस व एम्फिसेमा होने की मुख्य वजह धूम्रपान को ही माना गया है। क्रोनिक यानी लंबे समय तक धूम्रपान करने से फेफड़े एवं सांस की नली में कैंसर होने की संभावना काफ़ी ज्यादा होती है। पूरे विश्व में कैंसर से होने वाली मृत्यु में फेफड़े के कैंसर के मरीजों की संख्या अधिक है। जिसका मुख्य कारण अत्यधिक धूम्रपान सेवन करना ही होता है। बीड़ी, सिगरेट, खैनी, पान मसाला, पुड़िया, जर्दा, पीला पत्ती आदि के सेवन से मुंह का कैंसर (ओरल कैंसर) की संभावना बनी रहती है। इन सभी तरह के रोगों को जड़ से मिटाने के लिए धूम्रपान का ख़ात्मा करना बेहद ही जरूरी है।

-31 मई से 21 जून तक तंबाकू उत्पादों के दुष्प्रभाव से लोगों को करना होगा जागरूक: डीपीएम
ज़िला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम ब्रजेश कुमार सिंह ने बताया कि आगामी 31 मई से लेकर 21 जून तक ज़िले के सभी हेल्थ एड वेलनेस सेंटरों पर विशेष योग सत्र का आयोजन कर प्रतिभागियों को तंबाकू उत्पादों का सेवन करना कितना हानिकारक होता है इसके संबंध में जागरूक करना है। वहीं विभिन्न स्कूली बच्चों, एएनएम एवं स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा आगामी 31 मई को प्रभात फेरी, जागरूकता रैली, पेंटिंग, वाद- विवाद प्रतियोगिता सहित कई अन्य प्रकार के आयोजन के माध्यम से तंबाकू के दुष्परिणामों के संबंध में जागरूकता फैलानी है। जिला स्तरीय तम्बाकू नियंत्रण समन्वय समिति की बैठक आयोजित करने के साथ ही काउंसलर के द्वारा ब्लॉक स्तर पर शिविर का आयोजन कर तंबाकू का सेवन कर रहे व्यक्तियों की काउंसलिंग करनी होगी। ताकि तंबाकू सेवन के दुष्परिणाम एवं लत का त्याग कर होने वाले लाभ एवं तंबाकू उत्पादन से पर्यावरण पर होने वाले प्रतिकूल प्रभाव को दर्शाना है।

-तंबाकू उत्पादों का सेवन सार्वजनिक स्थलों पर रोकने के लिए सरकार द्वारा तंबाकू नियंत्रण अधिनियम (कोटपा) किया गया हैं लागू: साइक्लोजिस्ट
राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के साइक्लोजिस्ट धीरेंद्र कुमार ने बताया कि तंबाकू की लत बहुत ही ज़्यादा खराब होती है। अगर कोई व्यक्ति इसका शिकार हो जाता है तो फिर इससे निकलना बेहद मुश्किल होता हैं। लेकिन अगर कोई व्यक्ति इससे निकलना चाहे तो इसके लिए उन्हें चिकित्सकीय उपचार से ज्यादा मजबूत इच्छाशक्ति की जरूरत होती है। मजबूत इच्छाशक्ति के साथ चिकित्सकीय उपचार, परिवार, सहयोगियों के अलावा आसपास के लोगों के सहयोग से तंबाकू सेवन की लत से बाहर निकला जा सकता है। तंबाकू उत्पादों का सेवन सार्वजनिक स्थलों पर रोकने के लिए सरकार द्वारा कानून बनाया गया है। इसके लिए तंबाकू नियंत्रण अधिनियम कोटपा लागू किया गया है। कोटपा के तहत तंबाकू इस्तेमाल करते हुए पकड़े जाने पर लोगों को धारा 4, 5, 6 तथा 7 के तहत कानूनी कार्यवाही व आर्थिक दंड वसूला जा सकता है।
जो निम्नलिखित हैं:
-सार्वजनिक स्थलों या आसपास धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों को धारा-4 के तहत 200 रुपये की जुर्माना देय होगी।
-तंबाकू पदार्थों के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष विज्ञापन पर धारा-5 के तहत 01 से 05 साल तक की कैद एवं 1000 से 5000 तक का जुर्माना देय होगा।
-18 आयुवर्ष से इससे कम आयु वर्ग के अवयस्कों को धारा-6 के तहत तंबाकू पदार्थ बिक्री करने वालों को 200 रुपये जुर्माना लगाया जाता है।
-धारा-7 के अनुसार बिना चित्रित व पैकेट के 85% भाग पर मुख्य रूप से न छपे वैधानिक चेतावनी के तंबाकू पदार्थों की बिक्री पर 02 से 05 साल की कैद एवं 1000 से 10000 तक जुर्माना लगाया जा सकता है।

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