अयोध्या श्री राम मंदिर में लगा सोने का दरवाजा, पहली तस्वीर आई सामने

अयोध्या श्री राम मंदिर में लगा सोने का दरवाजा, पहली तस्वीर आई सामने

मंदिर में लगगे सोने के अभी 13 दरवाजे

श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

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अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर में होने जा रहे प्राण प्रतिष्ठा से पहले तैयारियां जोरों पर हैं। निर्माण कार्य तेज कर दिए गए हैं। इसी क्रम में मंगलवार को भगवान श्री राम मंदिर में सोने का पहला दरवाजा लग गया। ऐसे 13 और सोने के दरवाजे अगले तीन दिनों में लगेंगे।

क्या  खास है इस दरवाजे में

राम मंदिर के पहले दरवाजे की जो तस्वीर सामने आई है उसमें दिख रहा है कि दरवाजे के बीच के पल्ले में दो हाथियों की तस्वीर है। जो स्वागत की मुद्रा में हैं। उसके ऊपरी हिस्से में महलनुमा आकृति बनी है जिसमें दो सेवादार हाथ जोड़े खड़े हैं। दरवाजे के निचले हिस्से में चार खाने में सुंदर कलाकृतियां बनी हैं जोकि मन को मोह रही हैं।

 

3 मंजिला होगा भव्य राम मंदिर

बता दें कि अयोध्या में तीन मंजिला राम मंदिर का निर्माण इस साल दिसंबर तक पूरा हो जाएगा। मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा के अनुसार, विस्तृत क्षेत्र में फैले मंदिर परिसर में अन्य ढांचे भी होंगे। मिश्रा   कहा,  हम सभी भगवान राम द्वारा कर्तव्य निर्वहन में प्रदर्शित की गई मर्यादा का पालन कर रहे हैं। अयोध्या में 22 जनवरी को मंदिर के उद्घाटन की तैयारियां की जा रही हैं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसमें शामिल होंगे। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास ने समारोह में 7,000 से अधिक लोगों को आमंत्रित किया है। निर्माण कार्य के बारे में पूछे जाने पर मिश्रा ने कहा, अभी भूतल का निर्माण हुआ है, पहली और दूसरी मंजिल का निर्माण दिसंबर 2024 तक पूरा हो जाएगा।

ग्रंथों से बच्चों के नाम रखने की अपील

अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले मंदिर ट्रस्ट के एक वरिष्ठ सदस्य ने लोगों से अपने बच्चों के लिए नाम हिंदू ग्रंथों से चुनने का आग्रह किया और उन्हें ‘संस्कृति की शिक्षा’ देने का आह्वान किया है। ट्रस्ट के सदस्य स्वामी विश्वप्रसन्ना तीर्थ ने से कहा कि मंदिर के निर्माण से भी बड़ा काम उसे संरक्षित करना है। उन्होंने कहा, “सदियों से हमने जो सपना देखा था, वह पूरा हो गया है। लेकिन यह नहीं मान लेना चाहिए कि हमारी जिम्मेदारियां खत्म हो गईं। हमारी सोच यह होनी चाहिए कि कितने वर्षों तक मंदिर उसी रूप में बना रहे और कोई उसे फिर नुकसान न पहुंचा सके।

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