मोदी से चार महीने बाद मिले सीएम नीतीश कुमार,क्यों?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजधानी दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। पीएम आवास में दोनों नेताओं के बीच करीब 30 मिनट तक बातचीत हुई। हालांकि पीएम मोदी से मुलाकात करने के बाद नीतीश कुमार ने मीडिया के साथ कोई बातचीत नहीं की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद नीतीश कुमार गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात की। बिहार में सत्ता समीकरण बदलने और करीब डेढ़ साल पर एनडीए में वापसी के बाद पीएम-सीएम की यह मुलाकात बेहद खास मानी जा रही है।

बता दें कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में 28 जनवरी को बिहार में फिर से एनडीए की सरकार सत्ता में काबिज हुई थी। सरकार गठन के दस दिन बाद नीतीश कुमार पहली बार दिल्ली गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी यह मुलाकात करीब छह महीने के बाद हुई। इससे पहले नौ सितंबर, 2023 को दिल्ली में जी-20 सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं की मुलाकात हुई थी। तब, बिहार में महागठबंधन की सरकार थी। पीएम-सीएम के बीच मुलाकात की तस्वीर उस समय राजनीतिक सुर्खियां बनी थीं।

इंडिया गठबंधन के आकार लेने और पटना में पहली बैठक को संयोजित करने के बाद हुई इस भेंट के सियासी मायने भी तब निकाले जाने लगे थे। हालांकि, नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री के नाते राष्ट्रपति द्वारा अतिथियों के सम्मान में दिये गये भोज में शामिल होने को महज शिष्टाचार करार देकर अटकलों को खारिज कर दिया था।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को दिल्ली में पीएम आवास पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. इससे पहले नीतीश कुमार ने चार महीने पहले पिछले साल सितंबर में जी-20 सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी से मुलाकात की थी. राज्य में एनडीए के साथ नई सरकार के गठन के बाद मुख्यमंत्री की प्रधानमंत्री से यह पहली मुलाकात थी. करीब 30 मिनट तक चली इस मुलाकात के दौरान सीएम और पीएम के बीच बिहार के मौजूदा राजनीतिक हालात और विकास पर चर्चा हुई.

जदयू को दो में से एक सीट छोड़ना होगा

बिहार में एक उम्मीदवार को राज्यसभा के लिए निर्वाचित होने के लिए 35 विधायकों के वोट की आवश्यकता होती है. बीजेपी के पास 78 सीटें और जेडीयू के पास 45 सीटें हैं. विधानसभा में एनडीए के पास 128 सदस्यों का समर्थन है, लेकिन चार उम्मीदवारों के लिए उसे 140 सदस्यों की आवश्यकता होगी. विधानसभा में अकेले आरजेडी के पास 79 वोट हैं, जो दो सीटों की गारंटी देता है. महागठबंधन के पास अपने तीसरे उम्मीदवार के लिए 115 वोट हैं. उसे सिर्फ 105 की जरूरत है. हालांकि, सिर्फ 19 सीटों वाली कांग्रेस को अपनी सीट बरकरार रखने के लिए गठबंधन सहयोगियों के समर्थन की जरूरत है.

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