झारखंड में साइबर अपराध के लिए प्रयोग हो रहे मोबाइल नंबर ब्लैक लिस्टेड होंगे
श्रीनारद मीडिया‚ सेंट्रल डेस्कः
रांची : झारखंड में साइबर अपराध के लिए प्रयोग हो रहे मोबाइल नंबर ब्लैक लिस्टेड होंगे. इसके अलावा ऐसे लोगों का किसी बैंक में अकाउंट नहीं खोलने के लिए सीआईडी (साइबर अपराध शाखा) बैंक अधिकारियों से अनुरोध भी करेगी, ताकि साइबर अपराधी ठगी किये गये रुपये किसी बैंक अकाउंट में ट्रांसफर नहीं कर सकें. साइबर अपराधियों पर कार्रवाई के लिए यह योजना सीआईडी के एसपी कार्तिक एस ने तैयार की है. इस दिशा में कार्रवाई के लिए वे रांची, जमशेदपुर व धनबाद के एसपी के अलावा सभी जिलों के एसपी से सहयोग भी ले रहे हैं. उन्होंने सभी से पत्राचार भी किया है. जिसमें उन्होंने राज्य में फर्जी तरीके से सिम हासिल करने को लेकर वर्ष 2020 से वर्तमान समय तक दर्ज केस, आरोपी का नाम, मोबाइल नंबर, कैफ धारक का नाम, पता व जहां से सिम हासिल किया गया था, उसके बारे में विस्तार से जानकारी मांगी है.
एसपी कार्तिक एस ने बताया कि ऐसे लोगों का बैंक में अकाउंट नहीं खुले. इसके लिए जल्द ही बैंक अधिकारियों के साथ बैठक कर विमर्श किया जायेगा. जानकारी के अनुसार कुछ माह पूर्व पुलिस मुख्यालय में वीडियो कांफ्रेंसिंग कर सभी रेंज डीआइजी के साथ बैठक में दुमका रेंज डीआइजी द्वारा यह मामला सामने लाया गया था कि गायब हुए सिम कार्ड का प्रयोग साइबर अपराध में हो रहा है. जिसके बाद सभी थानों को निर्देश दिया गया था कि वे सिर्फ सिम गायब होने से संबंधित मामलों में सनहा दर्ज नहीं करेंगे.
साइबर अपराध से जुड़े केस के अनुसंधान में तेजी लाने के लिए सीआइडी एडीजी प्रशांत सिंह ने सभी अनुसंधानक को टास्क दिया है. उन्होंने सभी अनुसंधानक से प्रत्येक सप्ताह शुक्रवार को तीन बजे तक प्रत्येक केस के अनुसंधान में प्रगति के बारे में जानकारी देने को कहा है. इसके साथ ही केस डायरी की भी मांग की गयी है. केस डायरी नहीं देने पर अनुसंधानक को इसका स्पष्ट कारण बताना होगा. यदि किसी अनुसंधानकर्ता द्वारा लगातार दो-तीन बार बिना समुचित कारण के अनुसंधान से संबंधित केस डायरी समर्पित नहीं की जायेगी. तब ऐसा माना जायेगा कि अनुसंधानकर्ता द्वारा अनुसंधान में रुचि नहीं ली जा रही है.
सीआईडी के एसपी कार्तिक एस ने बताया कि अमूमन साइबर अपराधी फर्जी तरीके से सिम कार्ड हासिल कर इसका प्रयोग करते हैं. इसलिए ऐसे मामलों की जानकारी मिलने के बाद उनका नंबर ब्लैक लिस्टेड करने के लिए संबंधित सर्विस प्रोवाइडर से अनुरोध किया जायेगा, ताकि वे दोबारा इसका प्रयोग किसी साइबर ठगी या साइबर अपराध में नहीं कर सकें.
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