भोजपुरी भाषा आ साहित्य के महानायक पाण्डेय कपिल जी के बेर बेर नमन आ श्रद्धांजलि बा

भोजपुरी भाषा आ साहित्य के महानायक पाण्डेय कपिल जी के बेर बेर नमन आ श्रद्धांजलि बा

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

फुलसुंघी जइसन भोजपुरी में कालजयी उपन्यास लिखे वाला भोजपुरी के भागीरथ, सुप्रसिद्ध साहित्यकार, समर्थवान संपादक , निष्ठावान भोजपुरिया , महान हस्ताक्षर पाण्डेय कपिल जी के पुण्यतिथि प आखर परिवार श्रद्धांजलि दे रहल बा ।

संछेप में परिचय –

साहित्यिक नाव : पाण्डेय कपिल
पुरा नाव : पाण्डेय कपिलदेव नारायण सिन्हा
घर के नाव : बच्चा पाण्डेय

शिक्षा : एम. ए ( हिन्दी )
शिक्षा संस्थान : काशी हिन्दू विश्वविद्यालय , पटना विश्वविद्यालय , बिहार विश्वविद्यालय
नोकरी : राजभाषा उपनिदेशक

जन्मस्थान : शीतलपुर , पो. शीतलपुर बाजार , वाया – बरेजा , सारन , बिहार

घर-परिवार :
बाबूजी : श्री पाण्डेय जगन्नाथ प्रसाद सिंह ( हिन्दी आ भोजपुरी के कथाकार , निबंध-लेखक , गजलकार )
माई : श्रीमती लालचुन्नी देवी – कुशल शिल्पी
दादा : श्री दामोदर सहाय सिंह ‘ कविकिंकर’ – दिवेदी युग के प्रख्यात कवि-लेखक
परदादा : श्री शिवशंकर सहाय – प्रसिद्ध संगीतज्ञ
छोट भाई : पी चंद्रविनोद , पाण्डेय सुरेंद्र – दुनो लोग सुप्रसिद्ध मुर्तिशिल्पी , मुर्तिकला के प्राध्यापक , भोजपुरी हिन्दी के सुप्रसिद्ध कथाकार-कवि लेखक

प्रकाशित ग्रंथ ( मौलिक ) :

आभास ( हिंदी कविता संग्रह ) ,
फूल और कलियाँ ( बालोपयोगी हिंदी कविता संग्रह ) ,
हीरे के टुक‌डे ( बालोपयोगी हिंदी कविता संग्रह ) ,
हवा और पानी ( बालोपयोगी हिन्दी कविता संग्रह ) ,
नवीन सुबोध व्याकरण ( हिंदी व्याकरण ) ,
भोर हो गइल ( भोजपुरी कविता संग्रह ) ,
फुलसुंघी ( भोजपुरी उपन्यास ) ,
कह ना सकलीं ( भोजपुरी गजल संग्रह ) ,
जीभ बेचारी का कही ( भोजपुरी दोहा संग्रह ) ,
परिन्दा उड़ान पर ( भोजपुरी गजल संग्रह ) ,
दुनिया के शतरंज बिछल बा ( कविता संग्रह )

प्रकाशित ग्रंथ ( अनूदित ) :

आरा में दो मास ( जान जेम्स हाल्स लिखित ‘ दू मंथ्स इन आरा इन 1857 ‘ के हिंदी अनुवाद )

प्रकाशित ग्रंथ ( सम्पादित ) :

नवांजलि ( नौ गो युवा कवियन के हिंदी कविता संग्रह )
सारण्यक ( सारन जिला के बारह वयोवृद्ध कवियन के हिंदी कविता के प्रतिनिधि संकलन )
आचार्य महेंद्र शास्त्री : कृतित्व एवँ व्यक्तित्व ( आचार्य महेंद्र शास्त्री के कृतित्व आ व्यक्तित्व पर विविध लेखकन के 92 गो लेख के , आउर महेंद्र शास्त्री जी के हिन्दी आ भोजपुरी के 175 कवितन के संग्रह )
दसरतन ( विविध लेखकन के लिखल दस गो व्यक्तिपरक निबंध के संग्रह )
योग रामायण ( योगी आत्माराम के लिखल योग-विवेचन )
एक मुठ्ठी लाई ( लघुकथा -संकलन )
भोजपुरी कहानी हाल साल के ( कहानी संकलन )
भोजपुरी सतसई ( दोहा संकलन )
धार के खिलाफ ( भोजपुरी गीत संकलन )

प्रकाशित पत्रिका / स्मारिका ( सम्पादित ) :

हिंदी साप्ताहिक ‘ हुंकार’ के सहायक
हिन्दी साप्ताहिक ‘ उत्तर बिहार ‘ में स्तम्भ लेखन
हिन्दी व्यंग्य पत्रिका ‘ चाणक्य’ के सम्पादक मण्डल में
भोजपुरी त्रैमासिक ‘ उरेह’
भोजपुरी त्रैमासिक ‘ लोग ‘
स्मारिका , दसवाँ अधिवेसन , अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन
भोजपुरी सम्मेलन पत्रिका , अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन

पाण्डेय कपिल जी के लिखल आ संपादित कइल 11 गो किताबिन के भोजपुरी साहित्यांगन के नीचे दिहल लिंक प पढल जा सकेला –

https://bhojpurisahityangan.com/category/writer/pandeykapil/

पुरस्कार :

भोजपुरी अकादमी पुरस्कार , अभय आनंद पुरस्कार, माधव सिंह पुरस्कार
पाण्डेय कपिल जी के भोजपुरी भाषा आ साहित्य में योगदान जुग जुग ले याद कइल जाई, जब ले भोजपुरी भाषा रही तबले पाण्डेय कपिल जी के नाव रही इहां के भोजपुरी खातिर योगदान के नाव रही ।

न्युज 18 प भगवती प्रसाद द्विवेदी जी लिख रहल बानी –

“”

भोजपुरी के गौरव-स्तंभ आचार्य पाण्डेय कपिल. भाषा-साहित्य के बढ़ंती खातिर आपन हाड़-मांस गलावेवाला पाण्डेय कपिल. भोजपुरी के भगीरथ पाण्डेय कपिल. पाण्डेय कपिल-माने, अपना भोजपुरी माई बदे हरेक मोरचा प ‘वन मैन आर्मी’ नियर जूझेवाला एगो दीढ़ इच्छाशक्ति से लबालब भरल सिपाही.

24 सितम्बर,1930 के बिहार के सारन जिला के शीतलपुर(बरेजा)में जनमल पाण्डेय कपिल के साहित्यिक संस्कार विरासत में मिलल रहे. उहां के बाबा दामोदर सहाय ‘कवि किंकर’ अपना जबाना के नामी कवि रहलन आ बालसाहित्य में उन्हुका अवदान के खास तौर से रेघरिआवल जाला. बाबूजी पाण्डेय जगन्नाथ प्रसाद सिंह ग्राम्य चेतना के जियतार कथाशिल्पी रहलन आ उन्हुकर कहानी ‘गुरु दक्षिणा’,उपन्यास ‘घर,टोला,गांव’ अपना समय में चर्चित भइल रहे. घर में एगो विशाल पुस्तकालय रहे,जवना में हिन्दी,उर्दू,संस्कृत,भोजपुरी,अंगरेजी भाषा के दुर्लभ किताब आ पत्र-पत्रिका जोगाके राखल गइल रहली स. बालक कपिल के मन पुस्तकालय के बालपत्रिकन में खूब रमत रहे,नतीजतन लरिकाइएं से बालरचनन के लेखन आ प्रकाशन शुरू हो गइल रहे.शुरुआती पढ़ाई गांवें में भइल रहे. आगा चलिके काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से स्नातक आ बिहार विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर उपाधि हासिल कऽके बिहार सरकार के राजभाषा विभाग में बतौर सहायक अनुवादक सरकारी सेवा शुरू कइले रहनीं, जहवां से उपनिदेशक के पद से सेवानिवृत्त भइल रहनीं.

पटना में आवते पाण्डेय कपिल के रचनाशीलता के पांखि लागि गइल रहे आ ओह घरी के अत्यंत लोकप्रिय कवि ब्रजकिशोर नारायण के अगुवाई में स्थापित साहित्यिक संस्था ‘निराला परिषद्’ से उन्हुकर अंतरंग जुड़ाव हो गइल रहे. गीतकार रामगोपाल शर्मा ‘रुद्र’ संस्था के अग्रणी कवियन में रहलन आ आगा चलिके गोपीवल्लभ सहाय, सत्यनारायण,आलोक धन्वा वगैरह महत्वपूर्ण कवि निराला परिषद् से जुड़त चलि गइलन. ओह घरी ब्रजकिशोर नारायण के अध्यक्षता में सूबा के कोना-कोना में आ सूबा के बाहर खूब कविसम्मेलन होत रहे आ नारायण जी के दुलरुआ पाण्डेय कपिल के ओह सभ में बढ़ि-चढ़िके भागीदारी होत रहे. ओही घरी 1952में उन्हुकर कविता-संग्रह ‘आभास’प्रकाशित होके चर्चित भइल रहे.

बाकिर आगा चलिके पाण्डेय कपिल एह जमीनी हकीकत के अखियान कइलन कि हिन्दी में त सिरिजनशीलन के लमहर फेहरिस्त बा. एकरा से उलट,महतारी भाषा में संगठनात्मक आ सर्जनात्मक स्तर पर मजबूती से काम करेवाला के नितांत अभाव बा. एह से, अइसना समय में, जब उन्हुकर पहिचान हिन्दी कवि का रूप में बनि चुकल रहे, ऊ भोजपुरी आ सिरिफ भोजपुरी में आजीवन सिरिजनशील रहे के संकलप लिहलन आ मरते दम तक ओकर निरबाहो कइलन.

फेरु त बिहार का संगहीं सउंसे देश के तमाम भोजपुरी रचनाकारन आ भोजपुरी प्रेमियन के जोड़िके अखिल भारतीय स्तर के साहित्यिक संस्था ‘अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन’ के स्थापना भइल आ हर साल एकर राष्ट्रीय अधिवेशन पटना,प्रयागराज,देवरिया, गाजीपुर,बिलासपुर,रायपुर,रांची, जमशेदपुर,बोकारो, छपरा,एकमा, मुबारकपुर,कोलकाता, दिल्ली, सासाराम,आरा वगैरह अनगिनत शहरन में मुकम्मल भव्यता आउर साहित्यिक गरिमा का संगें आयोजित भइलन स. आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, केदारनाथ सिंह, भगवतशरण उपाध्याय, उदयनारायण तिवारी, शुकदेव सिंह, विद्यानिवास मिश्र, विवेकी राय, मोती बी ए, भोलानाथ गहमरी नियर नामचीन हस्तियन का संगें आचार्य पाण्डेय कपिलो जी सम्मेलन के अध्यक्ष रहलन. भोजपुरी के सरकारी स्तर पर मान्यता खातिर मए रचनिहारन के संगें लेके ऊ लमहर समय ले संघर्ष कइलन, जवना कारन से सरकार के 1975में भोजपुरी अकादमी के स्थापना करे खातिर मजबूर होखे के परल रहे.

शुरुआती दौर में भोजपुरी के उम्दा रचनाशीलता के प्रकाश में ले आवे का गरज से कपिल जी व्यक्तिगत स्तर पर एगो जियतार पत्रिका ‘उरेह’ के प्रकाशन शुरू कइले रहनीं आ रचना-आमंत्रण के सिलसिला में जब उहां के पोस्ट कार्ड एगो कहानी के मांग का साथे मिलल रहे,तब हम उहां के तत्कालीन सरकारी आवास 2,ईस्ट गार्डिनर रोड में जा पहुंचल रहलीं. उहां पहिलकिए बेर में उहां के नेह-छोह पाके हम अभिभूत हो गइल रहलीं.उहंवें बाबूजी पाण्डेय जगन्नाथ प्रसाद सिंहो जी के दर्शन भइल रहे.आगा चलिके उहां के स्मृति के कथासम्मानो हमरा मिलल रहे.

सम्मेलन के पहिले तिमाही आ बाद में मासिक मुखपत्र ‘भोजपुरी सम्मेलन पत्रिका’ के लमहर समय ले संपादन कऽके पाण्डेय कपिल जी राष्ट्रीय पहिचान दियववले रहनीं आ पत्रिका के संदर्भ विशेषांको छपले रहनीं,जवना में शोधार्थियन खातिर हरेक अंक में छपल विधावार रचनन के ब्यौरा रहे.एकरा पहिले पत्रिका के कई गो यादगार विशेषांक चरचा का केन्द्र में रहलन स, जवना में खास विशेषांक रहलन स-कहानी विशेषांक,लघुकथा विशेषांक, हाइकु विशेषांक,दोहा विशेषांक, गीत विशेषांक वगैरह.

हमरो के उहांके संपादक मंडल में शामिल कऽके समय-समय पर विभिन्न साहित्यिक-सांस्कृतिक मसलन पर ‘कथनी संपादक के’ स्तंभ में तीसेक संपादकीय अग्रलेख लिखववले रहनीं,जवन उहां के संपादकीय अग्रलेखन के संग्रह ‘विविधा’ में संकलित बाड़े स-किछु नांव का संगें आ किछु अनाम. कई गो नवही साहित्यकारन के निरमान में उहां के यादगार भूमिका रहे, बाकिर उन्हनिए में से किछु एहसास फरामोश भस्मासुर उहें के खिलाफ अभियान छेड़े में कवनो कोर-कसर ना छोड़ले रहलन स.उहांके त ‘नीलकंठ विषपायी’ बनिके चुपचाप हलाहल पीयल उचित बुझले रहनीं. अपना भोजपुरी संस्थान आ ग्रंथरत्नम् प्रकाशन से भोजपुरी-हिन्दी के सैकड़न किताबन के छापिके आ ग्रंथमाला के संपादन कऽके उहांके इतिहास रचले रहनीं.

विद्यावाचस्पति,संपादक रत्न, भोजपुरी शिरोमणि, भोजपुरी भास्कर, समाजरत्न, साहित्य वारिधि नियर अनगिनत सम्मानोपाधि से अलंकृत पाण्डेय कपिल जी साहित्य रचते भर ना रहनीं, बलुक उहांके सतासी बरिस के आखिरी सांस ले साहित्य के भरपूर जियतो रहनीं.उहां के उपन्यास ‘फुलसुंघी’ भोजपुरी के कालजयी कृति साबित हो चुकल बा, जवना के हाल में नवही लेखक गौतम चौबे अंगरेजी में अनूदित कऽके पेंगुइन से प्रकाशित करववले बाड़न.

ओह क्लाॅसिक उपन्यास में ऐतिहासिक चरित्र महेन्द्र मिसिर आ ढेलाबाई के अशरीरी प्रेमकथा के उहांके काव्यात्मकता आ कलात्मक ऊंचाई देले रहनीं. उहां के गीत-संग्रह ‘भोर हो गइल’ जहवां चरचा का केन्द्र में रहल,उहंवें ग़ज़ल-संग्रह ‘कह ना सकलीं’ आ ‘परिंदा उड़ान पर’ के अभूतपूर्व कामयाबी मिलल रहे. अपना बेशकीमती दोहन(351) के संग्रह के पाण्डुलिपि तैयार कऽके उहांके हमरा लगे भेजि देले रहनीं, एगो चिट्ठी लगाके कि हम ओकर भूमिका लिखि दीं. हम संकोच करत रहलीं, बाकिर उहां के आदेश के अवहेलना कइल कतई संभव ना रहे. एह से दोहा-संग्रह ‘जीभ बेचारी का कही’ के प्राक्कथन हम ‘कलम बेचारी का लिखी’ शीर्षक से लिखले रहलीं.

फेरु त बाद के तमाम संग्रह-‘दुनिया के शतरंज बिछल बा'(चयनित कविता-संग्रह),’कृष्णार्जुन संवाद'(श्रीमद्भगवद्गीता के भोजपुरी अनूदित कृति),’दुर्गा सप्तशती’ के भूमिको लिखे के परल रहे. गीत संकलन ‘धार के खिलाफ’ आ दोहा संकलन ‘भोजपुरी सतसई’ के संपादन के जिम्मा उहांके हमरे के दे देले रहनीं. उहांके बेरि-बेरि हमरा प भरोसा कइनीं आ हमहूं उहां के बिसवास पर खरा उतरेके हरसंभव कोशिश कइले रहलीं. सचहूं उहांके हमार सभसे भरोसेमंद आ सम्मानित अभिभावक रहनीं.

भोजपुरी भाषा आ साहित्य के महानायक के बेर बेर नमन आ श्रद्धांजलि।

 

 

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