क्या है क्वाड? इसे क्यों परेशान है चीन?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

हिंद प्रशांत क्षेत्र समकालीन भू-राजनीति का केंद्र बिंदु है। लंबे समय तक इस क्षेत्र को अनदेखा ही किया गया। कुछ समय पूर्व ही इसे मान्यता मिलनी शुरू हुई। लेकिन अभी भी इसके लिए एक संस्थागत ढाचे का आभाव है। इसकी पूर्ति करने में क्वाड पूरी तरह सक्षम है। अब यह एक औपचारिक मंच के रूप में आकार लेता दिख रहा है। इसे मिल रही महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद जो बाइडेन ने अपनी पहली बहुपक्षीय वार्ता के लिए क्वाड जैसे संगठन को चुना जो अभी तक अनौपचारिक स्वरूप में ही है।

चार देशों के समूह की आभासी बैठक ने ड्रैगन के विस्तारवाद के जनक शी जिनपिंग को झकझोड़ कर रख दिया। पूर्वी लद्दाख में भारत को आंख दिखाने की जुर्रत चीन को इतनी भारी पड़ेगी उसने कभी सोचा भी नहीं होगा। एलएसी पर हिन्दुस्तान के जोरदार पलटवार की तरह भारत ने चीन की मजबूत घेराबंदी का पूरा इंतजाम कर दिया है। इसी सिलसिले में क्लाड की पहली बैठक हुई। आज के इस विश्लेषण में आपको बताएंगे क्वाड क्या है, कब और क्यों बना, इसका उद्देश्य क्या है और क्या इससे खत्म हो जाएगी चीन की दादागिरी?

क्वाड यानी क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग

ये 2004 की बात है क्रिसमस के अगले दिन यानी 26 दिसंबर को हिंद महासागर में जोरदार सुनामी आई। इतनी खतरनाक की करीब दो लाख तीस हजार लोगों की मौत हो गई। लाखों लोग घायल हुए और कई लापता भी हो गए। इस हादसे के बाद श्रीलंका के उस वक्त के राष्ट्रपति महिंद्रा राजपक्षे ने भारतीय राजदूत निरूपमा राय को फोन कर तत्काल मानवीय सहायता की मांग की। इसके साथ ही अमेरिका में भारतीय राजदूत रोनेन सेंस से अमेरिकी सरकार पूछ रही थी कि भारत इस सुनामी के बाद चीजों को संभालने में किस तरह से और कितनी मदद कर सकता है।

क्योंकि सुनामी ने दक्षिण पूर्व एशिया को भारी नुकसान पहुंचाया था। ये वो वक्त था जब भारत को दिखाना था कि हिंद महासागर में उसकी स्थिति बेहद सशक्त है और भारत इस पूरे क्षेत्र में किसी भी आपतकाल स्थिति से निपटने में सक्षम है। द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार भारत ने हालात का मुकाबला करने के लिए 32 भारतीय जहाज लगाए थे। साढे पांच हजार सैनिकों की तैनाती की गई थी। द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार भारत की क्षमताएं दुनिया के सामने आई। 29 दिसंबर 2004 को अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज बुश ने घोषणा की कि भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका मिलकर एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बनाएंगे।

जिसका उद्देश्य होगा सुनामी में पानी में फंसे लोगों को बचाने, राहत पहुंचाने, बेघर लोगों के पुर्नवास, बिजली कनेक्टिवीटी और अन्य सेवाओं को बहाल करने के लिए काम करना होगा। सुनामी राहत का ये मिशन खत्म हुआ तो इस गठबंधन का एक नया ढांचा क्वाड के रूप में सामने आया। जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने इस बात पर जोर दिया कि भारत को साथ लेकर जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका को समुद्र में अच्छे और मजबूत दोस्त बनाने चाहिए। 2006 में जब मनमोहन सिंह टोक्यो पहुंचे तो मामले को लेकर क्वाड की बैठक भी हुई और चीजों का विस्तार होना शुरू हुआ। क्वाड की स्थापना 2007 में हुई।

जिसके चार सदस्य हैं- 

  • भारत
  • अमेरिका
  • जापान
  • ऑस्ट्रेलिया

जिसका मकसद चीन के विस्तारवाद पर लगाम लगाना है। लेकिन गठन के बाद सभी के मत कई मुद्दो पर अलग-अलग होने लगे। इधर ऑस्टेलिया चीन के दवाब में पीछे हटने लगा। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका को ईरान पर प्रतिबंध लगाने और उत्तर कोरिया पर छह देशों के जारी वार्ता सहित कई प्रयासों में चीन को नाराज करने से संयुक्त राष्ट्र में दिक्कत आ सकती थी। 2017 में इसे पुर्नगठित किया गया था।

जिसके बाद पहली बार चारों देशों के प्रमुखों ने इसकी वर्चुअल बैठक की । पीएम मोदी ने इस बैठक में सिर्फ दो मिनट का शुरुआती बयान दिया। कम शब्दों में ही उन्होंने चीन को साफ-साफ बता दिया कि अब उसकी दादागिरी नहीं चलेगी। प्रधानमंत्री ने एक-एक शब्द सोच समझकर चुने क्योंकि उन्होंने जिन देशों को दोस्त कहकर बुलाया उनका चीन से झगड़ा जगजाहिर है।

2017 में आसियान शिखर सम्मेलन से ठीक पहले मनीला में क्वाड की बैठक का आयोजन हुआ जिसमें चारों देश अलग-अलग मुद्दो को लेकर सामने आए। भारत की तरफ से चीन पर इन मसौदों में मुखर तौर पर कोई वक्तव्य नहीं दिया गया था। अमेरिका के अलावा सभी देशों ने चीन को लेकर एक गौर-प्रतिरोधात्मक छवि ही प्रस्तुत की थी। लेकिन अब 2017 की तुलना में 2021 में परिस्थितियां बदल चुकी हैं। अब सभी क्वाड देश एकजुट दिख रहे हैं।

  • चीन भारत के साथ सीमा विवाद में उलझा है।
  • अमेरिका के साथ चीन की ट्रेड वार चल रही है।
  • द्वीपों को लेकर चीन का जापान के साथ झगड़ा है।
  • ऑस्ट्रेलिया के साथ कूटनीतिक लड़ाई है।

ऐसे तीन देशों के साथ भारत कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ने जा रहा है। जिसका ऐलान खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया।

क्या क्वाड से खत्म होगी चीन की दादागिरी

भारत के लिए क्वाड क्यों जरूरी है इसके लिए आपको चीन की प्रतिक्रिया को भी जानना जरूरी है जिसमें उसका खौफ साफ नजर आता है। क्वाड नेताओं के पहले सम्मेलन के बारे में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि हमें उम्मीद है कि संबंधित देश इस बात को ध्यान में रखेंगे कि क्षेत्रीय देशों के समान हितों में खुलेपन, समावेशीकरण और लाभकारी सहयोग के सिद्धांतों को बरकरार रखा जाए और ऐसी चीजें की जाए जो विरोधाभासी होने के बजाए क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए हितकर हो। अक्टूबर के महीने में बीजिंग ने इसे मिनी नाटो बताते हुए कहा था कि भारत, अमेरिका समेत चारों देश क्वाड को चीन के खिलाफ मजबूत गठबंधन के तौर पर तैयार करने में जुटे हैं।

क्या है क्वाड का मकसद?

क्वाड को लेकर चीन के परेशान होने की वजह भी है। क्योंकि चारों देश पहले इतने करीब नहीं आए। नेताओं से पहले भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया की सेनाएं समुंदर में चीन को रोकने का अभ्यास कर चुकी हैं। वैसे तो क्वाड के पहले शिखर सम्मेलन के बाद हालांकि कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है लेकिन चारों देशों के नेताओं ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आपसी सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया है। कोरोना वैक्सीन के उत्पादन और वितरण के लिए संसाधन जुटाने को लेकर भी सहमति बनी है। क्वाड की अवधारणा 2007 में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने दी थी और तब चारों देशों की नौसैनाओं ने साझा युद्धाभ्यास भी किया था। लेकिन उसके बाद इस दिशा में कुछ ठोस नहीं किया जा सका। लेकिन चीन के साथ एलएसी पर तनाव के बीच भारत की तरफ से फिर से इसे मजबूत बनाने का प्रयास किया गया। ऐसे में भारत के लिए इसकी अहमियत साफ समझी जा सकती है। क्वाड शिखर सम्मेलन के जरिये हिंद-प्रशांत क्षेत्र की चारों प्रमुख आर्थिक शक्तियों ने चीन को यह संदेश देने की कोशिश की है कि क्षेत्र में उसके दबदबे की मंशा को स्वीकार नहीं किया जाएगा और उसे कोई भी कदम अंतरराष्ट्रीय कानून के अंतर्गत उठाना होगा। क्वाड देशों के नेताओं ने भविष्य में क्षेत्र में सम्मान हित साझा करने वाले देशों को भी इस मुहिम से जोड़ने के संकेत दिए हैं। अगर ऐसा होता है तो चीन के लिए और भी मुश्किलें और भी बढ़ेंगी।

क्वाड को और शक्तिशाली बनाने की तैयारी

क्वाड कुछ और देशों को जोड़ने की कोशिश भी हो रही है। जिसके तहत अमेरिका ने न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया और वियतनाम से वीडियो कॉन्फ्रेंसिग पर बात की थी उस वक्त इस ग्रुप को क्वाड प्लस नाम दिया गया था। क्वाड के सदस्यों में सामिल अमेरिका विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जापान तीसरी और भारत पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था है। वहीं ऑस्ट्रेलिया की गिनती विकसित देशों में होती है। यह तो तय है कि आने वाले समय में क्वाड का विस्तार होगा और ये और भी अधिक सशक्त रूप में सामने आएगा।

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