चमकी बुखार और जापानी इंसेफेलाइटिस को लेकर जिला पदाधिकारी की अध्यक्षता में हुई जिला टास्क फोर्स की बैठक:

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जिले के सभी स्कूली बच्चों को एईस और जापानी इंसेफेलाइटिस के बारे में जागरूक किया जाए: जिलाधिकारी

आपात स्थिति में एंबुलेंस के लिए टोल फ्री नंबर- 102 पर डायल करने को किया जा रहा जागरूक:

जिला पदाधिकारी ने गांवों से सूअर बाड़ों को दूर स्थापित करने के लिए दिया गया आवश्यक दिया- निर्देश:

श्रीनारद मीडिया, गोपालगंज (बिहार):


गोपालगंज  जिले में चमकी बुखार और जापानी इन्सेफेलाइटिस प्रबंधन को लेकर समाहरणालय सभा कक्ष में जिला पदाधिकारी मो. मकसूद आलम की अध्यक्षता जिला टास्क फोर्स की बैठक की गयी। इस दौरान जिला पदाधिकारी ने स्वास्थ्य विभाग द्वारा की गई तैयारियों और व्यवस्थाओं की समीक्षा की। बैठक में जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. सुषमा शरण ने बताया कि लोगों को जागरूक करने के लिए सहयोगी विभागों और संस्थानों से समन्वय स्थापित किया जा चुका है। लोगों को मस्तिष्क ज्वर (चमकी बुखार) के संबंध में जागरूक किया जा रहा है। इसके लिए आशा कार्यकर्ताओं का क्षमतावर्धन किया जा चुका है। आशा कार्यकर्ताएं अपने अपने क्षेत्रों में लोगों को चमकी बुखार के लक्षणों से अवगत कराने में जुट गई हैं। वहीं, आपात स्थिति में एंबुलेंस के लिए टोल फ्री नंबर 102 पर डायल करने को कहा जा रहा है। जो लोगों के लिए नि:शुल्क संचालित किया जाएगा।

 

स्मार्ट क्लास के माध्यम से एईएस के बचाव से संबंधित वीडियो प्रदर्शित किया जाए: जिलाधिकारी
जिलाधिकारी मो मकसूद आलम ने कहा कि शिक्षकों के माध्यम से सभी स्कूली बच्चों को एईएस और जापानी इंसेफेलाइटिस के बारे में जागरूक किया जाए। बच्चों के लिए स्मार्ट क्लास के माध्यम से एईएस के बचाव से संबंधित वीडियो प्रदर्शित किया जाए। साथ ही, सभी स्कूलों की दीवारों पर एईएस जापानी इन्सेफेलाइटिस और चमकी की धमकी का शपथ पत्र अंकित की जाए। वहीं, मिड डे मील के माध्यम से सभी प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय में प्रोटीन युक्त भोजन प्रदान करना सुनिश्चित किया जाए। साथ ही, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से समुदाय को इसके बारे में जागरूक किया जाए। उन्होंने कहा कि जिले के अतिकुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) भेजा जाए। जीविका दीदी के माध्यम से समुदाय के इसके प्रति लोगों को जागरूक किया जाए। सभी पंचायती राज संस्थान के सदस्यों को इस बीमारी के बारे में जागरूक करते हुए उनके माध्यम से समुदाय को जागरूक किया जाए।

 

विकास मित्र की सहायता से समुदाय को जागरूक किया जाए: जिलाधिकारी
जिला पदाधिकारी ने कहा कि जिन इलाकों में सूअर पालन का कार्य किया जा रहा है। उन गांवों से सूअर बाड़ों को दूर स्थापित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जाए। महादलित टाेलों में विकास मित्र की सहायता से समुदाय को इस बीमारी के बारे में जागरूक किया जाए। जन वितरण प्रणाली के माध्यम से पत्र लाभुकों को अनाज का वितरण किया जाए। साथ ही, मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन एंबुलेंस योजना के तहत गंभीर रोगियों को तत्काल रेफरल की व्यवस्था करने हेतु वाहनों से जोड़ा जाए। मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना अंतर्गत अनुदानित वाहनों की सूची स्वास्थ्य विभाग को भी उपलब्ध कराई जाए। जिसका उपयोग आपात स्थिति में किया जा सके। उन्होंने कहा कि एईएस और जापानी इंसेफेलाइटिस प्रभावित क्षेत्रों में पब्लिक शैलों हैंड पंप को इंडिया मार्क-2 हैंडपंप से प्रतिस्थापित किया जाए। उन इलाकों में नियमित क्लोरीनीकरण किया जाए। साथ ही, लोगों को डीप बोरवेल के माध्यम से सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराया जाए।

 

लोगों को दी जा रही है लक्षणों की जानकारी: डीवीबीडीसीओ
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी (डीवीबीडीसीओ) डॉ सुषमा शरण ने बताया कि आशा कार्यकर्ताओं द्वारा लोगों को बताया जा रहा है कि सर दर्द तेज बुखार रहना, जो 5 से 7 दिनों से ज्यादा का ना हो, अर्ध चेतना एवं मरीज में पहचान की क्षमता न होना, भ्रम की स्थिति में होना, बच्चों का बेहोश हो जाना, शरीर में चमक होना अथवा हाथ पैर में थरथराहट होना, पूरे शरीर या किसी खास अंग में लकवा मार देना या हाथ पैर का अकड़ जाना, बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक संतुलन ठीक न होना चमकी बुखार के लक्षण है। इनमें कोई भी लक्षण दिखने पर अविलंब चिकित्सकीय परामर्श लेने की बात कही जा रही है। साथ ही, अभिभावकों को सामान्य उपचार एवं सावधानियों के प्रति जानकारी दी जा रही है। जैसे वो अपने बच्चों को तेज धूप से बचाएं, बच्चों को दिन में दो बार स्नान कराएं, गर्मी के दिनों में बच्चों को ओआरएस अथवा नींबू पानी व चीनी का घोल पिलाएं। वहीं, सबसे जरूरी बात यह कि रात में बच्चों को खाना खिलाकर ही सुलाएं।

 

चमकी बुखार के दौरान विशेष ध्यान देने योग्य बातें: डॉ सुषमा शरण
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी (डीवीबीडीसीओ) डॉ सुषमा शरण ने बताया कि जब बच्चों में चमकी के लक्षण दिखने पर या तेज बुखार होने पर पूरे शरीर को ताजा पानी से पोछे। साथ ही, उनको पंख से हवा करें ताकि बुखार 100 डिग्री फारेनहाइट से कम हो सके। चमकी से ग्रसित बच्चों या मरीज को चिकित्सीय सलाह के बाद ही पैरासिटामोल की गोली या सिरप दें। यदि बच्चा बेहोश नहीं है तब साफ एवं पीने योग्य पानी में ओआरएस का घोल बनाकर पिलाएं। बेहोशी या मिर्गी की अवस्था में बच्चों को छायादार एवं हवादार स्थान पर लेटाएं। चमकी बुखार आने पर मरीज को बायें या दाएं करवट में लिटा कर ही अस्पताल ले जाएं। बच्चों के शरीर से कपड़े हटा ले एवं गर्दन सीधी रखें। अगर मुंह से लार या झाग निकल रहा हो तो साफ कपड़े से उसे पोछते रहे, जिससे की सांस लेने में कोई दिक्कत ना हो। वहीं, तेज रोशनी से बचाने के लिए बच्चों या मरीज की आंखों को पट्टी या कपड़े से ढके।

संबंधित बैठक में उप विकास आयुक्त अभिषेक रंजन, जिला शिक्षा पदाधिकारी सुभाष गुप्ता, नोडल पदाधिकारी सह जिला सूचना और जनसंपर्क पदाधिकारी मंकेश्वर कुमार, उप निर्वाचन पदाधिकारी शशि प्रकाश राय, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी एसएसए रंजीत कुमार आदि उपस्थित थे।

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