रावण ने कैलाश पर्वत को उठा लिया फिर धनुष क्यों नहीं उठा पाया

रावण ने कैलाश पर्वत को उठा लिया फिर धनुष क्यों नहीं उठा पाया

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया, विकास तिवारी, सेंट्रल डेस्‍क:

रावण ने कैलाश पर्वत को उठा लिया फिर धनुष क्यों नहीं उठा पाया और श्रीराम ने कैसे धनुष तोड़ दिया -: ऐसा था धनुष : भगवान शिव का धनुष बहुत ही शक्तिशाली और चमत्कारिक था। शिव ने जिस धनुष को बनाया था उसकी टंकार से ही बादल फट जाते थे और पर्वत हिलने लगते थे। ऐसा लगता था मानो भूकंप आ गया हो।

यह धनुष बहुत ही शक्तिशाली था।इसी के एक तीर से त्रिपुरासुर की तीनों नगरियों को ध्वस्त कर दिया गया था। इस धनुष का नाम पिनाक था। देवी और देवताओं के काल की समाप्ति के बाद इस धनुष को देवराज इन्द्र को सौंप दिया गया था। देवताओं ने राजा जनक के पूर्वज देवराज को दे दिया।

राजा जनक के पूर्वजों में निमि के ज्येष्ठ पुत्र देवराज थे। शिव-धनुष उन्हीं की धरोहरस्वरूप राजा जनक के पास सुरक्षित था।उनके इस विशालकाय धनुष को कोई भी उठाने की क्षमता नहीं रखता था, लेकिन भगवान राम ने इसे उठाकर इसकी प्रत्यंचा चढ़ाई और इसे एक झटके में तोड़ दिया। श्रीराम चरितमानस में एक चौपाई आती है:-

“उठहु राम भंजहु भव चापा।
मेटहु तात जनक परितापाI”

भावार्थ- गुरु विश्वामित्र जनकजी को बेहद परेशान और निराश देखकर श्री रामजी से कहते हैं कि हे पुत्र श्रीराम उठो और “भव सागर रुपी” इस धनुष को तोड़कर, जनक की पीड़ा का हरण करो।”

इस चौपाई में एक शब्द है ‘भव चापा’ अर्थात इस धनुष को उठाने के लिए शक्ति की नहीं बल्कि प्रेम और निरंकार की जरूरत थी।यह मायावी और दिव्य धनुष था।उसे उठाने के लिए दैवीय गुणों की जरूरत थी।कोई अहंकारी उसे नहीं उठा सकता था।

रावण एक अहंकारी मनुष्‍य था। वह कैलाश पर्वत तो उठा सकता था लेकिन धनुष नहीं।धनुष को तो वह हिला भी नहीं सकता था। वन धनुष के पास एक अहंकारी और शक्तिशाली व्यक्ति का घमंड लेकर गया था।रावण जितनी उस धनुष में शक्ति लगाता वह धनुष और भारी हो जाता था। वहां सभी राजा अपनी शक्ति और अहंकार से हारे थे।

जब प्रभु श्रीराम की बारी आई तो वे समझते थे कि यह कोई साधारण धनुष नहीं बल्की भगवान शिव का धनुष है। इसीलिए सबसे पहले उन्हों धनुष को प्रणाम किया।फिर उन्होंने धनुष की परिक्रमा की और उसे संपूर्ण सम्मान दिया।प्रभु श्रीराम की विनयशीलता और निर्मलता के समक्ष धनुष का भारीपन स्वत: ही तिरोहित हो गया और उन्होंने उस धनुष को प्रेम पूर्वक उठाया और उसकी प्रत्यंचा चढ़ाई और उसे झुकाते ही धनुष खुद ब खुद टूट गया।

कहते हैं कि जिस प्रकार सीता शिवजी का ध्यान कर सहज भाव बिना बल लगाए धनुष उठा लेती थी,उसी प्रकार श्रीराम ने भी धनुष को उठाने का प्रयास किया और सफल हुए…

यह भी पढ़े

जदयू प्रदेश अध्यक्ष का सारण में  होगा जोरदार स्वागत  

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने विद्यालयों का किया निरीक्षण

गया में वार्ड पार्षद लाछो देवी स्मैक के साथ गिरफ्तार

देश के 9वें प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को नमन

मणिपुर में शांति बहाल करना केंद्र और राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है-जयराम रमेश

मशरक महाराजगंज रेलखंड पर में चैनपुर गांव में बनकर तैयार रेल ओवरब्रिज, उद्घाटन के इंतजार में अब तक बंद

तेलंगाना परिवारवाद के जाल में फंसा-पीएम मोदी

अपराध की योजना बनाते तीन अपराधी को एक देशी कट्टा व तीन जिंदा कारतूस के साथ गिरफ्तार

Leave a Reply

error: Content is protected !!