द्वीप पर हमला किया तो होंगे भयावह परिणाम.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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चीन और ताइवान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। इस बीच ताइवान ने चीन को चेतावनी दी है। कहा है कि यदि चीन अपने युद्धक विमानों की घुसपैठ के बाद द्वीप पर कब्जा करता है तो क्षेत्रीय शांति के लिए विनाशकारी परिणाम होंगे। डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने चीन को चेतावनी देते हुए बयान दिया है।

उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि चीन ने अगर ताइवान पर कब्जा किया तो पूरे एशिया में इसके गंभीर और विनाशकारी परिणाम होंगे। फारेन अफेयर्स पत्रिका में ताइवान की राष्ट्रपति ने लेख लिखा है। उन्होंने कहा कि ताइवान सैन्य टकराव नहीं चाहता, लेकिन अपने आपको बचाने के लिए के लिए जो भी करना पड़ेगा, उसे करने से ताइवान नहीं चूकेगा। शुक्रवार से अब तक यानि चार दिनों में लगभग 150 चीनी युद्धक विमानों ने ताइवान के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया है, जिसमें सोमवार को 56 जेट विमानों के ताइवान में घुसने से आक्रामकता में नाटकीय वृद्धि हुई है।

ताइवान पर कब्जे की योजना बना रहा है चीन

गौरतलब है कि ताइवान की राष्ट्रपति का बयान एक ऐसे समय पर आया है, जब चीन अपने युद्धक विमानों को जबरन ताइवान के हवाई क्षेत्र में भेज कर जबरदस्त दबाव बना रहा है। ताइवान अपने आपको एक स्व शासित लोकतांत्रिक द्वीप के तौर पर देखता रहा है, लेकिन चीन का मानना रहा है कि ताइवान उसका हिस्सा है। डेली मेल की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग कह चुके हैं कि ताइवान पर चीन का कब्जा निश्चित रूप से होगा।

नए सुरक्षा समझौते से चीन नाराज

बीजिंग ने ताइवान की राष्ट्रपति त्साई पर दबाव डाला है क्योंकि वह 2016 में एक ‘स्वतंत्र’ ताइवान के जनादेश पर चुनी गई थीं। चीनी राज्य मीडिया ने हाल के दिनों में चेतावनी जारी की है, जिसमें यह पूछना शामिल है कि ‘क्या युद्ध में तोप का चारा बनने के लिए आस्ट्रेलिया ताइवान का साथ देने के लिए तैयार है।’ विदेश मंत्री द्वारा अपने बचाव की तैयारी में मदद के लिए आस्ट्रेलिया पहुंचे थे। ब्रिटेन और अमेरिका के साथ एक नए सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद से आस्ट्रेलिया पिछले कुछ हफ्तों से चीनी क्रोध का शिकार बन रहा है।

नए समझौते से बदल गया दक्षिण चीन सागर में शक्ति संतुलन

पिछले दिनों वाशिंगटन और लंदन कैनबरा के साथ परमाणु पनडुब्बी प्रौद्योगिकी साझा करने पर सहमत हुए हैं। इसने बीजिंग को नाराज कर दिया है क्योंकि यह समझौता नाटकीय रूप से दक्षिण चीन सागर में शक्ति संतुलन को बदल देगा। मंगलवार को प्रकाशित लेख में ताइवान के राष्ट्रपति त्साई ने कहा कि उन्हें याद रखना चाहिए कि यदि ताइवान का पतन होता है, तो इसके परिणाम क्षेत्रीय शांति और लोकतांत्रिक गठबंधन प्रणाली के लिए विनाशकारी होंगे। उन्होंने यह संकेत दिया कि मूल्यों की आज की वैश्विक प्रतियोगिता में, लोकतंत्र पर सत्तावाद का ऊपरी हाथ है।

 

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