पीएम ने दिया ‘वन व‌र्ल्ड, वन हेल्थ’ का नारा.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण को सुचारू रूप से चलाने वाले कोविन प्लेटफार्म में दुनिया के 142 देशों ने दिलचस्पी दिखाई है। प्लेटफार्म की खासियत और उसकी तकनीकी पहलुओं की जानकारी देने के लिए वर्चुअल तरीके से आयोजित पहले ग्लोबल कानक्लेव को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह दुनिया के सभी देशों के लिए उपलब्ध है और स्थानीय जरूरत के हिसाब से इसमें बदलाव भी किया जा सकता है। कोरोना के खिलाफ साझा लड़ाई की जरूरत बताते हुए उन्होंने ‘वन व‌र्ल्ड, वन हेल्थ’ का नारा दिया।

पीएम मोदी ने कहा- देश में वैक्सीन की 35 करोड़ से अधिक डोज लगाई जा चुकी हैं

कोविन प्लेटफार्म की अहमियत बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में इसकी मदद से कोरोना रोधी वैक्सीन की 35 करोड़ से अधिक डोज लगाई जा चुकी हैं और उसका पूरा रिकार्ड भी सुरक्षित है। वैक्सीन लगाने वालों के लिए डिजिटल सर्टिफिकेट भी उपलब्ध हैं और आसानी से उसका वेरीफिकेशन भी किया जा सकता है।

पीएम ने कहा- पहली और दूसरी डोज का पूरा रिकार्ड कोविन प्लेटफार्म पर

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना टीकाकरण अभियान में लाभार्थियों को दी जाने वाली पहली और दूसरी डोज का पूरा रिकार्ड रखने वाले कोविन प्लेटफार्म का ओपन सोर्स संस्करण तैयार किया जा रहा ताकि कोई भी देश इसका अपने यहां इस्तेमाल कर सकता है। यही नहीं संबंधित देश अपने यहां की स्थानीय जरूरतों के हिसाब से इसमें बदलाव भी कर सकते हैं।

400 से ज्यादा देशों के प्रतिनिधि हुए शामिल

विदेश मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) की ओर संयुक्त रूप से आयोजित ग्लोबल कानक्लेव में 142 देशों के चार सौ से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, जिनमें यूरोपीय संघ और दिल्ली स्थित संयुक्त राष्ट्र कार्यालय से आए प्रतिनिधि भी शामिल थे। बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, अफगानिस्तान और गुयाना के मंत्रियों का कहना था कि यह प्लेटफार्म उनके अपने देशों की स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं से निपटने में लाभकारी हो सकता है।

कोविन को सी-टीएपी में शामिल करने की पेशकश

कोविन प्लेटफार्म में दूसरे देशों की बढ़ती दिलचस्पी को देखते हुए भारत ने इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के कोविड टेक्नोलाजी एक्सेस पूल (सी-टीएपी) में शामिल करने की पेशकश की है। सी-टीएपी में शामिल होने से कोविन प्लेटफार्म की विश्वसनीयता काफी बढ़ जाएगी।

तकनीकी पहलुओं को समझाया

कानक्लेव में अलग से एक सत्र कोविन प्लेटफार्म की तकनीक की विस्तृत जानकारी देने के लिए रखा गया था। इसमें प्रतिनिधियों को बताया गया कि कैसे इस प्लेटफार्म को वैक्सीन की एक-एक डोज की सटीक जानकारी सुरक्षित रखने में सक्षम बनाया गया है। इस प्लेटफार्म की मदद से दुनिया के किसी भी कोने में वैक्सीन लेने वाले व्यक्ति का सत्यापन किया जा सकता है। यही नहीं, टीकाकरण के डिजिटल सर्टिफिकेट में संबंधित व्यक्ति का पासपोर्ट नंबर तक दर्ज हो सकता है और यह भी देखा जा सकता है कि संबंधित व्यक्ति ने कौन-सी वैक्सीन ली है।

प्लेटफार्म के लिए कई देश कर रहें बातचीत

एनएचए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वियतनाम, साइप्रस, क्रोएशिया, जांबिया, मालदीव, मालावी, गुयाना, सियेरा लियोन और लाओ पीडीआर ने इस प्लेटफार्म को अपने यहां कोरोना टीकाकरण अभियान में इस्तेमाल करने में दिलचस्पी दिखाई है और विदेश मंत्रालय के सहयोग से उनके साथ आगे की बातचीत चल रही है।

कोविन एप का सार्वजनिक भलाई के कामों में व्यापक उपयोग संभव

समाचार एजेंसी प्रेट्र के मुताबिक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि कोविन प्लेटफार्म का सार्वजनिक भलाई के कामों में व्यापक रूप से उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट जैसी साझा चुनौतियों से केवल साझा कार्यो और संसाधनों के माध्यम से निपटा जा सकता है।

भारत अपनी विशेषज्ञता साझा करता रहेगा

वहीं, विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कोविड-19 से निपटने के लिए भारत अपने संसाधन,अनुभव और विशेषज्ञता साझा करना जारी रखेगा। यहां तक कि महामारी के सबसे बदतर दिनों में भी भारत ने इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया कि वह एक वैश्विक समुदाय में रहता है।

स्वदेशी तकनीक कोविन प्लेटफार्म को ओपन सोर्स बनाने के लिए तैयार किया जा रहा

भारतीय सभ्यता पूरी दुनिया को एक परिवार के रूप में मानती है। इस महामारी ने कई लोगों को इस दर्शन के मूलभूत सत्य का एहसास कराया है। इसीलिए, कोविड टीकाकरण के लिए हमारे तकनीकी प्लेटफार्म-जिसे हम कोविन कहते हैं- को ओपन सोर्स बनाने के लिए तैयार किया जा रहा है.

– नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री।

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