सदर अस्पताल में सिविल सर्जन ने किया सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा का उद्घाटन
कोविड-19 प्रोटोकॉल के साथ 15 से 29 जुलाई तक जिले में सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़े का होगा आयोजन:
सफाई की व्यवस्था कम होने वाले स्थलों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत: सीएस
-आशा कार्यकर्ता बताएगी ओआरएस का घोल बनाने का तरीका एवं उपयोग की विधि
श्रीनारद मीडिया‚ किशनगंज, (बिहार):
बच्चों में दस्त से होने वाले शिशु मृत्यु दर को शून्य तक लाने के उद्देश्य से सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा का उद्घाटन जिले के सदर अस्पताल में सिविल सर्जन डॉ श्री नंदन के द्वारा किया गया। इसके अलावा जिले सभी प्राथमिक चिकित्सा केन्द्रों में भी दस्त नियंत्रण पखवाड़ा का उद्घाटन प्रभारी चिकत्सा पदाधिकारी के द्वारा किया गया। वैश्विक महामारी कोविड-19 संक्रमण काल में सुरक्षात्मक उपायों का अनुपालन करते हुए 15 से 29 जुलाई तक जिले में सघन पखवाड़े का आयोजन किया जाना है। बारिश का मौसम और जाने अनजाने दूषित जल के सेवन से इस मौसम में डायरिया से पीड़ित मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। डायरिया के कारण बच्चों और वयस्कों में अत्यधिक निर्जलीकरण(डिहाइड्रेशन) होने से समस्याएं बढ़ जाती एवं कुशल प्रबंधन के अभाव में यह जानलेवा भी हो सकता है।
डायरिया से होने वाली मृत्यु का प्रमुख कारण उपचार में की गयी देरी होती:
उद्घाटन समारोह में सिविल सर्जन डॉ श्री नंदन के द्वारा बताया गया कि डायरिया मुख्यतः तीन प्रकार की होती हैं। पहला एक्यूट वाटरी डायरिया जिसमें दस्त काफ़ी पतला होता है एवं यह कुछ घंटों या कुछ दिनों तक ही होता है। इससे निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) एवं अचानक वजन में गिरावट होने का ख़तरा बढ़ जाता है। दूसरा एक्यूट ब्लडी डायरिया जिसे शूल के नाम से भी जाना जाता है। इससे आंत में संक्रमण एवं कुपोषण का खतरा बढ़ जाता है। तीसरा परसिस्टेंट डायरिया जो 14 दिन या इससे अधिक समय तक रहता है। इसके कारण बच्चों में कुपोषण एवं गैर-आंत के संक्रमण फ़ैलने की संभावना बढ़ जाती है। चौथा अति कुपोषित बच्चों में होने वाला डायरिया होता है जो गंभीर डायरिया की श्रेणी में आता है। इससे व्यवस्थित संक्रमण, निर्जलीकरण, ह्रदय संबंधित समस्या, विटामिन एवं जरूरी खनिज लवण की कमी हो जाती है। डायरिया के लक्षण यदि ओ.आर.एस. के सेवन के बाद भी रहे तो अविलम्ब मरीज को डॉक्टर के पास ले जाएँ तथा उचित उपचार कराएँ। उन्होंने बताया नीम हकीम द्वारा बताये गए उपायों से बचना चाहिए तथा चिकित्सीय सलाह लेनी चाहिए। इसमें विलम्ब जानलेवा साबित हो सकता है और जिले में डायरिया से होने वाली मृत्यु का प्रमुख कारण उपचार में की गयी देरी होती है।
पखवाड़े के दौरान जिले के सभी क्षेत्रों में सघन अभियान चलाया जायेगा:
डॉ देवेन्दर कुमार प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी तेधागाछ ने बताया कि पखवाड़े के दौरान विशेष क्षेत्रों में अभियान पर विशेष जोर दिया जाएगा। पर्याप्त सफाई व्यवस्था का अभाव वाले इलाकों के अलावा शहरी, झुग्गी-झोपड़ी, कठिन पहुंच वाले क्षेत्र, बाढ़ प्रभावित क्षेत्र, निर्माण कार्य में लगे मजदूरों के परिवार, ईंट भट्टे वाले क्षेत्र, अनाथालय तथा ऐसा चिह्नित क्षेत्र जहां दो-तीन वर्ष पूर्व तक दस्त के मामले अधिक संख्या में पाये गये हों। वहां इस अभियान को वृहद रूप से चलाया जाएगा। इस कार्यक्रम के दौरान आशा कार्यकर्ता अपने क्षेत्र में भ्रमण कर माइक्रो प्लान तैयार करेंगी। जिसमें पाचं वर्ष से कम उम्र के बच्चों की सूची बनायी जाएगी। माइक्रो प्लान की समीक्षा संबंधित नोडल पदाधिकारी एवं जिला स्टेयरिग कमेटी द्वारा की जाएगी। पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के घरों में प्रति बच्चा एक-एक ओआरएस पैकेट का वितरण किया जाएगा।
परिवार के सदस्यों को दिया जाएगा परामर्श, बताया जाएगा ओआरएस बनने की विधि:
वही डॉ कश्यप प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी किशनगंज ने बताया कार्यक्रम की सफलता के लिए आशा कार्यकर्ता क्षेत्र भ्रमण के दौरान परिवार के सदस्यों के समक्ष ओआरएस घोल बनाना एवं इसके उपयोग की विधि, इससे होने वाले लाभ, साफ-सफाई , हाथ धोने के तरीके की जानकारी भी देंगी। ताकि इस बीमारी से प्रत्येक परिवार को बचाया जा सके। कोविड-19 महामारी को देखते हुए आशा नान कंटेनमेंट जोन के घरों में ओआरएस का वितरण करेंगी। कंटेनमेंट जोन में ओआरएस का वितरण के लिए प्रोटोकॉल का पालन किया जायेगा।
पखवाड़े के दौरान निम्न बातों की दी जाएगी जानकारी
– जिंक का उपयोग दस्त होने के दौरान बच्चों को आवश्यक रूप से काराया जाए। दस्त बंद हो जाने के उपरांत भी जिक की खुराक 2 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार 14 दिनों तक जारी रखा जाए।
– जिक और ओआरएस के उपयोग के उपरांत भी दस्त ठीक न होने पर बच्चे को नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाएं।
– दस्त के दौरान और दस्त के बाद भी आयु के अनुसार स्तनपान, ऊपरी आहार तथा भोजन जारी रखा जाए।
– डायरिया होने पर ओआरएस और जिक का उपयोग करने से बच्चों में तीव्र सुधार होता है।
बच्चों में निम्नलिखित कोई भी लक्षण दिखाई देने पर तत्काल स्वास्थ्य केंद्र के जाएं:
सिविल सर्जन डॉ श्री नंदन ने बताया की यदि बच्चा ज्यादा बीमार लग रहा हो। सुस्त रहना या बेहोश हो जाना, बार – बार उल्टी करना, पानी जैसा लगातार दस्त का होना, अत्यधिक प्यास लगना, पानी ना पीना, बुखार होना, मल में खून आ रहा हो, उपरोक्त कोई भी लक्षण दिखाई देने पर तत्काल स्वास्थ्य केंद्र के जाएं
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