रांची में कोरोना का कहर, जांच केंद्र से लेकर श्मशान तक लगी कतार.

रांची में कोरोना का कहर, जांच केंद्र से लेकर श्मशान तक लगी कतार.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

राजधानी रांची में सैंपल जांच के लिए तो पहले से ही जांच केंद्रों के बाहर हर दिन लोगों की कतार लग रही है, अब श्मशान के बाहर मृतकों का शव जलाने के लिए पहुंची एंबुलेंस की भी कतार भी देखी जा रही है। रविवार को कुछ इसी तरह का दृश्य हरमू मुक्तिधाम स्थित शवदाह गृह (क्रिमेटोरियम) के बाहर दिखी। हुआ यूं कि यहां शवों को जलाने के लिए लगाई गईं दोनों मशीनें अचानक खराब हो गईं। इस वजह से कोरोना से मृत लोगों को लेकर पहुंची कई एंबुलेंस को इंतजार करने के लिए कहा गया। देखते ही देखते शवदाह गृह के बाहर कई एंबुलेंस कतारबद्ध हो गई।

मिली जानकारी के अनुसार, रविवार को यहां 10 शवों को दाह-संस्कार के लिए एंबुलेंस से लाया गया था। दो शव जलने के बाद ही मशीन में खराबी आ गयी। शवदाह गृह की दोनों भट्ठी खराब हो गयी। उससे पूरा हिट नहीं निकल रहा था। दो शव जलाने के बाद जब तीसरा शव डाला गया तो वह फंस गया। इस वजह से देर शाम तक यहां एंबुलेंस की कतार लगी रही। इसके बाद जिला प्रशासन और रांची नगर निगम की ओर से शवों को जलाने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था पर विचार किया जाने लगा। मशीन खराब होते ही शमशान स्थल की सफाई और सेनेटाइजेशन का काम शुरू कर दिया गया। बता दें कि पिछले साल भी कोरोना से मृत लोगों का यहां जिला प्रशासन की ओर से अंतिम संस्कार किया गया था।

11 अप्रैल से अबतक 76 शवों को जलाया जा चुका है

भट्ठी खराब होने के बाद परिजन भी परेशान थे और वह किसी तरह अंतिम संस्कार करने का दबाब प्रशासन पर बना रहे थे। शवदाह गृह के बाहर दस एंबुलेंस खड़ी थीं। इस शवदाह गृह में एक से 11 अप्रैल तक कोरोना से मृत 76 शवों को जलाया गया है। शनिवार को सबसे अधिक 16 शव जलाए गए थे। शवदाहगृह का संचालन करने वाली मारवाड़ी सहायक समिति के अनुसार मशीन का मेंटनेंस पांच अप्रैल को किया गया था। इसके बाद से सब कुछ बेहतर तरीके से चल रहा था। अभी भी स्थानीय तकनीशियन से खराबी दूर कराने का प्रयास किया जा रहा है। साथ ही दिल्ली से तकनीशियन को बुलाया गया है। सोमवार को तकनी़शियन के आने के बाद खराबी दूर किए जाने की उम्मीद है।

डीसी ने खराबी दूर करने को कहा

शवदाह गृह की मशीन की मरम्मत करने के लिए रांची जिला प्रशासन ने नगर निगम को लिखा है। विद्युत शवदाह गृह के संचालन का जिम्मा रांची नगर निगम का है। जिला प्रशासन की ओर से लिखे पत्र में कहा गया है कि मशीन की खराबी दूर की जाए। मशीन सही तरीके से काम नहीं कर रही है और शव को जलाने में लंबा समय लग रहा है। कोविड प्रोटोकोल के तहत कोरोना से मृत लोगों के शवों को इसी शवदाह गृह में जलाया जाता है।

घाघरा घाट पर शवों को लकड़ी की आग पर अंतिम संस्कार

हरमू में गैस से चलने वाले शवदाहगृह की खराबी के बाद रांची नगर निगम ने शवों के जलाने की वैकल्पिक व्यवस्था घाघरा स्वर्णरेखा घाट पर है। रविवार को देर रात तक इस घाट पर 12 शवों को जलाया गया। निगम की ओर से आठ ट्रैक्टर लकड़ी की व्यवस्था भी की गयी। श्मशान घाट पर प्रकाश का इंतजाम भी किया गया। इस पूरी प्रक्रिया का नेतृत्व रांची नगर निगम के अपर नगर आयुक्त  राजेश कुमार ने किया। इस टीम में उप नगर आयुक्त  कुंवर सिंह पाहन,नगर प्रबंधक  विजेंद्र कुमार, सहायक अभियंता  सौरभ केसरी, जोनल सुपरवाइजर,  बीरेंद्र कुमार,  खुलेश्वर प्रमाणिक,  अनिल कुमार गुप्ता एवं भंडार पाल, ओमकार पांडे मौजूद रहे।

झारखंड के सभी प्राइवेट हॉस्पिटल में अब 50 फीसदी बेड कोरोना के मरीजों के लिए आरक्षित होंगे। राज्य में तेजी से बढ़ रहे संक्रमण को देखते हुए राज्य सरकार ने इसका निर्णय लिया है। हेल्थ सेक्रेटरी केके सोन ने इस संबंध में सभी डीसी को निर्देश जारी कर दिया है। 

हेल्थ सेक्रेटरी ने अपने निर्देश में कहा कि राज्य में लगातार मरीजों की संख्या बढ़ रही है। इसे ध्यान में रखते हुए सभी प्राइवेट हॉस्पिटल के कुल बेड का 50 फीसदी कोविड के लिए आरक्षित रखने की जरूरत है। इसके साथ ही उन्होंने सभी प्राइवेट हॉस्पिटल को कोविड के मरीजों के इलाज का प्राथमिकता देने का निर्देश दिया है। हेल्थ सेक्रेटरी ने सभी डीसी से तुरंत बैठक कर इसे लागू करने का आदेश दिया है।

झारखंड में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसे में मरीजों की संख्या के हिसाब से अस्पतालों में बेड की उपलब्धता बढ़ाने के लिए सरकार ने यह फैसला लिया है। रांची में हर दिन सबसे अधिक संक्रमित मरीज मिल रहे हैं। ऐसे में कोरोना के मामले बढ़ने के साथ राजधानी रांची में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। रविवार को कई निजी अस्पतालों में कोविड मरीज बेड के लिए भटकते दिखे। सरकारी अस्पतालों के बाहर लोग अपने-अपने परिजनों को लेकर बिलखते दिखे।

मरीजों को घर से अस्पताल और एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक पहुंचाने के लिए एंबुलेंस उपलब्ध नहीं थे। शव को अस्पताल पहुंचाने के लिए एंबुलेंस वाहन नहीं मिल रहे थे। परिजन शव को अस्पताल से श्मशान गृह पहुंचाने के लिए बारह-बारह घंटे इंतजार करना पड़ रहा है। कोरोना जांच के लिए सैंपल बढ़ने के साथ रिम्स में दो प्राइवेट अस्पतालों से मदद ली जा रही है।

रांची के इन हॉस्पिटल में हो रहा है इलाज
मेडिका, अंजुमन इस्लामिया हॉस्पिटल, मेदांता अस्पताल, आलम नर्सिंग होम, सैमफोर्ड हॉस्पिटल, हेल्थ प्वाइंट, राज अस्पताल, गुरुनानक अस्पताल, ऑर्किड हॉस्पिटल, सेवा सदन, सेंटेविटा, पल्स, रानी हॉस्पिटल, मां रामप्यारी हॉस्पिटल, रिंची ट्रस्ट अस्पताल, सेवेंथ पाम हॉस्पिटल, एसक्लेपियस हॉस्पिटल, पारस अस्पताल, देवकल हॉस्पिटल, गुलमोहर हॉस्पिटल।

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