क्या पाकिस्तान से बलूचिस्तान स्वतंत्र होगा?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बलूचिस्तान में पाकिस्तान के अत्याचार सहते सहते अब स्थानीय लोग तंग आ चुके हैं और बांग्लादेश की तरह आजाद होना चाहते हैं। बलूचिस्तान के लोग चाहते हैं कि भारत उनकी मदद वैसे ही करे जैसे कि पाकिस्तान को तोड़कर बांग्लादेश का गठन करवा कर की थी। इसके लिए बलूचिस्तान की निर्वासित प्रधानमंत्री नाएला कादरी इन दिनों भारत के दौरे पर हैं। वह भारत सरकार के अधिकारियों से मिल कर समर्थन मांग रही हैं। साथ ही नाएला कादरी हिंदू तीर्थ स्थलों का दौरा कर ईश्वर से प्रार्थना कर रही हैं कि वह बलूचों को पाकिस्तानियों के जुल्म से बचाये। निर्वासित बलूच प्रधानमंत्री नाएला कादरी ने भारत में विभिन्न मीडिया संस्थानों को दिये साक्षात्कारों में बलूचों पर हो रहे अत्याचार की जो दास्तां सुनाई है उसको सुनकर किसी के भी रौंगटे खड़े हो जायेंगे।

संघ प्रशासित कबायली इलाके जिसे फाटा भी कहा जाता है, वहां अक्सर कर्फ्यू लगा रहता है। इस इलाके में स्कूल, कॉलेज और अस्पताल बनाने की बात तो छोड़ दीजिये यहां के लोगों के घर-बार भी अक्सर तोड़ दिये जाते हैं और उनके सामान पर कब्जा कर लिया जाता है तथा उन्हें सड़कों पर जीवन बिताने के लिए छोड़ दिया जाता है। यही कारण है कि विदेशों में भी जहाँ-जहाँ पश्तून रहते हैं, वह लोग वहाँ-वहाँ की राजधानियों में पाकिस्तानी दूतावास के बाहर अक्सर विरोध प्रदर्शन करते हैं।

पाकिस्तान के इस समय जो हालात नजर आ रहे हैं उसको देखते हुए बलूचिस्तान ही नहीं बल्कि विभिन्न राज्यों में स्वायत्त देश बनाने की मांग उठ रही है। अगर ऐसा होता है तो स्वाभाविक रूप से पाकिस्तान चार हिस्सों में बंट सकता है। इसमें से सिंध, पंजाब और बलूचिस्तान में भारत के प्रति सकारात्मक आवाजें आ रही हैं। पाकिस्तान के कई नागरिक खुले तौर पर कह रहे हैं कि पाकिस्तान की दुर्गति को देखकर यही लगता है कि हम हिन्दुस्तान के साथ ही रहे होते। सोशल मीडिया पर निगाह डालेंगे तो पाएंगे कि कई पाकिस्तानी नागरिक तो अब सिंध प्रांत, बलूचिस्तान तथा खैबर पख्तूनख्वा प्रांत को भारत में मिलाने के लिए भी अपने आप को मानसिक रूप से तैयार कर रहे हैं।

जहां तक निर्वासित बलूच प्रधानमंत्री की ओर से बलूचों पर हो रहे अत्याचार के बारे में दी गयी जानकारी की बात है तो आपको बता दें कि उन्होंने कहा है कि बलूच लोग खुली हवा में सांस लेने के लिए दशकों से तड़प रहे हैं। उन्होंने कहा है कि वह अपने मुल्क की स्वतंत्रता के लिए दुनिया के तमाम देशों में जा-जाकर समर्थन मांग रही हैं। उनका कहना है कि वह भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील करती हैं कि वह इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में उठाएं। नाएला कादरी का कहना है कि भारत के प्रधानमंत्री से ही उम्मीदें हैं कि वह कुछ करेंगे। उन्होंने बताया है कि पाकिस्तान में बलूच होना ही उनके लिए सबसे बड़ा गुनाह होता है।

नाएला कादरी ने कहा कि हमें मारने और किस्म-किस्म के अत्याचार करने का जैसे पाकिस्तानी सेना और पुलिस को लाइसेंस मिला हुआ है। उन्होंने बताया है कि अब इस खेल में चीन भी शामिल हो चुका है। उन्होंने बताया है कि बलूचों की बहन-बेटियों को पाकिस्तानी सेना के जवान सरेआम उठा ले जाते हैं और उनके साथ कई-कई दिन तक बलात्कार किया जाता है। उन्होंने बताया कि पाकिस्तानी सैनिक किसी जवान लड़की को नहीं छोड़ते, लड़कियों के शरीर को बुरी तरह नोंचा जाता है। डर के चलते लड़कियां स्कूल और कॉलेज नहीं जातीं। उन्होंने बताया कि बाजार में भी या तो घर के मर्द जाते हैं या बुजुर्ग महिलाएं।

उनका कहना है कि पाकिस्तान की ओर से क्षेत्र में किसी विदेशी पत्रकार या न्यूज चैनल, सोशल वर्कर या विदेशी प्रतिनिधि को नहीं जाने दिया जाता जिससे कभी सच सामने नहीं आ पाता। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में बलूचों के वजूद पर और ज्यादा खतरा मंडरा रहा है क्योंकि उनके लिए सरकारी नौकरियों में कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि हम क्या कर रहे हैं, कहां जा रहे हैं, किससे मिल रहे हैं, क्या बात कर रहे हैं, इस सब पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी की नजर लगी रहती है क्योंकि उन्हें डर रहता है कि हम भारत से मदद मांग सकते हैं। उन्होंने कहा कि बलूचिस्तान की आजादी की लड़ाई लड़ने वाले हमारे कई क्रांतिकारी नेताओं को पाकिस्तान की सेना ने बंधक बनाया हुआ है और दुनिया में कोई हमारी आवाज नहीं सुन रहा है। ऐसे में हमें भारत से बड़ी उम्मीदें हैं।

बहरहाल, हम आपको यह भी याद दिला दें कि हाल ही में भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि भारत की उत्तर में विकास यात्रा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के गिलगित और बाल्टिस्तान के हिस्सों में पहुंचने के बाद पूरी होगी। साथ ही उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में लोगों पर जो अत्याचार किये जा रहे हैं उसके अंजाम पाकिस्तान को भुगतने होंगे।

हम आपको यह भी याद दिलाना चाहेंगे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी साल 2016 में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से दिये अपने भाषण में पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्रों के हालात की बात की थी और कहा था कि बलूचिस्तान और गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों ने उनके मुद्दे उठाने के लिए उनका शुक्रिया अदा किया है।

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