शिक्षक कभी सेवानिवृत्त नहीं होते, जीवन भर देते हैं शिक्षा,इनसे जितना सीखिए, कम है :- हरेकृष्ण

शिक्षक कभी सेवानिवृत्त नहीं होते, जीवन भर देते हैं शिक्षा,इनसे जितना सीखिए, कम है :- हरेकृष्ण

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श्रीनारद मीडिया, राकेश सिंह, सीवान (बिहार):

सीवान जिले के  पचरूखी  प्रखंड के मध्य विद्यालय सहलौर में सेवानिवृत्त शिक्षक जनार्दन प्रसाद के सम्मान में सम्मान समारोह आयोजित किया गया।

इस समारोह में श्री प्रसाद को शिक्षकों,गणमान्य नागरिकों एवं जनप्रतिनिधियों ने माला पहना कर सम्मानित किया।
कार्यक्रम की शुरुआत स्कूल की बच्चियों ने स्वागत गान से किया।
इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कमलेश कुमार सिंह ने कहा कि शिक्षक की सेवा बहुत अद्वितीय होती है। कल-कारखानों और अन्य संस्थाओं में काम करने वाले अधिकांश लोगों का संबंध निर्जीव तत्वों से होता है, लेकिन एक शिक्षक का संबंध बच्चों से होता है, जिनका मन सदैव उछल-कूद करता रहता है। बच्चों के मन को केंद्रित करके उनको शिक्षित करने का काम एक कुशल शिक्षक ही कर सकता है।

श्री प्रसाद ने अपने कार्यकाल में एक शिल्पकार की भांति बच्चों को गढ़कर देश के योग्य नागरिक बनाने का काम करते आए हैं।

वहीं साकेत कुमार ने कहा कि जनार्दन सर शिक्षा के प्रति समर्पण के साथ-साथ इसे जीवन मंत्र बनाने के लिए जो राह चुनी वह हम सब के लिए अनुकरणीय है।इनकी जितनी भी सराहना की जाए कम है।
वहीं हरेकृष्ण सिंह ने कहा एक शिक्षक आजीवन ज्ञान की धारा से जुड़े रहते हैं।

वह सेवानिवृत्त नहीं होते,जीवन भर शिक्षा देते हैं।इनसे जितना सीखा जाए वह कम ही है।ये सरकारी सेवा से निवृत्त होते हैं लेकिन शिक्षाकार्य से कभी निवृति नहीं ले सकते है। शिक्षाविशारदों एवं सरकार को गुरु एवं शिष्‍य की प्राचीन पावन परंपरा को फिर से स्‍थापित करने की दिशा में काम करना चाहिए, ताकि विद्यार्थीगण आजीवन अपने शिक्षकों को स्‍मरण करें।

वहीं कृष्ण भगवान पांडेय ने कहा कि माता-पिता बच्चे को जन्म देते हैं। उनका स्थान कोई नहीं ले सकता, लेकिन एक शिक्षक ही है जिसे हमारी भारतीय संस्कृति में माता-पिता के बराबर दर्जा दिया जाता है। क्योंकि शिक्षक ही हमें समाज में रहने योग्य बनाता है। शिक्षक को ‘समाज का शिल्पकार’ कहा जाता है।
वहीं कृष्णा कुमार ने कहा कि सेवा से निवृत्ति एक प्रक्रिया है।परंतु सेवानिवृत्ति के बाद भी शिक्षकों को ऊर्जावान बने रहना चाहिए। राजकीय सेवा से निवृत्त होने के बाद समाज सेवा में संलग्न होकर समाज और देशहित में अधिक जोश के साथ जुटना चाहिए।

वहीं गुड़िया कुमारी ने कहा कि समाज में काम तो कई तरह के हैं, लेकिन शिक्षक की जिम्मेदारी सर्वाधिक है। एक शिक्षक को केवल वर्तमान देखकर नहीं, बल्कि भविष्य देखकर भी कार्य करना होता है।
समारोह का संचालन आनंददेव साह ने किया।

मौके पर असगर अली,कृष्णा कुमार, प्रशांत चंद्र, रंजना,सीमा कुमारी, संगीता कुमारी, अनुप कुमारी,कुमारी आरती, स्मिता कुमारी, अंजली कुमारी सहित दर्जनों शिक्षक एवं सभी छात्र उपस्थित थे।

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