इनोवेशन करते रहने से बढ़ेंगे आगे, स्मार्ट काम है समय की मांग.

इनोवेशन करते रहने से बढ़ेंगे आगे, स्मार्ट काम है समय की मांग.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

फाइनेंस एवं डिजिटल मार्केटिंग जैसे क्षेत्रों का अनुभव रखने वाले शिव विज अपनी कंपनी ‘बायोड एनर्जी’ के जरिये आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित, स्वच्छ एवं पर्यावरण अनुकूल धरा चाहते हैं। इनकी कंपनी देश में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के उद्देश्य से इस्तेमाल हो चुके कुकिंग आयल को बायोडीजल में कनवर्ट करती है, जो पेट्रोल एवं डीजल का शुद्ध एवं वैकल्पिक स्रोत बन सकता है।

हरियाणा स्थित इनके प्लांट में प्रतिदिन 110 किलो लीटर से अधिक बायोडीजल का निर्माण होता है। आने वाले समय में दो नई फैक्ट्रियां शुरू करने के साथ ही उत्तर भारत में 30 नये बायोडीजल पंप खोलने की योजना है। कंपनी के संस्थापक एवं सीईओ शिव कहते हैं, ‘मुझे चुनौतियों का सामना करने में आनंद आता है। हमेशा खुद में और आसपास के लोगों में सुधार लाने का प्रयास करता रहता हूं। मैं मानता हूं कि हमें अपने आसपास के लोगों, अपनी टीम पर विश्वास रखना और नवाचार करते रहना चाहिए।‘

रीजेंट्स यूनिवर्सिटी, लंदन से ग्लोबल बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई करने वाले शिव के दादाजी ने 1970 में अनिका इंटरनेशनल की स्थापना की थी। इसके अलावा उनके पिताजी अनिल विज ने निदेशक के तौर पर पेपर, फार्मा, फर्टिलाइजर, टिंबर, रियल एस्टेट, हास्पिटैलिटी एवं एंटरटेनमेंट के क्षेत्र में कंपनी को विस्तार एवं नई पहचान दिलाई। वे मीडिया एवं वेस्ट मैनेजमेंट जैसी कई कंपनियों के बोर्ड मेंबर रहे हैं। ऐसे में शिव ने भी अपना लक्ष्य काफी ऊंचा रखा था। वह बताते हैं, ‘मैंने पढ़ाई के दौरान ही जाना कि धैर्य एवं दृढ़ता जीवन में सफलता दिलाती है। हमेशा खुद को चुनौती देता था।

कंपनी के विकास के साथ नये क्षेत्रों में संभावनाएं तलाशने के प्रयास करता रहता था। मैं मानता हूं कि इनोवेशन एवं बदलाव से किसी भी कंपनी को सफलता के मुकाम तक पहुंचाया जा सकता है। इस तरह मैंने ‘बायोड’ नाम से नई कंपनी की नींव रखी, जो कचरे, एसिड आयल एवं इस्तेमाल हो चुके कुकिंग आयल से बायोडीजल का निर्माण करती है। दरअसल, यह 2015 की बात है।

संयुक्त अरब अमीरात में हमने बायोड की शुरुआत की। लेकिन हमें लगा कि देश में भी इसकी जरूरत है और फिर बायोड इंडिया एनर्जी की शुरुआत हुई। इस तरह, हमने आयातित क्रूड आयल पर निर्भरता खत्म करने के साथ प्रदूषण के खिलाफ एक जंग लड़ने का अभियान छेड़ा। क्योंकि आज भी इस क्रूड आयल को गैर-कानूनी तरीके से नालियों में बहा दिया जाता है, जिससे शहरों की जलापूर्ति व्यवस्था के प्रदूषित होने के साथ ही पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है।’

भारत के लिए बनाई अलग रणनीति: शिव बताते हैं, दुबई में निर्माण उद्योग अधिक विकसित नहीं हुआ है, इसलिए वहां क्लियरेंस लेने में अधिक देरी होती थी, जबकि हरियाणा में ऐसी कोई दिक्कत नहीं आई। यहां सिंगल विंडो क्लियरेंस से काफी सहूलियत मिली। हमने प्लांट के लिए माडल्स घरेलू बाजार के अनुसार तैयार किए। हम देश के अलग-अलग शहरों के बड़े होटल, रेस्तरां से इस्तेमाल हो चुके तेल को इकट्ठा करते हैं। वेयरहाउस में उनका फिल्ट्रेशन होता है। उसके बाद उसे प्लांट में आगे की प्रोसेसिंग एवं बायोडीजल के निर्माण के लिए भेज दिया जाता है।

सेक्टर में हैं संभावनाएं: शिव की मानें तो रेस्टोरेंट्स से लेकर आम घरों में भोजन बनाने में तेल का प्रयोग होता है। लेकिन एक समय के बाद यह इस्तेमाल तेल बेकार हो जाता है और उसे नालियों में बहा दिया जाता है, जो पर्यावरण के लिए सही नहीं है। इस्तेमाल हो चुके कुकिंग आयल से बायोडीजल का निर्माण मुश्किल नहीं है, लेकिन देश में इस प्रकार के तेल की किल्लत है, जिसके कारण कोई प्लांट स्थापित नहीं हो सके।

न ही किसी ने इस क्षेत्र में काम करने की हिम्मत दिखाई। ब्लैक मार्केट को छोड़ दें तो आज हमारे सामने कोई खास प्रतिस्पर्धा नहीं है। हां, यह सेक्टर अभी अपने शुरुआती दौर में है। लेकिन यहां संभावनाएं काफी हैं, क्योंकि हमारा देश दुबई एवं यूरोप से इस्तेमाल हो चुके कुकिंग आयल का आयात करता है, जिससे फिर बायोडीजल का निर्माण होता है।

शिव के अनुसार, कोई भी देश समय के मुताबिक आगे नहीं बढ़ सकता, अगर वहां नवाचार (इनोवेशन) न हों। आज आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एवं मशीन लर्निंग के विकसित होने से कंपनियों द्वारा इन तकनीकों को नजरअंदाज करना मुश्किल हो गया है। टेक्नोलाजी के जरिये ही कोई कंपनी या देश अपने यहां की उत्पादकता एवं क्षमता को बढ़ा सकता है। ऐसे में इनोवेशन करते रहना वक्त की मांग है। ऐसा नहीं करने पर प्रतिस्पर्धियों के आगे निकलने की संभावना बनी रहती है।

स्मार्ट वर्क है वक्त की मांग: किसी भी उद्यम के लिए फंड्स की आवश्यकता होती है। शिव ने भी पारिवारिक बिजनेस से होने वाली कमाई और बैंक से कर्ज लेकर कंपनी में निवेश किया। इनका कहना है कि फिलहाल वे बिजनेस टु बिजनेस माडल पर काम कर रहे हैं। लाजिस्टिकस, औद्योगिक एवं ट्रांसपोर्टेशन सेक्टर से जुड़े क्लाइंट्स को अब तक 10 मिलियन लीटर बायोडीजल बेचा जा चुका है।

आने वाले समय में कंज्यूमर सेगमेंट को एक्सप्लोर करने का भी इरादा है। नये उद्यमियों से यही कहना चाहते हैं कि नाकामियों से डरे नहीं। आप कुछेक बार गिर सकते हैं, लेकिन एक दिन लक्ष्य तक जरूर पहुंचेंगे। इसके लिए स्मार्ट वर्क करना होगा।

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