एक कमरें के विद्यालय में चलती है पांच कक्षाएं‚ जिसमें पढ़ते हैं डेढ़ सौ बच्चें

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इसी कमरें में मध्यान्ह भोजन के रखे जाते हैं सभी सामान

मामला गोपालगंज जिले के सिधवलिया प्रखंड के कन्या प्राथमिक विद्यालय शेर का

जनप्रतिनिधि  से लेकर अधिकारियों को नहीं दिखाई देता है यह विद्यालय

श्रीनारद मीडिया‚ सिधवलिया‚ गोपालगंज (बिहार)

गोपालगंज जिले के  सिधवलिया प्रखण्ड के शेर पंचायत में एक ऐसा विद्यालय है जिसमे मात्र एक कमरे में पाँच कक्षाओं के लगभग डेढ़ सौ बच्चे पढ़ते हैं।इसी कमरे में शिक्षकों के बैठने की कुर्सियाँ,पंजी, एवं मध्यान्ह भोजन के सभी सामान रखे जाते हैं। इन बड़ी समस्याओं को शेर गाँव के हर व्यक्ति या जनप्रतिनिधि देखते या सुनते हैं,परन्तु किसी के कान पर जूं नही रेंगती।

प्रधानाध्यापक द्वारा कई बार आवेदन शिक्षा विभाग को दिया गया परन्तु न पदाधिकारियों का ध्यान इस ओर गया और न जनप्रतिनिधियों का। जिसके कारण अभिभावकों में रोष व्याप्त है।


बताते चलें कि शेर गाँव स्थित कन्या प्राथमिक विद्यालय के भवन   सन 1993 मेंबना । शेर के ही भूमिदाता द्वारा एक कट्ठा चार धूर जमीन दान दी गयी। साथ ही उस जमीन में एक कमरा वाला विद्यालय बना दिया गया, जो वर्तमान में एस्बेस्टस से छाया गया है। इस विद्यालय में कुल छः शिक्षक एवं शिक्षिकाऐं हैं। और नामांकित बच्चों की संख्या दो सौ है जिसमे प्रतिदिन सौ-सवा सौ बच्चे पढ़ने आते हैं।

लेकिन आलम यह है कि एक कमरे में ही कुल बच्चे पढ़ने के लिए मजबूर रहते हैं, साथ ही , शिक्षक भी पढ़ाने को मजबूर दिखते हैं। मध्यान्ह भोजन बरामदे में बनाना पड़ता है, चूल्हे की ताप से शिक्षक और बच्चे दोनो परेशान रहते हैं। विद्यालय के आस पास बगीचा भी नही है, जिसमे बच्चों की पढ़ाई हो सके।

उमेश कुमार, प्रधानाध्यापक, प्राथमिक विद्यालय कन्या ,शेर

गर्मी के मौषम में अलबेस्टस के गर्म होने के कारण शिक्षकों एवं बच्चों को उसमे रहना मुश्किल हो जाता है। परेशानी बरसात में और होती है, जब अलबेस्टस टपकने लगता है। इन दिनों बरसात के पानी से इस विद्यालय के चारों तरफ टापू बन जाता है, महीनों तक पानी की निकासी नही होने के कारण बच्चों को कमर तक पानी पार कर आना पड़ता है।

शिक्षकों का कहना है कि हमारी स्थिति आंगनबाड़ी केंद्रों से भी बदतर है।प्रधानाध्यापक उमेश कुमार ने बताया कि यहां भवन के लिए तीन बार राशि आई,मगर जमीन की पैमाईश और कोई कागजात उपलब्ध नही होने के कारण लौटना पड़ा।

उनका कहना है कि लोग बताते हैं कि इस विद्यालय में एक कट्ठा चार धुर जमीन भूमिदाता ने दान दिया है,भूमिदाता के परिजनों का कहना है कि एक कट्ठा जमीन दिया गया। मगर किसी भी जमीन का कागजात उपलब्ध नही कराया गया ताकि मालूम हो सके कि कितनी जमीन है।

चप्पा कल गड़वाने से भी मना कर दिया जाता है।उनका कहना है कि यह एक कमरे का भवन मात्र 6 धुर में है, जिसमे शौचालय और चप्पा कल है।इस विद्यालय की इस अहम समस्या को लेकर शिक्षा विभाग को कई आवेदन दिया। जनप्रतिनिधियों से भी निवेदन कर आवेदन दिया गया। परन्तु किसी का भी ध्यान इस ओर नही होने के कारण विद्यालय परिवार और अभिभावकों में रोष व्याप्त है।

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