जनगणना अधिसूचना में जातिवार जनगणना का उल्लेख नहीं है- कांग्रेस

जनगणना अधिसूचना में जातिवार जनगणना का उल्लेख नहीं है- कांग्रेस

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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देशव्यापी जनगणना कराए जाने की सरकार द्वारा सोमवार को जारी अधिसूचना में जातिवार जनगणना का उल्लेख नहीं किए जाने को लेकर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। अधिसूचना को आधा-अधूरा तथा निराशाजनक करार देते हुए पार्टी ने दावा किया है कि जनगणना कराने की जो प्रक्रिया सामने आयी है वह जाति को शामिल करने पर मौन है.
इसे जातिवार जनगणना कराने की सरकार की घोषणा के प्रतिकूल बताते हुए पार्टी ने पूछा कि क्या यह उसका एक और ‘यू-टर्न’ है। जातिवार जनगणना की अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए कांग्रेस ने सामाजिक-आर्थिक मापदंडों पर विस्तृत आंकड़ा जुटाने के लिए तेलंगाना के ताजा मॉडल की तर्ज पर जनगणना कराए जाने की पैरोकारी भी की।

अधिसूचना को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर साधा निशाना

केंद्र सरकार के अधिसूचना जारी करने के बाद कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने बयान जारी करते हुए कहा कि लंबे इंतजार के बाद जनगणना की बहुप्रतीक्षित अधिसूचना आखिरकार जारी हुई मगर यह खोदा पहाड़, निकली चुहिया जैसा है क्योंकि इसमें केवल वही बातें दोहरायी गई है जो 30 अप्रैल 2025 को सरकार पहले ही घोषित कर चुकी है।

2026 के आखिर और 2027 की शुरुआत में आयोजित की जाने वाली जनगणना की यह अधिसूचना निराशाजनक इसलिए भी है कि इसमें जातिवार जनगणना का कोई जिक्र नहीं है। जाति की जानकारी कैसे जुटाई जाएगी, कितने सवाल होंगे, क्या सिर्फ गिनती होगी या सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर भी सवाल होंगे इनके बारे में कुछ नहीं कहा गया है। केवल समाचार की सुर्खियां बनाने के लिए अधिसूचना निकाली गई है।

कांग्रेस की लगातार मांग के आगे झुकी सरकार: जयराम रमेश

जातिवार जनगणना के कांग्रेस के एजेंड़े पर आने के लिए सरकार को बाध्य करने का दावा करते हुए जयराम रमेश ने कहा कि असलियत यह है कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की लगातार मांग और दबाव के चलते ही प्रधानमंत्री को जातिगत जनगणना की मांग के आगे झुकना पड़ा। जबकि इस मांग को लेकर पीएम ने कांग्रेस नेताओं को ‘अर्बन नक्सल’ तक कहा और संसद से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक मोदी सरकार ने जातिवार जनगणना के खिलाफ राय जाहिर की।

मगर 47 दिन पहले अचानक सरकार ने जातिवार जनगणना कराने की घोषणा की पर आज की अधिसूचना में इसका उल्लेख नहीं है। उन्होंने कहा कि जनगणना में केवल जातियों की गिनती काफी नहीं होगी बल्कि सामाजिक-आर्थिक स्थिति की सही जानकारी जुटाने के लिए तेलंगाना मॉडल अपनाना चाहिए जिसमें 56 सवाल पूछे गए थे।
प्रधानमंत्री पर तंज कसते हुए जयराम ने कहा कि सवाल यह है कि 56 इंच की छाती का दावा करने वाले नॉन बायोलॉजिकल व्यक्ति में क्या इतना साहस है कि वह जनगणना की इस प्रक्रिया में भी 56 सवाल पूछने की भी हिम्मत दिखा सकें।

जातिवार गणना की बात करने वाली कांग्रेस का कर्नाटक में यू-टर्न क्यों: भाजपा

दूसरी तरफ जाति जनगणना को लेकर कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने ही कांग्रेस को फंदे में डाल दिया है। सिद्धरमैया के ही पिछले कार्यकाल में हुए सर्वेक्षण पर यू टर्न लेते हुए फिर से राज्य सरकार ने जातिवार सर्वेक्षण कराने का फैसला लिया है।
भाजपा की ओर से केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस ने ओबीसी समाज के साथ हमेशा छल किया है। ताजा उदाहरण कर्नाटक का है। सवाल उठाया कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान जातिवार गणना की बात करने वाली कांग्रेस ने कर्नाटक में यू-टर्न क्यों ले लिया।

इसके साथ जिस सर्वेक्षण पर 165 करोड़ रुपये सरकारी खजाने से खर्च किए गए, उसकी रिपोर्ट को कांग्रेस नेता ही गलत बता रहे हैं तो इन रुपयों की बर्बादी का जिम्मेदार कौन है?
भूपेंद्र यादव ने कांग्रेस द्वारा काका कालेलकर आयोग की रिपोर्ट दबाने, मंडल आयोग गठित न करने, उसकी सिफारिशों को लागू न करने, संसद में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा मंडल आयोग का विरोध किए जाने के उदाहरण गिनाते हुए आरोप लगाया कि पिछड़ा वर्ग आयोग को भी कांग्रेस ने ही कमजोर बनाया, जिसे कि मोदी सरकार ने संवैधानिक दर्जा दिया।

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