नवरात्रि का पर्व एक वर्ष में चार बार क्यों मनाया जाता है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

मां भगवती की आराधना का महापर्व नवरात्रि का हिंदू धर्म में खास महत्व माना जाता है। बता दें कि साल में 4 नवरात्रि आती हैं। लेकिन अधिकतर लोग चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि के बारे में ही जानते हैं। इसके अलावा भी दो नवरात्रि होती हैं। जिन्हें गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। साल में पड़ने वाली सभी नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 स्वरुपों की पूजा-अर्चना की जाती है। चैत्र नवरात्रि को चैती नवरात्रि और वसंत नवरात्रि भी कहा जाता है।

चैत्र नवरात्रि

चैत्र माह में पड़ने वाली नवरात्रि को साल की पहली नवरात्रि भी कहा जाता है। इस नवरात्रि की शुरूआत हिंदू नववर्ष के चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। इस नवरात्रि में 9 दिनों तक मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है। मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों में शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मान्यता के मुताबिक चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा अपने भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए पृथ्वी पर आती हैं।

आषाढ़ की गुप्त नवरात्रि

आषाढ़ माह में पड़ने वाली दूसरी नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। यह नवरात्रि आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है। इसे गुप्त नवरात्रि इसलिए कहा जाता है। क्योंकि पूरे 9 दिनों तक मां को तंत्र साधना के जरिए प्रसन्न किया जाता है। इस नवरात्रि में 10 महाविद्याओं काली, तारा, छिन्नमस्ता, षोडशी, भुवनेश्वरी, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी व कमला की पूजा-अर्चना की जाती है।

शारदीय नवरात्रि

शारदीय नवरात्रि की बहुत ज्यादा प्रसिद्ध होती है। पूरे देश में इस नवरात्रि को बड़े उत्सव की तरह धूमधाम से मनाया जाता है। अश्विन माह के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से शुरू होकर शारदीय नवरात्रि नवमी तिथि तक मनाई जाती है। इसे प्रकट नवरात्रि भी कहा जाता है। शारदीय नवरात्रि के साथ ही सर्दियों की भी शुरूआत हो जाती है। इस नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 स्वरुपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के इस महापर्व के मौके पर डांडिया, मेले, कन्या पूजन, मूर्ति विसर्जन आदि का काफी ज्यादा महत्व होता है।

माघ गुप्त नवरात्रि

बता दें कि माघ महीने में पड़ने वाली नवरात्रि को माघ नवरात्रि कहा जाता है। यह चौथी और आखिरी नवरात्रि होती है। इसको भी गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। इस नवरात्रि में सिद्धियां प्राप्त करने के लिए विशेष पूजा की जाती है। इस नवरात्रि में साधक अपनी साधना से मां भगवती को प्रसन्न कर चमत्कारी शक्तियां प्राप्त करते हैं।

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