भगवान ऐसी बेटी सभी को दें-राम आशीष शर्मा

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सीवान की बेटी कुमारी सुमन ने BPSC में स्थान बनाया.

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

घर की रौनक है बेटियां,
पिता की गर्व है बेटियां।
जी हाँ कुमारी सुमन, पिता राम आशीष शर्मा मैरवा, सीवान की बेटी ने 64वीं BPSC परीक्षा में उत्तीर्ण हो जिले का नाम रोशन किया है।
संसाधनों की कमी को अपना हथियार बनाते सुमन ने इस बुलंदी को हासिल किया है।

छह बहन और एक भाई के बीच इस बेटी ने अपनी पूरी पढ़ाई सीवान से ही पूरी की है। अपने गुरुदेव तिवारी सर को चरण स्पर्श करते हुए सुमन कहती है की उनहोंने हमेशा मेरे मनोबल को बनाये रखा। परीक्षा की तैयारी के लिए मैंने कभी सिवान से बाहर नहीं जाने का निश्चय किया और यहीं रहकर मैंने प्रारंभिक परीक्षा मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार की तैयारी की।पहली बार मैं पिताजी के साथ पटना जाकर अपना साक्षात्कार दिया,और परिणाम मेरे अनुकूल रहा। एक बार फिर मै 65 वीं परीक्षा देने जा रही हूं ताकि मैं अपना रैंक को इंप्रूव कर सकूं।

सुमन की मां ने बताया कि मेरी बेटी शुरू से ही एकाग्रचित्त होकर पढ़ा करती थी,घर में सुस्त लेकिन अपने काम में लगी रहती थी। इसके पापा का गैरेज की दुकान है,जिसमें गाड़ियां सुधार होने के लिए आती रहती हैं उन गाड़ियों के बोनट पर बैठकर ढीबरी जलाकर यह लड़की रात में पढ़ा करती थी, कभी-कभी तो यह लगता था कि पता नहीं यह क्या पढ़ रही है? लेकिन हम लोगों को लगता था कि कुछ तो पढ रही है।सुमन मैरवा से सीवान जा जाकर अपना स्नातक पूरा किया फिर तिवारी सर के संस्थान में इस परीक्षा कि तैयारी की।

सुमन के पिता बताते हैं कि बेटी की शादी पिता के लिए बहुत बड़ी बात होती है और मैंने चार लड़कियों की शादी कर दी फिर मैं इसके लिए एक दो जगह गया लेकिन मैंने देखा कि इसका पढ़ाई में मन लगता है तो फिर मैं क्यों इसे रुकावट दू। ये पहले टीईटी परीक्षा निकालकर राजकीय मध्य विद्यालय में शिक्षिका हो गई फिर अपने पैरों पर खड़ा होकर आगे की तैयारी पूरी की और जैसा की आप सभी बता रहे हैं कि उसने बिहार स्तर की परीक्षा पास की है इस उपलब्धि के लिए मैं क्या कहूं मेरे पास शब्द नहीं है।मैं भाव विभोर हो जाता हूँ और यही कहता हूं कि भगवान ऐसी बेटी सभी को दे। जो इस जमाने में भी अपने पिता का मस्तक गर्व से ऊंचा कर दिया।

ज्ञात हो कि सुमन के माता-पिता केवल अपना हस्ताक्षर कर पाते हैं बाकी उनके दूर-दूर तक के रिश्तेदारों में कोई इतनी पढ़ाई करने वाला नहीं है। ऐसे में सुमन ने अपने मनोबल से अपने मुकाम को हासिल किया है।

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