आधारकार्ड बना सकता है कर्जदार, आपके घर सीधे पहुंचेगा कानूनी नोटिस; जानें क्या है मामला

आधारकार्ड बना सकता है कर्जदार, आपके घर सीधे पहुंचेगा कानूनी नोटिस; जानें क्या है मामला

श्रीनारद मीडिया,रोहित मिश्रा,स्टेट डेस्क

कोविड-19 के इस कठिन दौर में साइबर अपराधी अलग-अलग तरीकों से ठगी को अंजाम दे रहे हैं। ऐसे में हम सभी को सतर्क रहने की दरकार है। तीन दिन पहले ही ऑक्सीजन दिलाने के नाम पर मजबूरी का फायदा उठाने वाले चार बदमाशों को दिल्ली पुलिस गिरफ्तार करके नालंदा से ले गई है। पुलिस की स्पेशल टीम किंग पिन की तलाश कर रही है। पटना समेत अन्य जगहों से ठगी का रैकेट ऑपरेट कर रहे बदमाश लोगों से दवा, बेड, आईसीयू और वैक्सीनेशन के नाम पर सीधे ऑनलाइन रकम ठग रहे हैं। इसी दौरान ठगी का नया स्वरूप भी सामने आया है।

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ऐसे बनाते हैं शिकार

सारी स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के दौरान ठग झांसे में आए लोगों का आधार कार्ड और पैन कार्ड की स्कैन कॉपी लेने लगे हैं। इन्हीं दोनों कागजात के आधार पर साइबर अपराधी विभिन्न लोन ऐप से आपके नाम पर 3 हज़ार से 3 लाख तक लोन लेने लगे हैं। दरअसल, आधार व पैन की फोटो कॉपी पर आपके नाम से बैंक खाता खुल जाता है। ऑनलाइन लोन ऐप सारी प्रक्रिया पूरी करके इसी खाते में रकम ट्रांसफर कर देते हैं। जैसे ही रकम आपके फर्जी खाते में आई कि ठग आनन-फानन में पूरी रकम निकाल लेते हैं। इस तरह आपको पता भी नहीं चलता और आप किसी ऑनलाइन लोन देने वाली कम्पनी के कर्जदार बन जाते हैं। कुछ माह गुजरने पर कर्ज की अदायगी नहीं होने पर कम्पनी की ओर से आधार में दिए गए पते पर कानूनी नोटिस भेजी जाती है। तब खुद के फर्जीवाड़े में फंसने का अहसास होता है।

बकायदा देते हैं विज्ञापन

साइबर ठग अब तो बकायदा अपना विज्ञापन सोशल साइट, समूह मैसेज और वाट्सऐप पर तो देने लगे हैं। वाट्सऐप पर डीपी या सोशल साइट के माध्यम से आपके फोटोग्राफ्स को पहले चुराते हैं। फिर मजबूरी में फंसे लोगों या अन्य लोगों को कॉल करते हैं। उनसे मरीज की स्थिति, दवा, वैक्सीनेशन व आइसीयू के संबंध में जानकारी मांगते हैं। भरोसा दिलाते हैं कि जीवनरक्षक दवा रोगी को सीधे अस्पताल में उपलब्ध कराई जाएगी। वैक्सीनेशन ऑनलाइन रजिस्टर्ड कर दिया जाएगा। जल्द ही आपको नजदीकी सेंटर या घर पर वैक्सीन दे दी जाएगी। दवा मार्केट में नहीं है, इसके लिए आपको ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना होगा। इसी ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के नाम पर झांसे में आए लोगों का आधार कार्ड व पैन कार्ड की फोटो मांग ली जाती है। फिर साइबर अपराधी ऑनलाइन लोन ऐप पर इन दोनों कागजात को रजिस्टर्ड करते हैं। इसी बीच पीड़ित के पास आधार कार्ड से लिंक मोबाइल पर ओटीपी नम्बर जाता है। इलाज व वैक्सीनेशन के नाम पर गुमराह करके साइबर अपराधी उस ओटीपी को ले लेते हैं। फिर अपने खोले बैंक अकाउंट नंबर को रजिस्टर्ड करके लोन ले लेते हैं। जब लोन ले लेते हैं तो आधार कार्ड से जुड़ा हुए नंबर पर मैसेज आता है। लोन की सूचना पाकर पीड़ित चकित हो जाते हैं। कभी-कभी लोन लेने के लिए आधार कार्ड और पैन कार्ड दोनों की आवश्यकता होती है, तो कभी आधार कार्ड पर ही कंपनियां लोन दे देती हैं।

कई कंपनियां देती हैं लोन

आधार कार्ड और पैन कार्ड के सहारे कई कंपनियां ऑनलाइन दस्तावेज लेकर तुरंत तीन हजार से तीन लाख तक लोन दे देती हैं। यह लोन किसी व्यक्ति को ऐसे भी नहीं लेना चाहिए। इसका ब्याज दर 12 से 18 फीसद साप्ताहिक या मासिक लिया जाता है। लोन नहीं चुकाने पर ये कम्पनियां कई तरह की धमकियां व गाली-गलौज देती हैं।

जानें क्या कहते हैं साइबर एक्सपर्ट

साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट दीपक कुमार कहते हैं कि कभी भी किसी अनजान व्यक्ति को अपना फोटो, आधार कार्ड, पैन कार्ड, फोटो और मोबाइल पर आए हुए ओटीपी बिल्कुल नहीं दें। साइबर अपराधी कई लोन देने वाली कंपनियों की वेबसाइट पर इन दस्तावेज को रजिस्टर्ड करके आपके नाम पर लोन ले लेंगे। इसमें अपराधी अपना खुद का बैंक अकाउंट नंबर भरते हैं। या आपके नाम पर फर्जी खाता खुलवाते हैं।

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