क्या हथुआ पैलेस 420 वर्ष पुराना है?

क्या हथुआ पैलेस 420 वर्ष पुराना है?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

आजादी के बाद राजतंत्र ख़त्म होने के बावजूद बिहार के हथुआ में कोई अंतर नहीं पड़ा है |वर्ष 1956 में जमींदारी उन्मूलन कानून लागु हो गया था जिसमे राजतंत्र समाप्त हो गया था और प्रजातंत्र कायम हुआ था पर आज की स्टोरी एक ऐसे राज परिवार की है जहां हथुआ राज आज भी कायम है यहाँ आज भी राजतंत्र ही है |

हथुआ पैलेस 420 वर्ष पुराना है। इस पैलेस का निर्माण हथुआ राज के 95 वें महाराजा युवराज शाही ने किया था। प्राचीन हथुआ राजवंश के भव्यता व वैभव के प्रतीक के रूप में विशाल हथुआ राज पैलेस आने-जाने वाले पर्यटकों को खूब लुभाता है। हथुआ-मीरगंज मुख्य मार्ग पर 17 एकड़ के विशाल परिसर में स्थित 495 कमरों वाला यह राज पैलेस हथुआ राज के वंशजों का वर्तमान पैतृक निवास स्थल है।

सूबे के सबसे बड़े निजी घरों में से एक यह पैलेस ब्रिटेन के बर्किंघम पैलेस का प्रतिरूप है। यहां रूकना या घूमना एक राजसी एहसास के जैसे है और इतिहास के उन पलों में लौटना है,जब राजतंत्र हुआ करता था। खूबसूरत पैलेस के निर्माण में पूर्वी व पश्चिमी वास्तुकला के प्रभाव का मिश्रण है। वास्तुकला के इजिप्टियन शैली में इस पैलेस का वाह्य निर्माण हुआ है। पैलेस के आगे खूबसूरत विशाल गार्डेन की खूबसूरती देखते बनती है।

हथुआ राज के वर्तमान वंशज महाराज बहादुर मृगेन्द्र प्रताप साही,महारानी पूनम साही,युवराज कौस्तुभ मणि प्रताप साही,युवरानी विदिशा साही,राजकुमारी आद्या चिन्मयी साही के नेतृत्व में राजशाही के शानदार विरासत को जीवित रखने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि इसकी भव्यता को कायम रखना राज परिवार के लिए काफी मुश्किल व चुनौती पूर्ण है। पैलेस में सालों भर कार्यक्रमों का दौर चलता रहता है। दूर-दूर से लोग इस पैलेस को देखने और समझने आते रहते हैं। हालांकि सुरक्षा की दृष्टि से इस पैलेस में सामान्य ढंग से प्रवेश पर रोक है। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच अनुमति के बाद ही प्रवेश संभव है।

1858 से तीन पीढ़ियों ने किया पैलेस का निर्माण

हथुआ राज पैलेस को बनाने में राज वंश की तीन पीढ़ियों की भूमिका रही। इस पैलेस का निर्माण 1858 से 1871 तक महाराजा राजेन्द्र प्रताप साही,1874 से 1896 तक नाइट कमांडर ऑफ द इंडियन एंपायर महाराज बहादुर कृष्ण प्रताप साही तथा 1896 से 1901 तक महाराज गुरू महादेव आश्रम प्रताप साही ने किया। पैलेस की ऊंचाई गुंबद सहित 82 फुट है। जबकि दीवाले 40 इंच मोटी हैं। पैलेस के निर्माण में लगे सभी गार्टर इंग्लैंड से व संगमरमर इटली से मंगाए गए हैं। पैलेस का मुख्य आकषर्ण दरबार हॉल,ब्लू रूम,सिल्वर रूम,विलियर्डस रूम,बल्लम बरछा रूम है।

वहीं अखरोट रूम में सभी फर्निचर अखरोट के बने हुए हैं। पैलेस में प्राचीन बंदूके भी म्यूजियम हॉल में रखी हुई है। इसके अलावा पैलेस के विभिन्न कमरों व बरामदों में ब्रिटेन की महारानी,रूस के जार,इरान के शाह,डेनमार्क,पर्सिया,स्पेन आदि देशों के राजाओं की तस्वीरें व पेंटिंग सजी हुई हैं। पैलेस में 20 की संख्या में संगमरमर की मूर्तियां,झाड़फानूस,हाथी दांत का पेंगुविन आने-जाने वाले लोगों को खूब लुभाता है। फ्रांस के राजा लुई चौदहवां के खरीदे गए सभी फर्निचर वर्तमान में पैलेस में रखे हुए हैं। पैलेस के पहली मंजिल पर राज परिवार के सदस्यों का निवास है। पैलेस के दर्जनों ड्राइंग रूम,बरामदों व कमरों की साज-सज्जा,प्राचीन कीमती व दुर्लभ वस्तुएं सहित अदभूत पेंटिंग पैलेस आने वाले लोगों को एक अदभूत अहसास दिलाता है।

पैलेस के अलावा भी हैं अन्य महल

हथुआ में राज पैलेस के अलावा श्री कृष्ण भवन,शीश महल,पुरानी किला,गोपाल मंदिर आदि प्राचीन ऐतिहासिक धरोहर भी हथुआ राज प्रतीक के तौर पर वर्तमान में लोगों के आकर्षण का केन्द्र हैं।

कभी राजेन्द्र बाबु रहते थे पैलेस में

देश के प्रथम राष्ट्रपति डा राजेन्द्र प्रसाद अपने छात्र जीवन में पैलेस के परिसर में एक कमरें में रह कर स्थानीय इडेन हाई स्कूल में पढ़ाई करते थे। राजेन्द्र बाबु के चाचा हथुआ राज में मुंशी के पद पर कार्यरत थे। जिसके चलते देशरत्न का संबंध भी राज परिवार से था। राष्ट्रपति बनने के बाद वर्ष 1953 में राजेन्द्र बाबू इस पैलेस में आये हुए थे।

स्पेशल अनुमति लेनी पड़ती है हथुवा महल घूमने के लिए

हथुआ महल में कोई भी आसानी से नहीं जा सकता है। उसके लिए परमिशन की जरुरत पड़ती है। एक बार परमिशन मिल जाए तब आप आराम से महल में घूम सकते है। बिहार की राज घराने की अद्भुत मिसाल है हथुआ राज की विरासत। हथुआ महल में घूमने के लिए कोई टिकट नहीं लगता बल्कि इजाजत की जरुरत होती है। आज भी भारत में बहुत सारे महल है और आप आराम से आप जा सकते है और घूम सकते है टिकट ले कर पर यहां नहीं ।

Leave a Reply

error: Content is protected !!