कोरोना की तीसरे लहर से बच्चों को बचाने के लिए कवायद तेज, स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी किया गाइडलाइन

कोरोना की तीसरे लहर से बच्चों को बचाने के लिए कवायद तेज, स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी किया गाइडलाइन
• स्वीकृति मिलने पर टीकाकरण पर प्राथमिकता देने की जरूरत
• बच्चों पर निगरानी रखने के लिए स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षण
• अस्पतालों में आईसीयू की सुविधा बढाने पर दिया गया है बल

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया, पंकज मिश्रा, छपरा (बिहार):


वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण की तीसरे लहर से बच्चों को बचाने की कवायद शुरू कर दी गयी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर गाइडलाइन जारी किया गया है जिसमें कहा गया है कि कोरोना के वयस्क रोगियों के उपचार में काम आने वाली आइवरमेक्टिन, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, फैविपिराविर जैसी दवाएं और डाक्सीसाइक्लिन व एजिथ्रोमाइसिन जैसी एंटीबायोटिक औषधियां बच्चों के उपचार के लिए अनुशंसित नहीं हैं क्योंकि कोरोना पीड़ित बच्चों पर इनका परीक्षण नहीं किया गया है। महामारी के मामलों में एक अंतराल के बाद फिर वृद्धि होने की आशंकाओं के बीच सरकार ने बच्चों के लिए कोरोना देखरेख केंद्रों के संचालन के वास्ते दिशा-निर्देश तैयार किए हैं। दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि कोरोना वायरस से गंभीर रूप से संक्रमित बच्चों को चिकित्सा देखभाल उपलब्ध कराने के लिए कोरोना देखरेख प्रतिष्ठानों की मौजूदा क्षमता में वृद्धि की जानी चाहिए। बच्चों के लिए कोरोना रोधी टीके को स्वीकृति मिलने की स्थिति में टीकाकरण में ऐसे बच्चों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए जो अन्य रोगों से पीड़ित हैं और जिन्हें कोरोना का गंभीर जोखिम है।

तीसरे लहर से निपटने के लिए संयुक्त प्रयास की जरूरत:
अगले तीन-चार महीनों में संभावित तीसरी लहर के दौरान संक्रमण के मामलों में किसी भी वृद्धि से निपटने के लिए निजी और सार्वजनिक क्षेत्र को संयुक्त रूप से प्रयास करने की आवश्यकता है। बच्चों की देखरेख के लिए अतिरिक्त बिस्तरों का अनुमान महामारी की दूसरी लहर के दौरान विभिन्न जिलों में संक्रमण के दैनिक मामलों के चरम के आधार पर लगाया जा सकता है। इससे बच्चों में संक्रमण के संभावित मामलों के साथ ही यह अनुमान भी लगाया जा सकता है कि उनमें से कितनों को भर्ती करने की आवश्यकता पड़ेगी। दिशा-निर्देशों में कहा गया है, ‘कोरोना से गंभीर रूप से बीमार बच्चों को देखभाल (चिकित्सा) उपलब्ध कराने के लिए मौजूदा कोरोना देखरेख केंद्रों की क्षमता बढ़ाना वांछनीय है। इस क्रम में बच्चों के उपचार से जुड़े अतिरिक्त विशिष्ट उपकरणों और संबंधित बुनियादी ढांचे की जरूरत होगी।’
पर्याप्त संख्या में हों प्रशिक्षित डाक्टर और नर्से:
पर्याप्त संख्या में प्रशिक्षित डाक्टर और नर्से भी उपलब्ध कराई जानी चाहिए। बच्चों की उचित देखभाल के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों को क्षमता बढ़ाने के कार्यक्रम शुरू करने चाहिए। बच्चों के अस्पतालों को कोरोना पीडि़त बच्चों के लिए अलग बिस्तरों की व्यवस्था करनी चाहिए। कोरोना अस्पतालों में बच्चों की देखभाल के लिए अलग क्षेत्र बनाया जाना चाहिए जहां बच्चों के साथ उनके माता-पिता को जाने की अनुमति हो।
अस्पतालों में आईसीयू सेवाएं बढ़ाने की भी जरूरत:

गाइडलाइन में कहा गया है कि मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम से पीडि़त ऐसे बच्चे जो कोरोना से गंभीर रूप से संक्रमित न हों, की बच्चों के वर्तमान अस्पतालों में ही देखभाल की जानी चाहिए। इन अस्पतालों में एचडीयू और आइसीयू सेवाएं बढ़ाने की भी जरूरत है। सामुदायिक व्यवस्था में घर पर बच्चों के प्रबंधन और भर्ती कराने की जरूरत पर निगरानी रखने के लिए आशा और एमपीडब्ल्यू को शामिल किया जाना चाहिए। इसमें सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और समुदाय समेत सभी पक्षकारों को प्रशिक्षण प्रदान करने पर भी बल दिया गया है।

यह भी पढ़े

असाइनमेंट जमा करने की अंतिम तिथि 30 जून तक बढ़ी-महाकाल कंप्यूटर्स.

LJP के 71 पदाधिकारियों ने पशुपति पारस को चुना राष्ट्रीय अध्यक्ष.

390 वर्ष पहले आज ही के दिन शाहजहां ने किया था तामीर का वादा.

कितना खतरनाक है कोरोना का नया प्रकार ‘डेल्टा प्लस’, महाराष्ट्र में तीसरी लहर का खतरा?

Leave a Reply

error: Content is protected !!