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  पचपतरा वनदेवी मां अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं करती है पूर्ण  - श्रीनारद मीडिया

  पचपतरा वनदेवी मां अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं करती है पूर्ण 

पचपतरा वनदेवी मां अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं करती है पूर्ण

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श्रीनारद मीडिया, मृत्‍युंजय तिवारी, गड़खा, सारण (बिहार):

सारण जिला के गड़खा प्रखंड के पचपतरा स्थित वनदेवी माता (पचपतरा माई) के मंदिर में  चैत्र नवरात्रि में इन दिनों सुबह से लेकर शाम तक भक्तों की लंबी लाइन पूजन के लिए लगी रहती है। मान्यता है कि यहां सच्चे मन से पूजा करने पर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।वैसे तो सोमवार और शुक्रवार को हमेशा श्रद्धालुओं की भीड़ होतीं हैं, परन्तु शरदीय व बासंतिक नवरात्र, दीपावली,सावन समेत पर्व-त्योहारों पर भक्तों मेला सा दृश्य रहतीं हैं। मनोरथों को पूर्ण करने हेतु मंदिर में झाड़ू देने,धोने के लिए दूर-दूर से आकर भक्त यहां रात भर रुकते हैं।भक्तों द्वारा माता से जो भी मन्नत मानी जाती है मां सभी मनोरथ पूर्ण करती है। इसलिए यहां पर सड़क जर्जर होने के बावजूद भी महिला, पुरुष,बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक पूजा करने के लिए पहुँचते हैं। सात देवी ,भैरव बाबा,माँ दुर्गा ,माँ लक्ष्मी,गणेश भगवान और बजरंगबली की प्रतिमाए काफी अद्भुत हैं।शहर और गाँव से दूर प्राकृत के गोद में बसा माँ दरबार काफी रमणीय व मन को भाने वाली हैं।यहीं कारण की यहाँ सुख,शान्ति की तलाश में छपरा,सिवान ,गोपालगंज, आरा समेत कई जिला से भक्त आतें है।एक बार मन्दिर में दर्शन व पूजन पर चित्त को बारम्बार आकर्षित करती व अपनी ओर खींचती हैं।गड़खा प्रखण्ड से 7 किमी तो छपरा जिला मुख्यालय से 10 किमी दूर सिदूर इलाके ये मन्दिरों हजारों साल पुरानी हैं व अपने में कई इतिहास को समेते हैं।पचपतरा गाँव माता के मन्दिर के अलावे एक भी घर नहीं हैं।अन्य सभी गाँव लगभग तीन किमी दूरी पर हैं।जिगना,मजलिसपुर, मीनापुर,खदहा,मीनापुर, जानकीनगर, पोहिया, कुचाह, अलोनी,सरगट्टी,भैसवरा, पहाड़पुर,फतनपुर,पिरौना,पिरारी,बरबरपुर,सर्वादिह,टहलटोला,जिल्काबाद,पिरारी और पँचभिडिया आदि गावों के बीच में चवँर में माँ के मंदिर अवस्थित हैं।पहले माँ की मन्दिर जड़ती माता के नाम से व्यख्यात थी,खुले आसमान के नीचे माँ की प्रतिमाएं थी।वर्ष 2007 में श्रीधर बाबा द्वारा मन्दिर के निर्माण कराया गया।उसके बाद सन्त श्रीधर दास जी महाराज व उनके शिष्य बालयोगी मुरारी स्वामी द्वारा पाँच बार शतचण्डी यज्ञ ग्रामीणों के सहयोग से कराई गई।बाद में पिरौना निवासी रविन्द्र कुमार सिंह उर्फ रवि सिंह द्वारा मन्दिर को भव्य रूप दिया गया।

 

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