UCC: समान नागरिक संहिता लाने का सही समय-मुख्तार अब्बास नकवी

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने शनिवार को समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर निशाना साधा। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस को “अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनने” और सांप्रदायिक राजनीति से दूर रहने को कहा।

UCC लाने का सही समय है- नकवी

इस समावेशी सुधार को लागू करने का यह सही समय है। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा कि यह कानून अभी नहीं तो कभी नहीं जैसा है और इस बात पर जोर दिया कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) सभी के लिए समानता और न्याय सुनिश्चित करेगी।

यूसीसी कानूनों के एक सामान्य समूह को संदर्भित करता है जो भारत के सभी नागरिकों पर लागू होता है और यह विवाह, तलाक, विरासत और गोद लेने सहित अन्य व्यक्तिगत मामलों से निपटने में धर्म पर आधारित नहीं है।नकवी ने आरोप लगाया कि देश का मूड समान नागरिक संहिता को “सांप्रदायिक साजिशकर्ताओं के चंगुल” से मुक्त कराना है, जिन्होंने अपने संकीर्ण विचारधारा वाले स्वार्थों के लिए इसे पिछले 7 दशकों से बंधक बना रखा है।

विपक्षी दलों की आलोचना करते हुए, भाजपा नेता ने कहा कि समान नागरिक संहिता जैसे प्रगतिशील कानून पर सांप्रदायिक राजनीति को अंतरात्मा की आवाज सुनना ही एकमात्र करारा जवाब है, जो सभी के लिए समानता और न्याय सुनिश्चित करेगा।उन्होंने कहा किUCC पर कांग्रेस के सांप्रदायिक भ्रम और विरोधाभास को नियंत्रित करने के लिए विपक्षी दलों को अपनी अंतरात्मा की आवाज सुननी चाहिए।

कांग्रेस दोहरा रही अपनी गलतियां

नकवी ने आरोप लगाया कि 1985 में कांग्रेस की एक पल की गलती देश के लिए दशकों की सजा बन गई जब पार्टी ने शाह बानो मामले में “समावेशी सुधार पर सांप्रदायिक हमले” के लिए संसद में अपनी संख्यात्मक शक्ति का “दुरुपयोग” किया। उन्होंने आरोप लगाया कि दुर्भाग्य से, सुधार करने के बजाय, कांग्रेस अपनी गलतियां दोहरा रही है।

नकवी ने दावा किया कि यहां तक कि कांग्रेस कार्यकर्ता, जन प्रतिनिधि और अन्य विपक्षी दलों के सदस्य भी UCC पर पार्टी की भ्रम, हंगामा और सहवास (confusion, commotion and cozenage) की नीति से असहमत हैं और उत्तेजित हैं।

यूसीसी पर पीएम मोदी के बयान के बाद ये अटकलें लगाई जा रही है कि आगामी मानसून सत्र में यूसीसी बिल को सरकार संसद में पेश कर सकती है। एक तरफ जहां भाजपा, शिवसेन (उद्धव) और आम आदमी पार्टी इस कानून को देशभर में लागू करने की वकलात कर रहे हैं, वहीं कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियां यूसीसी का विरोध कर रही है।

विपक्षी नेताओं ने यूसीसी का किया विरोध

शनिवार को समाचार एजेंसी पीटीआइ से बातचीत करते हुए राज्यसभा सांसद मनोज झा ने इस विषय पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, यह कोई हिंदू-मुस्लिम मुद्दा नहीं है, कई लोग इसे वैसा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।’ उन्होंने आगे कहा,वे (भाजपा) हिंदुओं में विविधता के बारे में क्या करेंगे?।

वहीं, इस मामले पर राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने भी अपनी प्रतिक्रया दी। उन्होंने कहा,”प्रधानमंत्री का यूसीसी से क्या मतलब है? उन्हें पहले यह स्पष्ट करना चाहिए कि इसका मतलब क्या है। हम अभी भी नहीं जानते वह किन मुद्दों पर एकरूपता चाहते हैं। उन्होंने आगे कहा,”जब तक कोई प्रस्ताव सामने नहीं आता, तब तक यूसीसी पर चर्चा की जरूरत नहीं है।”

इस बहस में मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा भी शामिल हो गए हैं। उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता भारत के वास्तविक विचार के विपरीत है। भारत एक विविधतापूर्ण देश है और विविधता ही हमारी ताकत है। एक राजनीतिक दल के रूप में, हमें एहसास है कि पूरे पूर्वोत्तर में अनूठी संस्कृति है और हम चाहेंगे कि वह बनी रहे।

UCC क्या है?

Uniform Civil Code सभी धर्मों के लोगों के लिए व्यक्तिगत कानूनों को एक समान संहिता रखने का विचार है। व्यक्तिगत कानून में विरासत, विवाह, तलाक, चाइल्ड कस्टडी और गुजारा भत्ता जैसे कई पहलू शामिल हैं। हालांकि, वर्तमान में भारत के व्यक्तिगत कानून काफी जटिल और विविध हैं, प्रत्येक धर्म अपने विशिष्ट नियमों का पालन करता है।

भारतीय संविधान में UCC का प्रावधान

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 के मुताबिक, ‘राज्य भारत के पूरे क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करने का प्रयास करेगा।’ यानी संविधान सरकार को सभी समुदायों को उन मामलों पर एक साथ लाने का निर्देश दे रहा है, जो वर्तमान में उनसे संबंधित व्यक्तिगत कानूनों द्वारा शासित हैं। हालांकि, यह राज्य की नीति का एक निर्देशक सिद्धांत है, जिसका अर्थ है कि यह लागू करने योग्य नहीं है।

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