संवत्सर 2078 के आगमन पर हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया नव वर्ष

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श्रीनारद मीडिया, मनोज तिवारी, छपरा (बिहार)

भारतीय संस्कृति के संरक्षक व संवर्धक कहे जाने वाले सनातन धर्मावलंवियो ने हर्षोल्लास पूर्वक नव वर्ष को मनाया ।कोरोना के बढते प्रकोप के कारन पिछले दिनो बिहार सरकार द्वारा सभीं धार्मिक केन्द्रों के बंदी की घोसना के बावजूद आज का दिन काफी उत्साह वर्धक व खुशियो का रहा।लोगो ने अपने घर मे ही नव वर्ष के पावन अवसर पर पूजा अर्चना की और मिठाईयाॅ बाॅटकर नये वर्ष की एक दूसरे को बधाईयां दी।नई पीढी के जो लोग पाशचात्य संस्कृति के एक जनवरी को नया वर्ष समझने की भूल करते आ रहे थे उन्हे भी अपने नये साल चैत्र शुक्लपक्ष प्रतिपदा की जानकारी मिली और उन्होने अगले कैलेण्डर वर्ष एक जनवरी को नही मनाकर चैत्र शुक्लपक्ष प्रतिपदा को नया साल मनाने का संकल्प लिया।गडखा प्रखंड के राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्राप्तकर्ता अखिलेश्वर पाठक ने कहा की हम सबको अपने संस्कृति व संस्कार को कभी नही भूलना चाहिए ।हमारी संस्कृति हमे जीवन को सुगम बनाते हुए हमे सुसभ्य व संस्कारी बनाती है।लोगो ने अपने घर को दीपक से सजाया और मिष्टान बाॅटे तथा पाश्चात्य संस्कृति का त्याग कर विशुद्ध भारतीय संस्कृति व परंपराओ को अपनाने का संकल्प लेते हुए एक जनवरी को नया वर्ष न मनाने की बात स्वीकारी ।शिक्षक संघ बिहार के प्रदेश कोषाध्यक्ष राकेश कुमार सिंह ने कहा की हम अंग्रेजो की गुलामी से तो छुटकारा पा गये लेकिन हमारी नई पीढियाॅ अंग्रेजो की संस्कृति को नही त्याग पाये है।वही आमी मंदिर के पूजेरी सह सेवा निवृत्त प्रधानाध्यापक शिवकुमार तिवारी ने कहा की पाशचात्य संस्कृति हमारे नव पीढियो के वेलेनटाईन डे और एक जनवरी मनाने पर विवश कर रही है जिसका खामियाजा हम सब भुकत रहै है।हमारे भारतीय संस्कृति मे वेलेनटाईन डे का कोई स्थान नही।ना ही एक जनवरी का कोई धार्मशास्त्रीय महत्व है।हमारा नया साल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होता है।आज से हमरा पंचांग बदल जाता है और वैदिक मंत्रोच्चारण से सभी मंदिर मठ व घर गुंजयमान हो जाते है।

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