Exclusive: अपने फैसलों की वजह से अब तक टिका हूं: जिमी शेरगिल

Exclusive: अपने फैसलों की वजह से अब तक टिका हूं: जिमी शेरगिल


बॉलीवुड अभिनेता जिमी शेरगिल की फिल्म ‘आजम’ इन दिनों सिनेमाघरों में चल रही है. जिमी शेरगिल उन चुनिंदा अभिनेताओं में से हैं, जो बॉलीवुड, पंजाबी सिनेमा और ओटीटी तीनों में बैलेंस कर रहे हैं. वह एक्टर के तौर पर इस फेज को बेस्ट कहते हैं. क्योंकि, फिल्में और वेब सीरीज उन्हें अलग-अलग किस्म की चुनौती दे रही हैं. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश.

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow

‘आजम’ में आपके लिए सबसे अपीलिंग क्या था?

सच कहूं तो जब इस फिल्म का मुझे ऑफर आया, तो मैंने इस फिल्म को करने से मना कर दिया था. क्योंकि, मुझे मालूम हुआ कि यह फिल्म एक रात की कहानी है. रात की फिल्म का हिस्सा बनने का मतलब है कि आपकी 40 से 50 रातें आपको शूटिंग के लिए देनी है. अपने कैरियर में मैं ऐसी कई फिल्मों का हिस्सा रहा हूं, लेकिन अब मुश्किल होती है. एक तरह का अब हेल्दी लाइफस्टाइल बन गया है. इस तरह की फिल्म से जुड़ना मतलब, पूरा रूटीन डिस्टर्ब होना था.

फिर आप ‘आजम’ से किस तरह से जुड़ें?

एक दिन मैं घर पर था. उस दिन शायद शूट नहीं थी. मैंने देखा कि कुछ स्क्रिप्टस रखी हुई है. मैंने सोचा कि चलो पढ़ते हैं. मैंने देखा कि एक स्क्रिप्ट देवनागरी में लिखी हुई है. मैंने उसे ही पढ़ने के लिए उठा लिया. आमतौर पर देवनागरी में स्क्रिप्ट मिलती नहीं है. मेरे लिए वही सबसे पहले अपील कर गया. पढ़ने लगा, तो मैं बस पढ़ता चला गया. 120 पेज की स्क्रिप्ट मैंने पढ़ डाली. मैंने अपने मैनेजर को फोन किया और बताया कि ये स्क्रिप्ट जो मेरे पास भेजी गयी है, मैं उसे करना चाहूंगा. उसने बताया कि ये वही स्क्रिप्ट है, जिसे आपने रात की शूटिंग की वजह से मना कर दिया था. मैंने बोला कि आप बात करके देखो. कास्टिंग नहीं हुई है, तो मैं करना चाहूंगा, भले मुझे कितनी भी रातें जागनी क्यों ना पड़े. मुझे स्क्रिप्ट इतनी पसंद आयी कि मैंने ये भी बोला दिया कि अगर सपोर्टिंग कास्ट में भी कोई रोल बचा है, तो मैं करना चाहूंगा. पता चला कि फिल्म की कास्टिंग नहीं हुई है, क्योंकि इस फिल्म के निर्देशक श्रवण, एक्टर केके मेनन के साथ एक वेबसीरीज में मशरूफ थे. इस फिल्म में मेरा रोल काफी अलग है. अबतक लोगों ने मुझे पुलिस के रोल में ही ज्यादातर देखा है. पहली बार मैं एक डॉन की भूमिका में हूं.

रात में शूट करना कितना टफ रहा था?

वैसे इस फिल्म की पूरी शूटिंग रात में नहीं हुई है. कुछ इनडोर शूट भी है, तो उसकी शूटिंग दिन में ही हुई है. बंद कमरे में बाहर रात है या दिन फर्क नहीं पड़ता है. हां, आउटडोर की शूटिंग रात में ही हुई है. साउथ मुंबई और भायखला में शूटिंग हुई है. मैं डायट पर था, लेकिन जब रात भर आप जगते हो, तो फिर खाने का मन हो ही जाता है और मैं मीठे का शौकीन हूं, तो रात के शूट में गरमा गरम जलेबी, चॉकलेट सबकुछ जमकर खाया है.

इनदिनों टिकट खिड़की पर फिल्में नहीं चल रही हैं. क्या ये बातें परेशान करती हैं?

इस इंडस्ट्री का मैं करीब ढाई दशक से हिस्सा हूं. मुझे पता है कि एक फिल्म से कितने लोगों का परिवार जुड़ा रहता है. जब फिल्में नहीं चलती हैं, तो उसका असर पूरी इंडस्ट्री पर पड़ता है. इंडस्ट्री के लिए बुरा वक्त है. उम्मीद है कि आनेवाले समय में चीजें बेहतर होंगी.

इंडस्ट्री में ये बातें भी आम हैं कि स्टार्स पैसे ज्यादा लेते हैं, जिससे फिल्मों का बजट बढ़ जाता है और बड़े बजट की फिल्मों का बॉक्स ऑफिस पर कमाई कर पाना मुश्किल है?

मैंने पंजाबी फिल्में प्रोडयूस की है. मुझे पता है कि फिल्म मेकिंग में बजट की बहुत अहमियत होती है, पर मैं इस बात को भी जानता हूं कि स्क्रिप्ट से बढ़कर कुछ नहीं है. स्क्रिप्ट अच्छी है, तो बड़े से बड़ा बजट भी टिकट खिड़की पर रिकवर हो जायेगा. जब कोई बड़ी फिल्में चलती हैं, तो छोटी फिल्मों को भी फायदा पहुंचता है.

निर्माता के तौर पर क्या कुछ ओटीटी पर भी लाने की सोच रहे हैं?

हां, बात तो चल रही है, देखिये कब चीजें फाइनल होती हैं.

इंडस्ट्री में अब तक की जर्नी को कैसे देखते हैं?

मुझे हमेशा से पता था अकेले इस इंडस्ट्री में आया हूं और अकेले ही चलना पड़ेगा. भगवान का नाम लेकर बस चलते रहे. 96 में पहली फिल्म रिलीज हुई थी. लंबा वक्त गुजर गया है. समझ गया था कि नाच गाने और रोमांस वाली फिल्मों से यहां नहीं टिक पाऊंगा, क्योंकि वो लगभग एक जैसे ही होती हैं. बड़े बैनर की फिल्मों में मुझे लीड मिलेंगे, ये भी पता था, तो मैंने ‘हासिल’, ‘यहां’ जैसी फिल्में करनी शुरू की. उसके बाद मुन्नाभाई, तनु वेड्स मनु जैसी फिल्मों का हिस्सा बनता चला गया. शुरुआत में डर भी लगता था, पर अब पीछे मुड़कर देखता हूं, तो अपने फैसलों से खुशी होती है. उन्हीं फैसलों की वजह से टिका हुआ हूं.

उतार-चढ़ाव से भरी इस जर्नी में आपके लिए मोटिवेशन क्या रहा.आने वाले प्रोजेक्ट्स?

आपकी फैमिली और दोस्तों का साथ आपको मजबूत बनाता है. एक बार गुलजार साहब ने एक बात कही थी कि यार किसी फिल्म को अपनी किस्मत मत बना लेना. फिल्म चले या ना चले, तुम चलते रहना. तुम मत रुकना.काफी समय के बाद नीरज पांडे के निर्देशन में एक बार फिर दिखूंगा. इसके अलावा एक और वेब सीरीज है.



Source link

Leave a Reply

error: Content is protected !!