सुप्रीम कोर्ट के 5 नए जज को CJI चंद्रचूड़ ने दिलाई शपथ, 4 फरवरी को केंद्र ने अपॉइंटमेंट की मंजूरी दी थी.

सुप्रीम कोर्ट के 5 नए जज को CJI चंद्रचूड़ ने दिलाई शपथ, 4 फरवरी को केंद्र ने अपॉइंटमेंट की मंजूरी दी थी.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सुप्रीम कोर्ट में 5 नए जजों की नियुक्ति हो गई है। CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने सोमवार सुबह 5 जजों कों सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश के रूप में शपथ दिलाई। SC के नए जज के रूप में शपथ लेने वाले तीन चीफ जस्टिस जस्टिस पंकज मिथल, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस पीवी संजय कुमार हैं। इसके अलावा दो जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह, जस्टिस मनोज मिश्रा का नाम भी शामिल है। पांच जजों की शपथग्रहण के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में अब जजों की संख्या 32 हो गई है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद 4 फरवरी को केंद्र ने शीर्ष कोर्ट में पांच जजों की नियुक्ति को मंजूरी दी थी। खुद कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने ट्विटर पर इसकी जानकारी दी थी। उन्होंने लिखा- भारत के संविधान के तहत राष्ट्रपति ने हाईकोर्ट के पांच जजों को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति किया है। मैं सभी को शुभकामनाएं देता हूं। पांचों जज 6 फरवरी को शपथ लेंगे।

CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने जस्टिस संजय करोल को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में शपथ दिलाई।
CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने जस्टिस संजय करोल को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में शपथ दिलाई।

जस्टिस पंकज मित्तल: राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हैं। इससे पहले वह जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस थे। इससे पहले वह इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस थे। मित्तल को साल 1985 में बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश में शामिल किया गया था।

जस्टिस संजय करोल: नवंबर 2019 से पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हैं। इससे पहले, उन्हें त्रिपुरा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में नियुक्त किया गया था। वह हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में कार्यवाहक चीफ जस्टिस के तौर पर काम कर चुके हैं।

जस्टिस पीवी संजय कुमार: 2021 से मणिपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हैं। इससे पहले वह पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में जस्टिस थे। उन्होंने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में भी जस्टिस के रूप में काम किया है। संजय कुमार को अगस्त 1988 में आंध्र प्रदेश की बार काउंसिल के मेंबर के रूप में शामिल किया गया था।

जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह: पटना हाईकोर्ट के जस्टिस हैं। 2011 में पटना हाईकोर्ट में जस्टिस बनकर पहुंचे, फिर 2021 में उनका ट्रांसफर आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में कर दिया गया। इसके बाद, उन्हें जून 2022 में दोबारा पटना हाईकोर्ट में भेजा गया। जस्टिस अमानुल्लाह को सितंबर 1991 में बिहार स्टेट बार काउंसिल में शामिल किया गया था।

जस्टिस मनोज मिश्रा: इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस हैं। उन्होंने साल 2011 में जस्टिस के रूप में शपथ ली थी। उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट के दीवानी, राजस्व, आपराधिक और संवैधानिक पक्षों में अभ्यास किया है।

सुप्रीम कोर्ट का कॉलेजियम क्या है?

जिस कॉलेजियम पर यह पूरा विवाद हो रहा है, वह हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति और ट्रांसफर की प्रणाली है। कॉलेजियम के सदस्य जज ही होते हैं। वे प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को नए जजों की नियुक्ति के लिए नामों का सुझाव भेजते हैं। मंजूरी मिलने के बाद जजों को अपॉइंट किया जाता है।

देश में कॉलेजियम सिस्टम साल 1993 में लागू हुआ था। कॉलेजियम में 5 सदस्य होते हैं। CJI इसमें प्रमुख होते हैं। इसके अलावा 4 मोस्ट सीनियर जज होते हैं। अभी इसमें 6 जज हैं।

केंद्र ने अपना प्रतिनिधि शामिल करने के लिए CJI को चिट्ठी लिखी थी
16 जनवरी को कानून मंत्री किरण रिजिजू ने CJI को पत्र लिखकर कॉलेजियम में अपना प्रतिनिधि शामिल करने की बात कही थी। केंद्र के रुख का जवाब देने के लिए CJI की अगुआई में कॉलेजियम ने तय किया कि इस बार सारे मामले को सार्वजनिक किया जाए।

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