क्या बड़े ऑपरेशन की है तैयारी ? LOC पहुंचे सेना प्रमुख.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने जम्मू-कश्मीर में व्हाइट नाइट कोर के अग्रिम इलाकों का मंगलवार को दौरा किया. उन्होंने नियंत्रण रेखा पर स्थिति का जायजा भी लिया. उन्हें क्षेत्र में जमीनी स्थिति तथा वहां चल रहे घुसपैठ रोधी अभियानों की जानकारी दी गयी. बताया जा रहा है कि सेना प्रमुख जम्मू के दो दिवसीय दौरे पर आए हैं. यहां चर्चा कर दें कि नरवणे जम्मू कश्मीर का दौरा ऐसे वक्त में कर रहे हैं जब कश्मीर घाटी में अल्पसंख्यकों को चुन-चुन कर मारने की घटनाएं बढ़ी हैं. घाटी में इस महीने आतंकवादियों ने 11 नागरिकों की जान ली है.

इधर भारतीय सेना के जवानों ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के राजौरी सेक्टर के जंगलों में 6 आतंकवादियों को मार गिराया है. मारे गए सभी आतंकवादी पाकिस्तान के लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के बताए जा रहे हैं. वहीं, खबर आ रही है कि पिछले दिनों पुंछ में हुए आतंकी हमले की जिम्मेवारी नए आतंकवादी संगठन पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट (पीएएफएफ) ने ली है. इस नए आतंकवादी संगठन ने एक वीडियो जारी कर पुंछ हमले की जिम्मेवारी ली है.

श्रीनगर के लाल चौक पर 30 साल में पहली बार महिलाओं की भी तलाशी

कश्मीर में आम नागरिकों की हत्याओं के मद्देनजर, पिछले 30 वर्षों में पहली बार, सीआरपीएफ की महिला कर्मियों ने शहर के लाल चौक इलाके में महिलाओं की तलाशी ली. केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की महिला कर्मियों ने शहर के लाल चौक इलाके से गुजरने वाली महिलाओं के बैग की जांच की. आम तौर पर महिलाओं ने इसका विरोध नहीं किया, लेकिन कुछ महिलाओं ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि जांच सार्वजनिक रूप से नहीं की जानी चाहिए थी.

डरे हैं लेकिन कश्मीर नहीं छोड़ रहे क्योंकि लोग सज्जन हैं

कश्मीर में बिहार और अन्य प्रदेशों से आकर काम करने वाले दूसरे प्रवासी श्रमिकों की तरह संजय कुमार भी इस महीने आतंकवादियों द्वारा पांच गैर स्थानीय लोगों की हत्या के बाद से खौफ में हैं लेकिन कहते हैं कि वह कहीं नहीं जाएंगे क्योंकि यहां मजदूरी ऊंची है और लोग सज्जन हैं. यहां चर्चा कर दें कि देश के कई हिस्सों से मजदूर हर साल मार्च की शुरुआत में चिनाई, बढ़ई का काम, वेल्डिंग और खेती जैसे कामों में कुशल और अकुशल श्रमिकों व कारीगरों के तौर पर काम के लिए घाटी में आते हैं और नवंबर में सर्दियों की शुरुआत से पहले घर वापस चले जाते हैं.

भारतीय सेना के जवानों ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के राजौरी सेक्टर के जंगलों में 6 आतंकवादियों को ढेर कर दिया है. सेना के जवानों के हाथों मारे गए सभी आतंकवादी पाकिस्तान के लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के बताए जा रहे हैं. इसके साथ ही, खबर यह भी है कि अभी हाल में पुंछ में हुए आतंकी हमले की जिम्मेवारी नए आतंकवादी संगठन पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट (पीएएफएफ) ने ली है. इस नए आतंकवादी संगठन ने एक वीडियो जारी कर पुंछ हमले की जिम्मेवारी ली है.

बता दें कि राजौरी के जंगलों में पनाह लिए हुए आतंकवादियों को खोजने के लिए जारी सर्च ऑपरेशन के दौरान भारतीय सेन के नौ जवान शहीद हो गए हैं. इस घटना के बाद चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने 16 अक्टूबर को क्षेत्र का दौरा कर वहां चल रहे आतंकवाद विरोधी अभियानों को संभालने वाले स्थानीय कमांडरों के साथ चर्चा की. यह समझा जाता है कि भारतीय सेना के कमांडरों से कहा गया था कि वे सक्रिय आतंकवादियों को उनकी शर्तों पर खोजने के बजाय अभियानों में प्रतीक्षा करें या उन्हें मात दें.

इसके साथ ही, खबर यह भी है कि जम्मू-कश्मीर में सक्रिय नए आतंकवादी संगठन पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट ने “पुंछ गन-बैटल डे 1” नामक एक वीडियो जारी पुंछ हमले की जिम्मेदारी ली है. इन आतंकवादियों की ओर से जारी वीडियो तकरीबन आठ मिनट का है. इस वीडियो में एक कश्मीरी आतंकवादी को 11 अक्टूबर को सुरनकोट के पास हुए हमले में 5 भारतीय सैनिकों के शहीद होने की बात कर रहा है.

टेलीग्राम ऐप पर कई चैनलों पर साझा किए गए इस वीडियो में एक व्यक्ति कश्मीरी बोली में 11 अक्टूबर के आसपास की घटनाओं को बता रहा है, जिस दिन मुठभेड़ शुरू हुई थी. हालांकि, सेना के एक सूत्र ने इस वीडियो को प्रचार पाने का एक घटिया तरीका बताया है.

वीडियो के जरिये कश्मीरी आतंकवादी ने दावा किया है कि भारतीय सैनिकों का एक गश्ती दल जंगल में आराम कर रहा था. शाम तक 4 से 5 सैनिक भी उनके साथ शामिल हो गए. सैनिकों ने लगभग रात के 10 बजे झपकी लेने का फैसला किया और 2-3 लोगों को वहीं छोड़ दिया. ड्यूटी पर तैनात जवान ने अगले कुछ घंटे तक झपकी ले रहे थे. आतंकवादी आगे दावा करता है कि एक घंटे के बाद वह देखने के लिए करीब गया. अंत में तीन सैनिकों और तंबू में सो रहे लोगों पर घात लगाकर हमला किया गया.

उसका दावा है कि तम्बू से भागने वाले को छोड़कर सभी मारे गए. यह साफ नहीं है कि भागने वालों को गोली लगी थी या नहीं. वीडियो में दावा किया गया है कि दो अज्ञात आतंकवादियों ने अगले दिन 11 अक्टूबर सुबह अपने डेरे पर घात लगाने से पहले लगभग 10 घंटे तक सेना के एक गश्ती दल को ट्रैक किया था.

 

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