3 साल तक नहीं होगी लालू की जमानत, सीबीआई के नए दांव से सिब्बल हैरान

3 साल तक नहीं होगी लालू यादव की जमानत, सीबीआई के नए दांव से सिब्बल हैरान

श्रीनारद मीडिया, रोहितमिश्रा, सेंट्रल डेस्क

लालू प्रसाद यादव एक बार फिर से अपनी जमानत के लिए झारखंड हाई कोर्ट पहुंचे हैं। दावा वही पुराना कि चारा घोटाला के दुमका कोषागार मामले में सीबीआइ की विशेष अदालत से मिली सात साल की सजा की आधी अवधि उन्‍होंने जेल में बि‍ता ली है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार उन्‍हें जमानत दी जानी चाहिए। हालांकि, निचली अदालत ने लालू यादव को इस मामले में दो अलग-अलग धाराओं में सात-सात साल, कुल 14 साल की सजा सुनाई जानी है। कोर्ट ने अपने आदेश में स्‍पष्‍ट लिखा है कि दोनों सजाएं अलग-अलग चलेंगी और एक सजा पूरी होने के बाद दूसरी सजा चालू हो जाएंगी। सीबीआइ ने अदालत के इस आदेश को अब लालू की जमानत के खिलाफ ब्रह्मास्‍त्र के रूप में उपयोग किया है।

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बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव  के पिता और बिहार के पूर्व मुख्‍यमंत्री  राजद सुप्रीमो  लालू प्रसाद यादव  की जमानत  इस बार भी उतनी आसान नहीं दिख रही है, जितनी 2 माह की बाकी सजा पूरी करने के बाद माना जा रहा था। लालू यादव  के वकील कपिल सिब्बल  को एक बार फिर से पछाड़ने की ताक में केंद्रीय जांच एजेंसी, सीबीआइ  ने अपने तरकस से नये तीर छोड़े हैं।

एजेंसी ने अब सीधे-सीधे लालू यादव  की जमानत याचिका पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। ब्‍यूरो का कहना है कि चारा घोटाले  के दुमका कोषागार  मामले में लालू प्रसाद  की जमानत याचिका का कोई औचित्‍य ही नहीं है, उन्‍हें सीबीआइ की विशेष अदालत  ने कुल 14 साल की सजा सुनाई है। दो अलग-अलग धाराओं में सात-सात साल की सजा लालू को दी गई है। कोर्ट ने अपने आदेश में स्‍पष्‍ट रूप से कहा है कि दोनाें सजाएं अलग-अलग चलेंगी। एक सजा पूरी हाेने के बाद दूसरी सजा शुरू हो जाएगी।

बहरहाल, चारा घोटाले  के चार मामलों के सजायाफ्ता राजद अध्‍यक्ष लालू प्रसाद यादव  की जमानत  पर अब 16 अप्रैल को झारखंड हाई कोर्टमें सुनवाई होगी। इस बीच लालू  के वकील कपिल सिब्बल  ने सीबीआइ पर लालू को जेल  से नहीं निकलने देने और जानबूझकर उनके मामले को लटकाने का संगीन आरोप लगाया है। हालांकि सीबीआइ ने समय मांगने के आरोपों को झूठलाते हुए लालू प्रसाद यादव   की जमानत याचिका पर अदालत की ओर से दिए गए तीन दिन के निर्धारित समय से इतर सेम डेट में अपना जवाब दाखिल कर दिया है।

सीबीआइ ने इससे पहले ही झारखंड हाई कोर्ट के उस फैसले पर आपत्ति की है, जिसमें लालू प्रसाद यादव को दी गई सात-सात साल, कुल 14 साल की दोहरी सजा के बदले सिर्फ सात साल की सजा मानकर उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई की जा रही है। एजेंस का कहना है कि सीबीआइ की विशेष अदालत, रांची ने चारा घोटाले के दुमका कोषागार से करोड़ों रुपये की अवैध निकासी के मामले में लालू प्रसाद यादव को दो अगल- अलग धाराओं में सात- सात साल की सजा दो बार सुनाई है।

अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि लालू यादव के लिए दोनों सजाएं एक के बाद एक करके चलाई जानी हैं। ऐसे में लालू प्रसाद यादव को कुल 14 साल की सजा कोर्ट से मिली है। जिसकी आधी सजा सात साल होती है। वर्तमान हालात में लालू प्रसाद यादव की आधी सजा पूरी नहीं हो पा रही है, लिहाजा लालू की जमानत याचिका पर उच्‍च न्‍यायालय की सुनवाई का कोई औचित्य नहीं है।

चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव की ओर से बहस में शामिल हो रहे सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने आशंका जताई है कि सीबीआइ इस मामले में नया दांव खेलने की तैयारी कर रहा है। झारखंड हाई कोर्ट लालू यादव को दुमका कोषागार मामले में सात साल की सजा की आधी अवधि मानकर उनकी जमानत पर सुनवाई कर रहा है। जबकि सीबीआइ इसे 14 साल सजा बता रही है।

ताजा हालातों में संभव है कि सीबीआइ सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के 19 फरवरी के आदेश को चुनौती देकर इस पर स्थगन आदेश प्राप्त कर ले। इससे लालू की जमानत का मामला अगले तीन-चार साल के लिए लटक जाएगा। कपिल सिब्‍बल ने कहा कि स्‍पेशल कोर्ट ने दुमका मामले में लालू प्रसाद यादव को सात-सात साल की अलग-अलग सजा सुनाई है। अदालत ने दोनों सजाएं अलग-अलग चलाए जाने का भी आदेश दिया है। ऐसे में लालू यादव को कुल 14 साल की सजा काटनी है। उन्‍होंने कहा कि सीबीआइ लालू को जेल से बाहर नहीं निकलने देना चाहती।

बता दें कि लालू प्रसाद यादव अभी दिल्‍ली के एम्‍स में अपना इलाज करा रहे हैं। वे किडनी, हर्ट, ब्‍लड प्रेशर, शूगर सहित 12 गंभीर बीमारियों से ग्रस्‍त हैं। उन्‍हें रांची के रिम्‍स से करीब दो माह पहले सीरियस कंडीशन में एयर एंबुलेंस से दिल्‍ली भेजा गया था। तब उनके साथ उनकी बड़ी बेटी मीसा भारती, उनकी पत्‍नी राबड़ी देवी और छोटे बेटे तेजस्‍वी यादव भी दिल्‍ली बेहतर इलाज कराने के लिए गए थे।

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