शिव स्तुति: आशुतोष शशाँक शेखर  चंद्र मौली चिदंबरा | ashutosh shashank shekhar chandra mauli chidambara lyrics in hindi

शिव स्तुति: आशुतोष शशाँक शेखर  चंद्र मौली चिदंबरा | ashutosh shashank shekhar chandra mauli chidambara lyrics in hindi

श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

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आशुतोष शशाँक शेखर (ashutosh shashank shekhar) भजन भगवान शिव के स्तुति के लिये गाया जाता है कहा जाता है कि भगवान शिव अपने भक्तों की प्रार्थना बहुत जल्दी सुनते हैं. इसलिये इन्हे ‘आशुतोष’ भी कहा जाता है. अत: जो भी भक्त पूरे श्रध्दाभाव से भगवान शिव की स्तुति करता है उसकी सारी मनोकामना जरुर पूर्ण होती है।

भगवान शिव त्रिदेवो (ब्रम्हा, विष्णु व महेश) मे से एक तथा हिंदू धर्म के प्रमुख देवता है। इन्हे भोलेनाथ, नटराज, आदियोगी, अर्धनारीश्वर, त्रिपुरारी, नीलकंठ, महादेव आदि नामो से जाना जाता है।

भगवान शिव के ऐसे कई नाम है जिनके अर्थ से भगवान शिव के अन्य गुणों को समझा जा सकता है जैसे अर्धनारीश्वर अर्थात आधा नारी (माता पार्वती) और आधा स्वयं भगवान शिव, और महादेव अर्थात देवों के देव से है. आइये आज हम सब इस लेख मे भगवान शिव की स्तुति (Shiv Stuti) आशुतोष शशाँक शेखर,चन्द्र मौली चिदंबराशिव (ashutosh shashank shekhar) से करते है।

आशुतोष शशाँक शेखर स्तुति | ashutosh shashank shekhar Stuti in Hindi

 

आशुतोष शशाँक शेखर, चन्द्र मौली चिदंबरा,
कोटि कोटि प्रणाम शम्भू, कोटि नमन दिगम्बरा ॥

निर्विकार ओमकार अविनाशी, तुम्ही देवाधि देव,
जगत सर्जक प्रलय करता, शिवम सत्यम सुंदरा ॥

निरंकार स्वरूप कालेश्वर, महा योगीश्वरा,
दयानिधि दानिश्वर जय, जटाधार अभयंकरा ॥

शूल पानी त्रिशूल धारी, औगड़ी बाघम्बरी,
जय महेश त्रिलोचनाय, विश्वनाथ विशम्भरा ॥

नाथ नागेश्वर हरो हर, पाप साप अभिशाप तम,
महादेव महान भोले, सदा शिव शिव संकरा ॥

जगत पति अनुरकती भक्ति, सदैव तेरे चरण हो,
क्षमा हो अपराध सब, जय जयति जगदीश्वरा ॥

जनम जीवन जगत का, संताप ताप मिटे सभी,
ओम नमः शिवाय मन, जपता रहे पञ्चाक्षरा ॥

आशुतोष शशाँक शेखर, चन्द्र मौली चिदंबरा,
कोटि कोटि प्रणाम शम्भू, कोटि नमन दिगम्बरा -3 ॥

Shiv stuti: ashutosh shashank shekhar

भगवान शिव के अन्य नाम व अर्थ- भगवान शिव को भोलेनाथ, महाकाल, नटराज, नीलकंठ, आदियोगी, अर्धनारीश्वर, त्रिपुरारी, महादेव, जटाधारी, सर्पधारी, गंगाधारी, आदि नामो से जाना जाता है।

भगवान शिव के सभी नाम या यू कहे कि शिव जी के विभिन्न रूप उनके विभिन्न प्रकार के धार्मिक और आध्यात्मिक आदर्शों को प्रकट करते हैं। जैसे भगवान शिव को आदियोगी भी कहा जाता है क्युकि भगवान शिव तपस्या, ध्यान, और साधना के प्रतीक माने जाते हैं। तथा भगवान का नटराज रूप सृष्टि, संहार और मोक्ष की प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता है।

 

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