26 साल पहले 1997 में बना G20 अब G21 बन गया है,कैसे?

26 साल पहले 1997 में बना G20 अब G21 बन गया है,कैसे?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

दक्षिण अफ्रीका से प्रतिनिधि जोडवा लाली ने न्यूज एजेंसी एएनआइ से बातचीत करते हुए बताया कि दक्षिण अफ्रीका में हमारा एक बहुत बड़ा भारतीय समुदाय है, इसलिए भारत हमारे राष्ट्रीय ढांचे का एक बहुत मजबूत हिस्सा है… हमारे बीच संबंध बहुत लंबे, बहुत गहरे हैं और हमारे संघर्ष के दौरान भारत हमारा बहुत मजबूत मित्र था… क्रिकेट के मैदान को छोड़कर भारत और दक्षिण अफ्रीका बहुत करीबी दोस्त हैं। मैं यहां निजी दौरे पर आना चाहूंगी:

हम एक ऐसी दुनिया में रह रहे हैं जहां लाखों मनुष्य अभी भी भूखे रहते हैं

G20 summit 2023 live update: ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा ने कहा, “… हम एक ऐसी दुनिया में रह रहे हैं जहां धन अधिक केंद्रित है, जहां लाखों मनुष्य अभी भी भूखे रहते हैं, जहां सतत विकास को हमेशा खतरा रहता है, जिसमें सरकारी संस्थान अभी भी वास्तविकता को प्रतिबिंबित करते हैं। हम इन सभी समस्याओं का सामना तभी कर पाएंगे जब हम असमानता के मुद्दे पर ध्यान देंगे – आय की असमानता, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, भोजन, लिंग और नस्ल तक पहुंच और प्रतिनिधित्व की असमानता भी इसके मूल में है।”

9 सितंबर को दिल्ली के भारत मंडपम में PM नरेंद्र मोदी ने अफ्रीकन यूनियन के G20 में शामिल होने की घोषणा की। इसके साथ ही 26 साल पहले 1997 में बना G20 अब G21 बन गया है। अफ्रीकन यूनियन वो संगठन है 1963 में अफ्रीकी देशों को आजादी दिलाने के लिए बनाया था।

2002 में लीबिया के तानाशाह मुअम्मर गद्दाफी ने इस संगठन का स्वरूप बदला। अफ्रीकी देशों को एकजुट कर पश्चिमी देशों को चुनौती दी। अब भारत ने G20 में शामिल उन्हीं पश्चिमी देशों को एकजुट कर दुनिया के सबसे ताकतवर आर्थिक संगठन में अफ्रीकन यूनियन को शामिल कराया है।

25 मई 1963 को इथियोपिया के अदीस अबाबा शहर में 32 अफ्रीकी देश मिलते हैं। ये वो दौर था जब अफ्रीका के ज्यादातर देशों पर ब्रिटेन और फ्रांस जैसे पश्चिमी देशों का कब्जा था। इन सभी नेताओं का एक मंच पर आकर मिलने का मकसद अफ्रीका को पश्चिमी देशों के चंगुल से निकलवाना था। बैठक के दौरान 32 अफ्रीकी देशों ने एक संगठन बनाया, जिसे अफ्रीकी एकता संगठन OAU के नाम से जाना गया।

इस बैठक के दौरान एक इमोशनल स्पीच देते हुए इथियोपिया के राजा हैले सेलासी प्रथम ने कहा था- अफ्रीका में रहने वाले लोग वैसे ही हैं जैसे दुनिया के दूसरे देशों के लोग हैं। ये न तो किसी से कम हैं न किसी से ज्यादा। जब तक अफ्रीकी देशों को आजादी नहीं मिल जाती, हमारा मकसद पूरा नहीं होगा।

1981 आते-आते अफ्रीका और दुनिया के दूसरे हिस्से में इस संगठन की आलोचना होने लगी। आलोचकों का कहना था कि ये संगठन सिर्फ तानाशाहों का क्लब बन कर रह गया है। इसने न तो अफ्रीकी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की और न ही अपने लक्ष्य हासिल किए।

9 साल बाद इस संगठन को फिर जिंदा करने का जिम्मा लीबिया के तानाशाह मुअम्मर अल गद्दाफी अपने कंधों पर लिया। वही गद्दाफी जिसने यूएन के मंच से दुनिया में पश्चिमी देशों के दबदबे के खिलाफ खुलकर अपनी राय रखी। अपने इस अंदाज की वजह से वो सिर्फ लीबिया ही नहीं बल्कि पूरे अफ्रीका में लोकप्रिय बन गए थे।

जुलाई 1999 में अलजीरिया में हुए OAU समिट के दौरान गद्दाफी घोषणा करते हैं कि अफ्रीका के एकजुट होने का वक्त आ गया है। 1963 में एडॉप्ट किए गए चार्टर को बदलना चाहिए। गद्दाफी ने इसके लिए अफ्रीकी देशों के नेताओं को लीबिया के सिर्ते शहर में बुलाया। 9 सितंबर को सिर्ते शहर में गद्दाफी ने अपना विजन उनके सामने रखा। USA की तर्ज पर सभी अफ्रीकी देशों को मिलाकर यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अफ्रीका बनाने की सलाह दी। इसके बाद 2002 में गद्दाफी के नेतृत्व में साउथ अफ्रीका में OAU को बदलकर अफ्रीकन यूनियन कर दिया गया।

गद्दाफी ने लीबिया के तेल भंडारों से कमाया पैसा इस संगठन में लगाया। गद्दाफी की इस पहल पर अफ्रीकी लीडर्स ने उन्हें अफ्रीका का बेटा होने की उपाधि दी। अफ्रीकी देशों ने साथ मिलकर काम करने का फैसला किया। तब से ये संगठन अफ्रीकी देशों के बीच एक कड़ी के तौर पर काम करता है। अब इसमें 55 अफ्रीकी देश शामिल हैं।

खुद को ग्लोबल साउथ का लीडर पेश किया- 55 अफ्रीकी देशों के संगठन अफ्रीकन यूनियन को G20 की सदस्यता दिलाने की कोशिश को भारत और चीन के बीच ग्लोबल साउथ का नेता बनने की होड़ के तौर पर भी देखा जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी BRICS, G20, G7 हर मंच से भारत को उस देश के तौर पर पेश कर रहे हैं जो विकासशील और गरीब देशों के लिए आवाज उठाता है।आज भारत की अध्यक्षता में अफ्रीकन यूनियन को G20 का मेंबर बनवाकर उन्होंने ये साबित करने की कोशिश की है कि भारत इस लायक है कि ग्लोबल साउथ का लीडर बन सके। इससे अफ्रीकी देशों में भारत की पकड़ और मजबूत होगी।

 भारत ने बीते 9 साल में 25 नए दूतावास दूसरे देशों में शुरू किए हैं। इनमें से 18 दूतावास तो सिर्फ अफ्रीकी देशों में खोले गए हैं। अब तो भारत ने G20 में अफ्रीकी देशों के यूनियन को शामिल भी करवा दिया है। इन सब बातों को देखें तो डिप्लोमेसी के लिहाज से भारत के लिए अफ्रीका बेहद महत्वपूर्ण है।

इसके अलावा अफ्रीका लगभग 30 लाख भारतीय मूल के लोगों का घर है, जिनमें से 10 लाख से अधिक लोग दक्षिण अफ्रीका में रहते हैं। केन्या, तंजानिया और युगांडा में भी बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीय रहते हैं। इसकी वजह से अफ्रीका और भारत का पीपल टु पीपल कनेक्शन है। अब इसी को आधार बनाकर भारत अफ्रीका में चीन को पछाड़ने की तैयारी कर रहा है।

Leave a Reply

error: Content is protected !!