प्रधानमंत्री ने वित्त मंत्रालय तथा कॉरपोरट मामले मंत्रालय के प्रतिष्ठित सप्ताह समारोह का उद्घाटन किया

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

प्रधानमंत्री ने क्रेडिट लिंक्ड सरकारी योजनाओं के राष्ट्रीय पोर्टल-जन समर्थ पोर्टल को लॉन्‍च किया

‘‘यही समय है जब हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों में नई ऊर्जा समावेशित करें तथा खुद को नए वादों के लिए समर्पित कर दें’’

‘‘बढ़ी हुई सार्वजनिक भागीदारी ने देश के विकास को प्रेरणा दी है तथा सबसे निर्धन को सशक्त बनाया है’’

‘‘हम नागरिकों में अभाव की मानसिकता से बाहर आने तथा बड़े स्वप्न देखने का एक नया आत्म-विश्वास देख रहे हैं’’

‘‘21वीं सदी का भारत जन-केंद्रित शासन के दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ रहा है’’

‘‘जब हम सुधार, सरलीकरण तथा सहजता की शक्ति के साथ आगे बढ़ते हैं तो हम एक नए स्तर की सुविधा प्राप्त करते हैं’’

‘‘विश्व हमें एक सक्षम, रूपांतरकारी, रचनाशील, नवोन्मेषी इकोसिस्टम के रूप में आशा और विश्वास के साथ देख रहा है’’

‘‘हमने आम भारतीय की बुद्धिमता पर विश्वास किया है। हमने आम लोगों को विकास में बुद्धिमान प्रतिभागियों के रूप में प्रोत्साहित किया’’

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वित्त मंत्रालय तथा कॉरपोरेट मामले मंत्रालय के प्रतिष्ठित सप्ताह समारोह का उद्घाटन किया। यह सप्ताह 6 से 11 जून 2022 तक ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ (एकेएएम) के हिस्से के रूप में मनाया जा रहा है। उन्होंने क्रेडिट लिंक्ड सरकारी योजनाओं के राष्ट्रीय पोर्टल-जन समर्थ पोर्टल को भी लॉन्‍च किया। उन्होंने एक डिजिटल प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया जो पिछले आठ वर्षों के दौरान दोनों मंत्रालयों की यात्रा का पता लगाती है। प्रधानमंत्री ने 1 रुपया, 2 रुपये, 5 रुपये, 10 रुपये तथा 20 रुपये के सिक्कों की एक विशेष श्रृंखला भी जारी की। सिक्कों की इस विशेष श्रृंखला में एकेएएम के लोगो की थीम होगी तथा दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए भी यह आसानी से पहचाने जाने योग्य होगी।

प्रधानमंत्री ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि जिस किसी ने भी स्वतंत्रता के लिए लंबे संघर्ष में भाग लिया, उसने इस आंदोलन में एक अलग आयाम जोड़ा तथा इसकी ऊर्जा में बढोतरी की। कुछ लोगों ने सत्याग्रह का मार्ग अपनाया तो कुछ लोगों ने हथियारों का रास्ता चुना, कुछ लोगों ने आस्था और अध्यात्मिकता का सहारा लिया तो कुछ लोगों ने बौद्धिक रूप से स्वतंत्रता की अलख जगाये रखी और आज हम उन सभी का योगदान स्वीकार करते हैं।

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि आज जब हम स्वतंत्रता के 75 वर्षों का समारोह मना रहे हैं तो यह प्रत्येक देशवासी का कर्तव्य है कि वह अपने स्तर पर विकास में विशेष योगदान दे। उन्होंने कहा कि यही समय है जब हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों में नई ऊर्जा समावेशित करें तथा खुद को नए वादों के लिए समर्पित कर दें।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने पिछले आठ वर्षों में विभिन्न आयामों पर भी कार्य किया है। इस अवधि के दौरान आम लोगों की जो सहभागिता बढ़ी, उसने देश के विकास को प्रेरणा प्रदान की है तथा देश के सबसे निर्धनों में से निर्धन व्यक्ति को सशक्त बनाया है। प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की कि स्वच्छ भारत अभियान ने निर्धनों को सम्मान के साथ जीने का अवसर उपलब्ध कराया। पक्का घर, बिजली, गैस, पानी तथा निशुल्क उपचार ने गरीबों की गरिमा बढ़ाई तथा सुविधाओं में सुधार किया। कोविड अवधि के दौरान निशुल्क राशन की योजना ने 80 करोड़ से अधिक देश्वासियों को भूख के भय से मुक्ति दिलाई। उन्होंने कहा, ‘हम नागरिकों में अभाव की मानसिकता से बाहर आने तथा बड़े स्वप्न देखने का एक नया आत्मविश्वास देख रहे हैं।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश ने अतीत में सरकार-केंद्रित शासन का बड़ा प्रकोप सहा है। लेकिन आज 21वीं सदी का भारत जन-केंद्रित शासन के दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि पहले यह लोगों की जिम्मेदारी थी कि वे योजनाओं का लाभ उठाने के लिए सरकार के पास जायें। अब शासन को आम लोगों तक ले जाने तथा उन्हें विभिन्न मंत्रालयों और वेबसाइटों का बेवजह चक्कर लगाने से मुक्ति दिलाने पर जोर दिया जा रहा है। क्रेडिट लिंक्ड सरकारी योजनाओं के राष्ट्रीय पोर्टल-जन समर्थ पोर्टल को लॉन्‍च किया जाना इस दिशा में एक प्रमुख कदम है। उन्होंने कहा कि यह पोर्टल छात्रों, किसानों, व्यावसायियों, एमएसएमई उद्यमियों के जीवन में सुधार लाएगा तथा उनके सपनों को साकार करेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोई भी सुधार, अगर इसके उद्देश्य तथा लक्ष्य स्पष्ट हों तथा इसके कार्यान्वयन में गंभीरता हो इसके परिणाम ही सुनिश्चित होते हैं। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि पिछले आठ वर्षों में देश द्वारा आरंभ किए गए सुधारों के केंद्र में हमारे देश के युवाओं को रखा गया है। इससे उन्हें अपनी क्षमता प्रदर्शित करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे युवा आसानी से अपनी मनचाही कंपनी खोल सकते हैं, वे सहजता से अपना उद्यम आरंभ कर सकते हैं तथा उन्हें आसानी से चला सकते हैं। इसलिए, 30 हजार से अधिक अनुपालनों में कमी किए जने के द्वारा, 1500 से अधिक कानूनों को खत्म करके तथा कंपनी अधिनियम के कई प्रावधानों का गैरअपराधीकरण किए जाने के द्वारा, हमने यह सुनिश्चित किया है कि भारतीय कंपनियां न केवल आगे बढ़ें बल्कि नई ऊंचाइयां भी अर्जित करें।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि सुधारों में सरकार का फोकस सरलीकरण पर है। जीएसटी ने अब केंद्र और राज्य के कई करों के जाल की जगह ले ली है। देश अब इस सरलीकरण का परिणाम भी देख रहा है। उन्होंने कहा कहा कि अब जीएसटी संग्रह का प्रत्येक महीने एक लाख करोड़ रुपये को पार करना सामान्य हो गया है। उन्होंने कहा कि जीईएम पोर्टल ने सरकार में खरीद की प्रक्रिया नए प्रकार से सुविधाजनक बना दिया है तथा सरकार को बिक्री करना अब बहुत सरल हो गया है। प्रधानमंत्री ने जानकारी दी कि पोर्टल के लिए खरीद का आंकड़ा 1 लाख करोड़ को पार कर गया है। उन्होंने उन पोर्टलों की भी चर्चा की जो व्यवसाय करने में सुगमता ला रहे हैं। उन्होंने निवेश के अवसरों की जानकारी के लिए इनन्वेस्ट इंडिया पोर्टल, व्यावसायिक औपचारिकताओं के लिए सिंगल विंडो मंजूरी पोर्टल की भी चर्चा की। प्रधानमंत्री ने बताया, ‘इस श्रृंखला में जन समर्थ पोर्टल देश के युवाओं तथा स्टार्टअप इकोसिस्टम की सहायता करेगा।’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘आज तब हम सुधार, सरलीकरण तथा सहजता की शक्ति के साथ आगे बढ़ते हैं, तो हम एक नए स्तर की सुविधा प्राप्त करते हैं… हमने पिछले आठ वर्षों में प्रदर्शित किया है कि अगर भारत सामूहिक रूप से कुछ करने का निर्णय लेता है तो भारत विश्व के लिए एक नई आशा बन जाता है। आज विश्व भारत को न केवल एक बड़े उपभोक्ता बाजार के रूप में देख रहा है बल्कि हमें एक सक्षम, रूपांतरकारी, रचनाशील, नवोन्मेषी इकोसिस्टम के रूप में भी देख रहा है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व का एक बड़ा हिस्सा चाहता है कि भारत समस्याओं का समाधान करे। ऐसा इसलिए संभव है क्योंकि पिछले आठ वर्षों के दौरान हमने आम भारतीयों की बुद्धि पर विश्वास किया है। प्रधानमंत्री ने यूपीआई की उपलब्धि का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘हमने आम लोगों को विकास में बुद्धिमान सहभागियों के रूप में प्रोत्साहित किया। हमने हमेशा पाया कि सुशासन के लिए जो भी प्रौद्योगिकी लागू की जाती है, उसे न केवल लोगों द्वारा अपनाया जाता है बल्कि उनके द्वारा सराहना भी की जाती है।’’

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