कोरोना से एक दिन में रिकॉर्ड 6 हजार से ज्यादा मौतें!

कोरोना से एक दिन में रिकॉर्ड 6 हजार से ज्यादा मौतें!

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

देश में बुधवार को कोरोना से 6,138 मौतें दर्ज की गईं। ये एक दिन में कोरोना के कारण हुई मौतों की अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। इससे पहले 18 मई को सबसे ज्यादा 4,529 मौतें हुई थीं। बुधवार को मौतों की संख्या में अचानक हुए इस इजाफे की वजह बिहार रहा। दरअसल बिहार में 9 जून को कुल 3,951 मौतें दर्ज की गईं। जो बुधवार को हुई कुल मौतों का 64% है। एक दिन पहले देशभर में 2,222 कोरोना संक्रमितों की जान गई थी। यानी, एक दिन में मौतों की संख्या में ढाई गुना से ज्यादा का इजाफा हुआ है।

तो क्या बिहार में एक दिन में इतनी मौतें हो गईं?
नहीं, ऐसा नहीं है। दरअसल बिहार के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने 18 मई को एक कमेटी बनाई। इस कमेटी ने कोरोना से होने वाली मौत की समीक्षा की। मेडिकल कॉलेज और जिलों से हुई समीक्षा में पाया गया कि 72% मौत रिकॉर्ड में आई ही नहीं है।

बुधवार को स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने 3,951 मौतों के बारे में बताया जो अब तक रिपोर्ट ही नहीं हुई थीं। हालांकि, ये मौतें कब हुईं ये नहीं बताया गया। बिहार में पहली बार है जब राज्य सरकार ने मौतों की संख्या को दुरुस्त करने की कोशिश की है। ऐसे में हो सकता है कि इनमें से कुछ मौतें पिछले साल कोरोना की पहली लहर के दौरान हुई हों।

तो क्या अब तक सिर्फ बिहार ने कोरोना से मौतों के आंकड़े दुरुस्त किए हैं?
बिहार में भले ही आंकड़े दुरुस्त करने की कोशिश पहली बार हुई हो, लेकिन कई राज्य ऐसा लगातार करते रहते हैं। जैसे महाराष्ट्र में हर महीने के अंत में इस तरह की एक्सरसाइज की जाती है। यहां तक कि महाराष्ट्र के रोज के आंकड़ों में पिछले 48 घंटे में हुई मौतें और पिछले एक सप्ताह में हुई मौतों के अलग-अलग आंकड़े दिए जाते हैं।

इसे इन उदाहरणों से समझ सकते हैं- महाराष्ट्र में 27 मई को कुल 425 मौतें रिपोर्ट की गईं। इनमें से 267 मौतें पिछले 48 घंटों में हुई थीं, वहीं 27 मई को रिपोर्ट की गईं बाकी 158 मौतें पिछले एक सप्ताह के दौरान हुईं। यानी, मौत के कई मामले घटना के एक हफ्ते बाद भी रिपोर्ट किए जाते हैं।

इसी तरह उत्तराखंड के हरिद्वार में बाबा बर्फानी हॉस्पिटल के कोविड केयर सेंटर में हुई 65 मौतों को रिपोर्ट नहीं किया गया। कुछ दिनों बाद ये आंकड़ा अलग-अलग जिलों से रिपोर्ट हुआ, क्योंकि यहां जिन दूसरे जिलों के लोगों की मौत हुई, उसे वहां के प्रशासन ने रिपोर्ट किया।

जोड़ी गई मौतों से बिहार की स्थिति पर क्या फर्क पड़ा है?
3,951 मौतें जोड़ने के बाद बिहार में मौतों का कुल आंकड़ा 9,429 हो गया है। सबसे ज्यादा मौतों के मामले में बिहार अब तक 16वें नंबर पर था। बुधवार को जोड़ी गई मौतों के बाद ये 12वें नंबर पर आ गया है। नई मौतें जुड़ने के बाद राज्य का रिकवरी रेट भी घटा है। यहां तक की बुधवार को राज्य का डेली रिकवरी रेट माइनस में चला गया।

इन मौतों को जोड़ने के बाद बिहार की CFR यानी मृत्यु दर 0.76% से बढ़कर 1.32% हो गई है। वहीं, अगर देश के लिहाज से देखें तो देश में मृत्यु दर 1.22% से बढ़कर 1.23% हो गई है।

क्या ये प्रधानमंत्री मोदी की सही आंकड़े बताने की अपील के बाद हो रहा है?
नहीं, ऐसा नहीं है। पिछले साल 16 मई को महाराष्ट्र और दिल्ली ने मौत के पुराने आंकड़े जोड़े थे। इस तरह की एक्सरसाइज करने वाले ये पहले राज्य थे। महाराष्ट्र ने 16 मई 2020 को 1409 मौतें रिपोर्ट की थीं। इनमें से सिर्फ 81 मौतें 16 मई की थीं बाकी 1328 पुरानी मौतों को जोड़ा गया था। जो पहले रिपोर्ट नहीं हुई थीं। वहीं, दिल्ली में 16 मई 2020 को 437 मौतें रिपोर्ट हुई थीं। इनमें से 344 मौतें लेट रिपोर्ट की गई थीं।

महाराष्ट्र मई 2020 से लगातार पुरानी मौतों को जोड़ता रहा है। हर 15 से 30 दिन में पुरानी मौतों को अपडेट किया जाता है। जैसे- बुधवार को हुई 661 मौतों में से 400 मौतें ऐसी थीं जो पिछले एक हफ्ते से पहले हुईं, लेकिन रिपोर्ट नहीं की जा सकी थी। 261 बाकी मौतों में भी सिर्फ 170 मौतें पिछले 48 घंटे के दौरान हुईं। जबकि, 91 पिछले एक हफ्ते के दौरान हुई मौतें थीं। जो पहले रिपोर्ट नहीं हुईं।

बिहार में जो मौतें जोड़ी गईं वो पहले रिपोर्ट क्यों नहीं हुई?
बिहार सरकार का कहना है कि जो आंकड़े बढ़े हैं, उसमें होम आइसोलेशन और अस्पताल में जाने के दौरान रास्ते में होने वाली मौत भी शामिल हैं। जांच के बाद इस तरह के कई मामलों को जोड़ा गया है। इस वजह से बिहार में मौत के आंकड़ों में 72% की बढ़ोतरी रिकॉर्ड की गई है।

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