दुर्गा पूजा में सातवें दिन Kalratri Mata – कालरात्रि माता की कैसे होती है पूजा, मंत्र, स्तोत्र, कवच, आरती

 

नवरात्रि के सातवें दिन अर्थात सप्तमी तिथि को कालरात्रि माता की पूजा आराधना की जाती है. माँ कालरात्रि दुर्गा माता की सातवीं शक्ति स्वरूपा है. यही माँ पार्वती का भी रूप है.

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कालरात्रि माता को काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, मृित्यू-रुद्रानी, चामुंडा, चंडी और दुर्गा का रूप माना जाता है.

ऐसी धर्म ग्रंथो के अनुसार मान्यता है की माँ कालरात्रि समस्त नकारात्मक ऊर्जा, राक्षस,भूत, प्रेत, पिशाच आदि का नाश करतीं है. समस्त नकारात्मक शक्तियाँ माता के आगमन से पलायन कर जातीं हैं.

आइए  हम सब सम्पूर्ण श्रद्धा और भक्तिपूर्वक कालरात्रि माता की आराधना प्रारंभ करतें हैं.

 

 

 विषय 

  • Maa Kalratri Mantra – माँ कालरात्रि मंत्र

  • Kalratri Mata Prarthna Mantra – कालरात्रि माता प्रार्थना मंत्र

  • Kalratri Mata Stuti Mantra – कालरात्रि माता स्तुति मंत्र

  • Kalratri mata Dhyan Mantra – कालरात्रि माता ध्यान मंत्र

  • माँ कालरात्रि स्तोत्र – Maa Kalratri Stotra

  • Kalratri Kavach – कालरात्रि कवच

  • कालरात्रि माता की आरती

  • कालरात्रि माता से संबंद्धित कुछ धार्मिक जानकारी

    •  

Maa Kalratri Mantra – माँ कालरात्रि मंत्र

Kalratri mata

माँ कालरात्रि की आराधना के लिए यहाँ दिए गए माँ कालरात्रि मंत्र का कम-से-कम 108 बार जाप करना चाहिए.

ॐ देवी कालरात्र्यै नमः॥

Kalratri Mata Prarthna Mantra – कालरात्रि माता प्रार्थना मंत्र

अब अपने हाथों को प्रणाम की मुद्रा में जोड़कर यहाँ दिए गए कालरात्रि माता प्रार्थना मंत्र का पाठ करें और कालरात्रि माता से सर्वकल्याण के लिए ह्रदय से प्रार्थना करें.

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥

वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।
वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

Kalratri Mata Stuti Mantra – कालरात्रि माता स्तुति मंत्र

यहाँ दिए गए कालरात्रि माता स्तुति मंत्र का श्रद्धापूर्वक पाठ करें और माँ कालरात्रि की स्तुति करें.

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

Kalratri mata Dhyan Mantra – कालरात्रि माता ध्यान मंत्र

अब कालरात्रि माता का ह्रदय में ध्यान करें और यहाँ दिए गए कालरात्रि माता ध्यान मंत्र का पाठ करें. नवरात्रि में सप्तमी पूजा के दिन माँ कालरात्रि की आराधना के लिए इस ध्यान मंत्र का पाठ करना अत्यंत ही शुभ और मंगलकारी माना गया है.

करालवन्दना घोरां मुक्तकेशी चतुर्भुजाम्।
कालरात्रिम् करालिंका दिव्याम् विद्युतमाला विभूषिताम्॥

दिव्यम् लौहवज्र खड्ग वामोघोर्ध्व कराम्बुजाम्।
अभयम् वरदाम् चैव दक्षिणोध्वाघः पार्णिकाम् मम्॥

महामेघ प्रभाम् श्यामाम् तक्षा चैव गर्दभारूढ़ा।
घोरदंश कारालास्यां पीनोन्नत पयोधराम्॥

सुख पप्रसन्न वदना स्मेरान्न सरोरूहाम्।
एवम् सचियन्तयेत् कालरात्रिम् सर्वकाम् समृध्दिदाम्॥

माँ कालरात्रि स्तोत्र – Maa Kalratri Stotra

कालरात्रि माता की आराधना के लिए यह अत्यंत ही सिद्ध स्तोत्र है. नवरात्रि सप्तमी पूजा में माँ कालरात्रि की इस स्तोत्र के पाठ के माध्यम से आराधना करना अत्यंत ही मंगलकारी माना गया है. सम्पूर्ण श्रद्धा और भक्तिपूर्वक यहाँ दिए गए माँ कालरात्रि स्तोत्र का पाठ करें.

हीं कालरात्रि श्रीं कराली च क्लीं कल्याणी कलावती।
कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता॥

कामबीजजपान्दा कमबीजस्वरूपिणी।
कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी॥

क्लीं ह्रीं श्रीं मन्त्र्वर्णेन कालकण्टकघातिनी।
कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा॥

 

 

Kalratri Kavach – कालरात्रि कवच

यहाँ दिया गया माँ कालरात्रि कवच अत्यंत ही शक्तिशाली कालरात्रि कवच मंत्र है. इस कालरात्रि कवच मंत्र के नियमानुसार पाठ से माँ कालरात्रि के साधक के चारों ओर एक कवच का निर्माण हो जाता है.

किसी भी प्रकार की नकारात्मक शक्ति का प्रभाव उस साधक पर नहीं पड़ता है.

ऊँ क्लीं मे हृदयम् पातु पादौ श्रीकालरात्रि।
ललाटे सततम् पातु तुष्टग्रह निवारिणी॥

रसनाम् पातु कौमारी, भैरवी चक्षुषोर्भम।
कटौ पृष्ठे महेशानी, कर्णोशङ्करभामिनी॥

वर्जितानी तु स्थानाभि यानि च कवचेन हि।
तानि सर्वाणि मे देवीसततंपातु स्तम्भिनी॥

कालरात्रि माता की आरती

सम्पूर्ण भक्तिपूर्वक कालरात्रि माता की पूजा आराधना करने के पश्चात कालरात्रि माता की आरती अवस्य करें. साथ ही हमने यहाँ माँ दुर्गा की आरती का भी लिंक दिया हुआ है. आप उस पोस्ट को भी अवस्य देखें.

|| कालरात्रि माता की आरती ||

कालरात्रि जय जय महाकाली।
काल के मुंह से बचाने वाली॥

दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा।
महाचंडी तेरा अवतारा॥

पृथ्वी और आकाश पे सारा।
महाकाली है तेरा पसारा॥

खड्ग खप्पर रखने वाली।
दुष्टों का लहू चखने वाली॥

कलकत्ता स्थान तुम्हारा।
सब जगह देखूं तेरा नजारा॥

सभी देवता सब नर-नारी।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥

रक्तदन्ता और अन्नपूर्णा।
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥

ना कोई चिंता रहे ना बीमारी।
ना कोई गम ना संकट भारी॥

उस पर कभी कष्ट ना आवे।
महाकाली माँ जिसे बचावे॥

तू भी भक्त प्रेम से कह।
कालरात्रि माँ तेरी जय॥

कालरात्रि माता से संबंद्धित कुछ धार्मिक जानकारी

  • कालरात्रि माता माँ दुर्गा की सातवीं शक्ति स्वरूपा मानी जाती है.
  • यही माँ पार्वती का भी रूप है.
  • नवरात्रि में सप्तमी पूजा में माँ कालरात्रि की ही पूजा आराधना का विधान है.
  • कालरात्रि माता समस्त नकारात्मक शक्तियों का नाश करतीं हैं.
  • इनके नाम मात्र के स्मरण से कोई भी नकारात्मक शक्ति भय से पलायन कर जाती है.
  • माँ कालरात्रि के शरीर का रंग अत्यंत ही काला है.
  • इनके सिर के बाल बिखरे हुए हैं.
  • माता के तिन नेत्र है. इन नेत्रों से विद्युत के समान चमकीली किरणें निकलती रहतीं हैं.
  • इनके स्वांस से अग्नि की भयंकर ज्वाला निकलती रहतीं हैं.
  • माँ कालरात्रि की चार भुजा है.
  • इनका वाहन गदर्भ है.
  • माता का रूप अत्यंत ही भयंकर है.
  • परन्तु माँ अपने भक्तों के लिए अत्यंत ही दयालु और कृपालु है.
  • माता अपने भक्तों की नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करतीं हैं.
  • माँ कालरात्रि की आराधना अत्यंत ही शुभ है.
  • इस कारण से माँ कालरात्रि का एक नाम शुभंकरी भी है.
  • माँ कालरात्रि की आराधना करने से मनुष्य के ह्रदय से भय का नाश होता है.
  • आत्मबिस्वास और तेज में बृद्धि होती है.
  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनि ग्रह पर माँ कालरात्रि का प्रभाव है.
  • इस कारण से जिन लोगों को शनि ग्रह के दोष से कोई कठिनाई हो, उन्हें भक्तिपूर्वक माँ कालरात्रि की आराधना करनी चाहिए.

कालरात्रि माता की पूजा नवरात्रि में किस दिन की जाती है?

कालरात्रि माता की पूजा नवरात्रि में सप्तमी तिथि को की जाती है.

माँ कालरात्रि किस देवी का रूप मानी जाती है?

माँ कालरात्रि माँ दुर्गा की सातवीं शक्ति स्वरूपा है. यही माँ पार्वती का उग्र रूप है.

कालरात्रि माता को शुभंकरी क्यों कहा जाता है?

वैसे तो माँ कालरात्रि का रूप अत्यंत ही भयंकर और भय पैदा करने वाला है. परन्तु माँ अपने बच्चों के लिए अत्यंत ही दयालु है. इनकी पूजा करना अत्यंत ही शुभ फलदाई है. इस कारण से माँ कालरात्रि का एक नाम शुभंकरी भी है.

आज के इस प्रकाशन को हम यहीं समाप्त कर रहें हैं. आप अपने सुझाव और विचार हमें कमेंट में लिखें.

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