नारियल से पूजा चढ़ाने की शुरुआत कैसे हुई?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

नारियल का बहुत उपयोगी होता है। इसके पेड़ और फल से बनी वस्तुओं के निर्यात से हमारे देश को हर साल करोड़ों रुपये की आय होती है। नारियल से जुड़े कारोबार को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से प्रति वर्ष दो सितंबर को विश्व नारियल दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1969 में एशियाई देशों से हुई थी। देश का 90 फीसद नारियल केरल कर्नाटक, तमिलनाडु तथा आंध्रप्रदेश में पैदा होता है। नारियल या श्रीफल एक मांगलिक प्रतीक भी है, जिसके माध्यम से हम सुख, कल्याण तथा उत्तम स्वास्थ्य की प्रार्थना करते हैं। श्री का अर्थ होता है लक्ष्मी। इसलिए हर शुभ कार्य में नारियल या श्रीफल अवश्य रखा जाता है।

नारियल फोड़ने का आशय यह है अहंकार समाप्त करना

श्रीफल का प्रयोग प्राचीन समय से ही होता आ रहा है। हमारे वेद, पुराण, उपनिषद आदि में कई स्थानों पर श्रीफल के माध्यम से जन कल्याण की बातें कही गई हैं। कहा जाता है कि एक समय हिंदू धर्म में जानवरों की बलि सामान्य बात थी। आदि शंकराचार्य ने इस अमानवीय परंपरा को तोड़ा और इसके बदले नारियल चढ़ाने की शुरुआत करवाई। नारियल फोड़ने का आशय यह है कि इससे आप अपना अहंकार समाप्त करते हैं।

बतौर करेंसी किया जाता था इस्‍तेमाल

नारियल के पेड़ को स्वर्ग का दरख्त भी कहा जाता है। यह 60 से 100 फुट ऊंचा होता है। एक पेड़ 80 वर्ष तक फल देता है। एक पेड़ से हर साल 70 से 100 नारियल मिलते हैं। कहा जाता है कि 1.5 करोड़ नारियल के पेड़ अकेले केरल में हैं। इसलिए केरल को कोकोनट लैंड भी कहा जाता है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा नारियल उत्पादक देश है। बीसवीं शताब्दी तक निकोबार द्वीप समूह पर सामान खरीदने के लिए साबुत नारियल का इस्तेमाल बतौर करेंसी किया जाता था।

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नारियल के रेशे हवा को रखते हैं शुद्ध

नारियल के पेड़ का प्रत्येक भाग किसी न किसी काम में आता है। तना मकान की छत तथा फर्नीचर बनाने के काम में आता है। पत्तों से पंखे टोकरियां, चटाइयां तथा घरों के छप्पर बनते हैं। जटाओं से रस्सी, ब्रश, जाल, थैले आदि उपयोगी चीजें बनाई जाती हैं। इन्हें गद्दों में भी भरा जाता है। नारियल की खोल से तेल रखने के खूबसूरत पाट तथा हुक्के बनाए जाते हैं। नारियल के रेशे सल्फर डाईआक्साइड और कार्बन डाईआक्साइड जैसी भारी गैसों को सोखकर कमरे की हवा को शुद्ध रखते हैं। ये रेशे जलाकर मच्छर भगाने के काम भी आते हैं।

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कई बीमारियों में आता है काम

नारियल का तेल कई बीमारियों में काम आता है। नारियल पानी में 48.5 फीसद लोरिक एसिड होता है, इसलिए इसे मां के दूध जितना पौष्टिक माना जाता है। एक नारियल में 200 से 250 मिलीलीटर पानी होता है। नारियल पानी ठंडक देने के साथ शरीर में ऊर्जा के स्तर को भी संतुलित करने में मदद करता है। नारियल से कई स्वादिष्ट मिठाइयां बनाई जाती हैं। दक्षिण भारतीय खाने में तो इसका भरपूर उपयोग होता है।

 

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