ईएलएम कार्यक्रम:एचपीसीएल बॉटलिंग प्लांट में एचआईवी एड्स को लेकर जागरूकता अभियान

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-एचआईवी एड्स से संक्रमित होना जीवन का अंत नहीं: सहायक निदेशक
-प्लांट के आसपास के इलाकों में जागरूकता अभियान चलाया जाए: अजय कुमार
-किसी भी व्यक्ति को एड्स जैसी कोई लक्षण दिखे तो चिकित्सक से जल्द करें संपर्क: डॉ सौरभ
-मौलिक अधिकार के तहत सभी को सम्मान देना चाहिए: डीआईएस
-एड्स-लाइलाज है-बचाव ही उपचार:

श्रीनारद मीडिया‚ पूर्णिया, (बिहार)


बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति पटना द्वारा आयोजित ईएलएम कार्यक्रम के अंतर्गत एचपीसीएल बॉटलिंग प्लांट में एचआईवी एड्स पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान प्लांट में मौजूद ट्रक ड्राइवरों की एचआईवी जांच करायी गयी। कार्यक्रम, बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति के सहायक निदेशक अरविंद कुमार एवं ईएलएम कार्यक्रम के कार्यक्रम पदाधिकारी अजय कुमार बरनवाल की देखरेख में संपन्न हुआ। इस जागरूकता अभियान के दौरान एडेंट टीआई के कर्मचारियों द्वारा कैप लगाकर ट्रक चालकों सहित स्थानीय ग्रामीणों की एचआईवी एड्स की जांच की गई। बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति के पदाधिकारी ने सभी कर्मियों को आवश्यक दिशा-निर्देश देते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन प्रत्येक महीने कराने से जागरूकता अभियान में तेजी आएगी। कार्यक्रम के दौरान अहाना के पीओ रविशंकर, एफओ गौतम कुमार तथा आईसीटीसी के डीआईएस बीएन प्रसाद ने सहयोग प्रदान किया। कार्यक्रम में एचपीसीएल के प्लांट मैनेजर संजय कुमार का विशेष योगदान रहा। कार्यक्रम के दौरान राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय सह अस्पताल पूर्णिया में आईसीटीसी, एआरटी, डीएसआरसी की एक समन्वयक बैठक का आयोजन भी किया गया।

-एचआईवी एड्स से संक्रमित होना जीवन का अंत नहीं: सहायक निदेशक
बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति के सहायक निदेशक अरविंद कुमार ने बताया कि एड्स एक लाइलाज बीमारी है, फिर भी एड्स प्रभावित व्यक्ति एक सामान्य जीवन जी सकता है। एचआईवी संक्रमित होना जीवन का अंत नहीं है। क्योंकि एचआईवी संक्रमित व्यक्ति भी सही चिकित्सीय मदद एवं सहयोग से लम्बे समय तक स्वस्थ्य जीवन जी सकता है। एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) अगर समय से शुरू कर दी जाए तो इस बीमारी के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसके फलस्वरूप शरीर की प्रतिरोधक क्षमता फिर से बढ़ जाती है। इसके साथ ही अन्य अवसरवादी संक्रमणों के फैलने की आशंका भी घट जाती है। इस तरह एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी एड्स के प्रभाव को कम करने में मदद करता है। इससे एचआईवी/एड्स प्रभावित व्यक्ति भी स्वस्थ्य एवं दीर्घजीवन जी सकता है।

-प्लांट के आसपास के इलाकों में जागरूकता अभियान चलाया जाए: अजय कुमार
ईएलएम कार्यक्रम के कार्यक्रम पदाधिकारी अजय कुमार बरनवाल ने बताया कि ईएलएम मॉडल में एचपीसीएल बॉटलिंग प्लांट के परिसर में कार्यरत सभी वर्ग के कर्मचारी व वाहन चालकों को एड्स जैसी घातक रोग से दूर किया जा सकता है। विश्व एड्स दिवस के दिन यानी कि 3 दिसंबर को प्रतिकात्मक रूप से पूरे एक वर्ष तक इस तरह के जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। ताकि प्लांट परिसर तथा प्लांट के आसपास के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले नागरिकों के माध्यम से उन्ही लोगों में एचआईवी एड्स के प्रति जागरूकता लायी जाए।

-किसी भी व्यक्ति को एड्स जैसी कोई लक्षण दिखे तो चिकित्सक से जल्द करें संपर्क: डॉ सौरभ
ए आर टी सेंटर के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सौरभ कुमार ने कहा कि एड्स जैसी बीमारी कोई छुआछूत वाली नहीं है। इसलिए पीड़ित या संक्रमित व्यक्ति के साथ किसी भी प्रकार से कोई अनावश्यक रूप से भेदभाव नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह हाथ मिलाने, एक साथ उठने-बैठने, कपड़े आदान-प्रदान करने से नहीं होता है। बल्कि असुरक्षित यौन संबंध बनाने, खून के आदान-प्रदान सहित कई अन्य प्रकार के संपर्क स्थापित करने से फ़ैलता है। साथ ही साथ किसी भी व्यक्ति को एड्स का लक्षण दिखे या महसूस हो तो तुरंत उन्हें चिकित्सकों से जांच कराकर इलाज शुरू करना चाहिए। इसके साथ हीं चिकित्सीय परामर्श का पालन समय-समय पर आवश्यक रूप से लेते रहना चाहिए। ताकि परिवार के अन्य सदस्यों को इस तरह की बीमारियों से दूर रखने में किसी को कोई परेशानी नहीं हो।

-मौलिक अधिकार के तहत सभी को सम्मान देना चाहिए: डीआईएस
जिला एड्स कन्ट्रोल सोसाइटी के डीआईएस बैद्यनाथ प्रसाद ने बताया की भारतीय संविधान में सभी भारतीय नागरिकों को निम्नलिखित मौलिक अधिकार प्रदान किये गए हैं, समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के खिलाफ़ अधिकार, धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार, संस्कृति एवं शिक्षा का अधिकार, संवैधानिक अधिकार। अतः यह मायने नहीं रखता है कि कोई व्यक्ति एचआईवी से प्रभावित है या नहीं। यह मौलिक अधिकार सभी को प्राप्त है। हमें उनके अधिकारों का सम्मान करते हुए उन्हें भी वही मान-सम्मान देना चाहिए, जो हम अन्य सामान्य व्यक्तियों को देते हैं। ताकि एचआईवी/एड्स प्रभावित लोग भी सामान्य जीवन जी सकें।

एड्स-लाइलाज है-बचाव ही उपचार:
जीवन-साथी के अलावा किसी अन्ये से यौन संबंध नहीं–रखें।
-यौन संपर्क के समय कण्डोम का प्रयोग करें।
-मादक औषधियों के आदी व्यक्ति के द्वारा उपयोग में ली गई सिरिंज व सुई का प्रयोग न करें।
-एड्स पीड़ित महिलाएं गर्भधारण न करें, क्योंकि उनसे पैदा होने वाले‍ शिशु को रोग होने की संभावना ज़्यादा होती है।
-रक्त की आवश्यकता होने पर अनजान व्यक्ति का रक्त न लें।
-सुरक्षित रक्त के लिए एचआईवी जांच किया रक्त ही ग्रहण करें।

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