बुलंद हौंसले के प्रबल पैरोकार थे छत्रपति शिवाजी: गणेश दत्त पाठक

बुलंद हौंसले के प्रबल पैरोकार थे छत्रपति शिवाजी: गणेश दत्त पाठक

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow

 

सीवान के अयोध्यापुरी स्थित पाठक आईएएस संस्थान में जयंती पर राष्ट्रीयता के प्रतीक, महान योद्धा छत्रपति शिवाजी को श्रद्धा सुमन किया गया अर्पित, निबंध प्रतियोगिता का हुआ आयोजन

श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार):

राष्ट्रीयता के अग्रदूत, महान योद्धा, कुशल प्रशासक और शानदार रणनीतिकार छत्रपति शिवाजी के विचार जीवन में ऊर्जा का संचार करते हैं। अपनी छोटी सी सेना के बल पर विशालकाय मुगल सेना को कड़ी चुनौती पेश करने वाले शिवाजी महाराज हौंसले की मिसाल थे। शिवाजी कहा करते थे कि जब हौंसले मजबूत होंगे तो पहाड़ जैसी मुसीबत और संघर्ष भी मिट्टी के ढेर के समान लगेंगे। उनका कहना था कि जब हम छोटे – छोटे लक्ष्य प्राप्त करते जायेंगे तो बड़े लक्ष्य आसानी से प्राप्त किए जा सकेंगे। आज के दौर में प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करनेवाले छात्रों के संदर्भ में भी शिवाजी के ये विचार प्रासंगिक हैं। इसलिए अभ्यर्थियों को शिवाजी के विचारों को अवश्य पढ़ना चाहिए। ये बातें सिवान के अयोध्यापुरी स्थित पाठक आईएएस संस्थान में जयंती पर महान देशभक्त शिवाजी को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए शिक्षाविद् गणेश दत्त पाठक ने कही। इस अवसर पर संस्थान के स्टॉफ सदस्य सहित कुछ अभ्यर्थी मौजूद रहे। इस अवसर पर एक निबंध लेखन प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। जिसके विजेता अनुज कुमार रहे।

इस अवसर पर श्री पाठक ने कहा कि शिवाजी ने निरंकुश मुगल शासन के प्रति अपना सख्त विरोध दर्ज अवश्य कराया लेकिन वे मुस्लिम विरोधी कदापि नहीं थे। उनकी सेना में सैकड़ों मुस्लिम अधिकारी भी थे। शिवाजी ने सदैव स्वतंत्रता की वकालत की। उन्होंने स्वतंत्रता को एक ऐसा वरदान बताया, जिसे पाने का हक सभी को होता है। उन्होंने मुगल सम्राट औरंगजेब के अत्याचार का हर स्तर पर विरोध किया।

इस अवसर पर श्री पाठक ने कहा कि देश के महान सपूत श्रीमंत शिवाजी का मानना था कि किसी भी दुश्मन या चुनौती को कभी कमजोर नहीं समझना चाहिए, न ही उसे अपनी ताकत से बड़ा समझ कर भयभीत ही होना चाहिए। शिवाजी का मानना था कि आपकी चुनौती चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हो, उसे सिर्फ मजबूत और बुलंद हौसलों के बल पर ही निपटा जा सकता है।

इस अवसर पर श्री पाठक ने कहा कि शिवाजी का मानना था कि जो व्यक्ति अपने आत्मबल को जान लेता है, जो खुद को पहचान लेता है, जो मानव कल्याण की सोच रखता है, उसकी यश की कीर्ति पताका लहराती ही रहती है। शिवाजी कहा करते थे कि जब तक मनुष्य कष्ट और कठिनाई के दौर से नहीं गुजरता, तब तक उसकी प्रतिभा संसार के सामने नहीं आ पाती है। शिवाजी का ये प्रबल विश्वास था कि जीवन में सिर्फ अच्छे दिन हमेशा नहीं रहते जिस प्रकार रात दिन आते जाते रहते हैं। वैसे ही सुख दुख भी आते जाते रहते हैं। इसलिए जो मनुष्य बुरे समय में भी अपने कर्मों में सदा जुटा रहता है। उसका बुरा समय भी अच्छा व्यतीत होता है। श्री पाठक ने कहा कि शिवाजी ने भी अपने जीवन में तमाम चुनौतियों का सामना किया परंतु दृढ़ इच्छाशक्ति और बुलंद हौंसले के बल पर हर चुनौती का मजबूती से सामना किया।

इस अवसर पर मोहन यादव, रागिनी कुमारी, मीरा कुमारी, अंजन कुमार सिंह, चंदन वर्मा आदि अभ्यर्थियों ने भी अपने विचार रखे। निबंध लेखन प्रतियोगिता के विजेता अनुज कुमार को पुरस्कृत भी किया गया।

यह भी पढ़े

जिस्म के सौदे में ढल गई जवानी ! अब बूढ़ापे  में क्या होगा

आप शाकाहारी है या मांसाहारी, जरुर पढें ये कथा, जीवन में कभी न भूलेंगे

बैंक से पैसा निकाल कर आ रहे युवक का उचक्कों ने थैला उड़ाया

Leave a Reply

error: Content is protected !!