बिहार में मांझी के विधायक सत्येन्द्र यादव की मुश्किलें बढ़ीं.

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16 साल की लड़की और 14 साल के लड़के की शादी को कोर्ट ने माना वैध,क्यों?

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार में मांझी के सीपीएम विधायक सत्येन्द्र यादव की मुश्किलें बढ़ गयी हैं। जदयू नेता तारकेश्वर सिंह की हत्या  के मामले में एमपी- एमएलए कोर्ट के  विशेष न्यायाधीश नलिन कुमार पांडेय के कोर्ट में सुनवाई हुई।

लोक अभियोजक सुरेंद्र सिंह ने बताया कि यदि साक्षी की जिरह नहीं होती है तो  विधायक के खिलाफ कोर्ट से आदेश जारी हो सकता है। इस मामले की अगली सुनवाई  की तिथि 12 अप्रैल को तय की गई है। मालूम हो कि कोपा थाना क्षेत्र के पतीला गांव निवासी जदयू नेता तारकेश्वर सिंह का शव दो जुलाई 2007 को बरामद किया गया था। गांव के बाहर सूनसान जगह से तारकेश्वर सिंह का शव बरामद हुआ था। इस हत्या में नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी जिसमें  सत्येन्द्र यादव को भी आरोपित किया गया था।

इस मामले में विधायक सत्येंद्र यादव को पूर्व में न्यायालय से जमानत मिली  हुई है। सोमवार को मृतक के पुत्र कुंदन सिंह की गवाही हुई। इसके पहले  दिनेश पंडित,सुनील साह,सुदामा साह,राजेश राम की गवाही भी कोर्ट में हो चुकी है। बहुचर्चित हत्याकांड की सुनवाई को लेकर कोर्ट में गहमा-गहमी थी।

 

बिहारशरीफ की अदालत ने एक ऐसा फैसला दिया है, जिसमें कानूनी बारीकियों के बजाय मानवीय पहलू को तरजीह देने की नजीर पेश की गई है। किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्र ने महज तीन दिनों में केस का निपटारा करते हुए किशोर और किशोरी की शादी को वैध करार दे दिया। साथी ही, जेल में बंद आरोपित किशोर को रिहा कर दिया। इस फैसले ने किशोर और किशोरी की आठ माह की मासूम बच्ची को उसके दादा-दादी के घर पहुंचने का रास्ता भी साफ कर दिया।

यह सूबे का पहला केस है, जब महज तीन दिन में मामले का फैसला सुनाया गया। इस ऐतिहासिक फैसले ने कई नए रिकॉर्ड बनाए। किशोर-किशोरी की शादी को वैध करार दिए जाने से उनसे जन्मी आठ माह की बच्ची को उसका हक मिल गया। हालांकि, जज ने यह भी कहा है कि इस फैसले को आधार बनाकर किसी अन्य मामले में इसका लाभ नहीं लिया जा सकता है।

मासूम के हित में लिया फैसला

जज ने जिला बाल संरक्षण इकाई और हिलसा बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी को बच्ची व किशोर दंपति की उचित देखभाल और संरक्षण के संबंध में हर छह माह पर प्रतिवेदन देने को कहा है। मासूम बच्ची के हितों व भविष्य को देखते हुए यह अनोखा फैसला सुनाया गया है।

 

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