सीएचसी कसबा में फाइलेरिया मरीजों के साथ मनाया गया एनटीडी दिवस 

सीएचसी कसबा में फाइलेरिया मरीजों के साथ मनाया गया एनटीडी दिवस

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फाइलेरिया संक्रमण से सुरक्षा के लिए लोगों को दी गई जानकारी:
फाइलेरिया ग्रसित अंग पर साफ सफाई व महलम लगाने का मिला निर्देश:
फाइलेरिया से सुरक्षा के लिए एमडीए कार्यक्रम में भाग लेना जरूरी:

श्रीनारद मीडिया, पूर्णिया,(बिहार):


विश्व में बहुत सी ऐसी बीमारियां है जिसके संक्रमण से लोगों का जीवन तो सुरक्षित रहता है, परंतु संक्रमित व्यक्ति को पूरे जीवन ऐसे संक्रमण के साथ जीवन यापन करना होता है। ऐसे रोगों को उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (एनटीडी) की श्रेणी में रखा गया है। एनटीडी रोगों में 20 से भी अधिक बीमारियां शामिल हैं । इसमें मुख्य रूप से फाइलेरिया एवं कालाजार भी शामिल है। सोमवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, कसबा में स्वास्थ्य विभाग द्वारा विश्व उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (एनटीडी) दिवस का आयोजन किया गया जिसमें क्षेत्र के बहुत से फाइलेरिया व कालाजार मरीजों को शामिल किया गया। सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में सभी मरीजों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा फाइलेरिया व कालाजार से सुरक्षित रहने के विभिन्न उपायों की जानकारी दी गई। कार्यक्रम में जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. आर. पी. मंडल, भीबीडीओ रवि नंदन सिंह, सीएचसी कसबा प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. ए. के. सिंह, बीसीएम उमेश पंडित, केटीएस डीसी स्नेहलता, सीफार भीएल डीसी ज्योति प्रिया, बीसी निरंजन पंडित सहित अन्य स्वास्थ्य अधिकारी व मरीज उपस्थित रहे।

फाइलेरिया संक्रमण से सुरक्षा के लिए लोगों को दी गई जानकारी:
कार्यक्रम में लोगों को मुख्य रूप से उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों में शामिल फाइलेरिया और कालाजार से सुरक्षित रहने की आवश्यक जानकारी दी गई। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. आर. पी. मंडल ने कहा कि फाइलेरिया व कालाजार की बीमारी किसी भी सामान्य मनुष्य को हो सकता है। कालाजार संक्रमित होने पर लोगों को तुरंत सरकारी अस्पताल में जांच करवानी चाहिए। समय से कालाजार की जांच व इलाज के बाद लोग सुरक्षित हो सकते हैं। फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है जो क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। फाइलेरिया संक्रमण की जानकारी लोगों को 5-6 साल बाद मिलती है। एक बार फाइलेरिया संक्रमित होने पर उसका सम्पूर्ण इलाज नहीं हो सकता है। लोगों द्वारा आवश्यक व्यायाम व साफ सफाई करने से इसे नियंत्रित रखा जा सकता है। सभी लोगों को फाइलेरिया के प्रति जागरूक रहना चाहिए जिससे वे संक्रमण से सुरक्षित रह सकें।

फाइलेरिया ग्रसित अंग पर साफ सफाई व महलम लगाने का मिला निर्देश:
कार्यक्रम में फाइलेरिया ग्रसित सभी मरीजों को स्वउपचार किट देने के साथ ही उन्हें उसपर ध्यान रखने के लिए आवश्यक उपायों की जानकारी दी गई। भीबीडीसी रवि नंदन सिंह ने बताया कि फाइलेरिया संक्रमित होने पर व्यक्ति को हर महीने एक-एक सप्ताह तक तेज बुखार, पैरों में दर्द, जलन के साथ बेचैनी होने लगती है। इस स्थिति को एक्यूट अटैक कहा जाता है। इस स्थिति में कुछ मरीजों द्वारा गर्म पानी से पैर धोते हुए ब्लेड या कैंची से पैर के चमड़ों को काटा जाता है । यह बिल्कुल गलत तरीका है। एक्यूट अटैक के समय मरीज को पैर को साधारण पानी में डुबाकर रखना चाहिए या भीगे हुए धोती या साड़ी को पैर में अच्छी तरह लपेटना चाहिए। ऐसी स्थिति में पैर को लगातार साबुन से साफ करना चाहिए और सभी घाव के साथ पैरों और उनके अंगुलियों के बीच हुए क्रैक या गैप में एन्टीबैक्टेरियल एवं एन्टीफंगल क्रीम लगाना चाहिए। तेज बुखार होने पर मरीज पैरासिटामोल की गोलियों का उपयोग कर सकते हैं। पैर में ज्यादा जलन होने पर उसे ठंडे पानी में डालना चाहिए।

सामान्य लोगों को फाइलेरिया से सुरक्षा के लिए एमडीए कार्यक्रम में भाग लेना जरूरी:
सीएचसी कसबा प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. ए. के. सिंह ने बताया कि फाइलेरिया संक्रमण से लोगों को सुरक्षित रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर साल सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम चलाया जाता है जिसके दौरान स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा घर घर जाकर 02 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को एल्बेंडाजोल, डीईसी व आइवेर्मेक्टिग की दवा खिलाई जाती है। इन दवाइयों के नियमित सेवन से लोग फाइलेरिया जैसी भयानक बीमारी से सुरक्षित रह सकते हैं। इसके साथ ही लोगों को सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करना चाहिए और आसपास के क्षेत्रों में गंदे पानी को इकट्ठा होने से रोकना चाहिए।

फाइलेरिया संक्रमित मरीजों को निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए:
• पैरों से सम्बंधित व्यायाम करें
• पैरों की पूरी तरह सफाई करें
• पैरों को हमेशा उठाकर रखें
• पूरा पैर को दिन में कम से कम चार बार सामान्य पानी से साफ करना चाहिए और उसपर क्रीम लगाना चाहिए।

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