भारतीय वैज्ञानिक ने COVID-19 में विटामिन-डी के लाभ के पीछे के क्रियाविधि का पता लगाया

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श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार )

हाल ही में एक भारतीय वैज्ञानिक ने अपने शोध से पता लगाया है कि विटामिन-डी कैसे कोरोनोवायरस रोग (COVID-19) की गम्भीर जटिलताओ और वायरस को कम करने में मदद करता है। कोविड-19 से संबंधित गंभीर रोग के कारण पूरे विश्व में अब तक 26 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इन मौतों का मुख्य कारण साँस लेने में कठिनाई, फेफड़ों की क्षति और अंग की विफलता है। नवीनतम अध्ययनों से पता लगा है कि विटामिन-डी की कमी से ना केवल कोविड-19 के संक्रमण का ख़तरा बढ़ता है, बल्कि उससे सम्बन्धित जटिलताओं और मृत्यु के ख़तरे भी बढ़ते हैं; हालाँकि इसका पूर्ण जैविक प्रक्रिया स्पष्ट रूप से अभी तक ज्ञात नहीं है।
सऊदी अरब के जेद्दा विश्वविद्यालय के शोधरत भारतीय वैज्ञानिक डॉ. फिरोज अहमद के अध्ययन से विटामिन-डी की कोविड-19 रोग में महत्वपूर्ण भूमिका का पता लगा है । विज्ञान संकाय के जैव-रसायन विभाग में बायोइंफॉर्मेटिक्स और सिस्टम्स बायोलॉजी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. फिरोज अहमद ने अपने अध्ययन में कोरोनावायरस सार्स -कोविड-2 से संक्रमित मानव फेफड़ों की कोशिकाओं के जैविक डेटा का उपयोग किया। इन जटिल डेटा को समझने के लिये उन्होंने कम्प्यूटेशनल और नेटवर्क बायोलॉजी तकनीक का सहायता लिया, और पाया के सार्स-कोविड-2 विषाणु का संक्रमण साइटोकाइन नामक एक विशेष प्रकार के प्रोटीन के उच्च उत्पादन को प्रेरित करता है, जो कोविड-19 रोगियों में गंभीर जटिलताओं और मृत्यु का प्रमुख कारण है। उनके अध्ययन से पता चला है कि विटामिन-डी अपने रिसेप्टर प्रोटीन के साथ मिलके दो जैविक मार्गों के द्वारा लाभ पहुँचता है। (१) साइटोकाइन के भयानक वृद्धि स्तर को रोकने में मदद करता है, और (२) कोरोनावायरस को भी कम करने में मदद करता है।
पूरे विश्व में एक अरब से अधिक लोगों में विटामिन-डी की कमी है। डॉ. फिरोज अहमद का शोध कार्य सार्स-कोविड-2 में विटामिन-डी की भूमिका को विस्तार से समझने का मार्ग प्रदान करता है और उन लाखों लोगों को फायदा हो सकता है जिसमे विटामिन-डी की कमी के कारण कोविड-19 और इससे जुड़ी जटिलताओं का अधिक खतरा है। उनका शोध पत्र एक प्रख्यात अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका “फ्रंटियर्स इन इम्यूनोलॉजी” में प्रकाशित हुआ है।
डॉ. फिरोज अहमद के शोध कार्य मुख्य रूप से कम्प्यूटेशनल पद्धति, नेटवर्क बायोलॉजी और आर्टिफ़िशल इंटेलिजेन्स का उपयोग करके जटील रोग के कारण को समझना और बेहतर उपचार ढूंढने पर केंद्रित है। जेद्दा विश्वविद्यालय में आने से पहले उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका के नोबल रिसर्च इंस्टीट्यूट और न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय में कई सालों तक अनुसन्धान कार्य किया है। डॉ. फिरोज अहमद मूल रूप से बिहार के सीवान जिले के बड़हरिया प्रखंड के एक छोटे से गांव करबला बाजार के स्वर्गीय शमसुल होदा के पुत्र हैं। डॉ. फिरोज अहमद अपनी सफलता के लिए अल्लाह ताला का शुक्रिया अदा करते हैं। शिक्षा और शोध कार्य के दौरान सहयोग के लिए वे अपने परिवार, शिक्षकों, अनुसंधान सलाहकारों, सीएसआईआर, भारत सरकार और यूनिवर्सिटी ऑफ जेद्दा का भी आभार प्रकट करते हैं।

 

 

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