कुछ नेताओं ने क्यों ढूंढ़ा बिहार से बाहर का ठिकाना?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार के कुछ नेताओं को जब चुनावों में हार का सामना करना पड़ा, तो उनमें से कई ने बिहार से बाहर राजनीतिक जमीन ही तलाश की. कई तो दूसरे प्रदेशों से वापस अपने राज्य में लौटकर सियासी वजूद कायम किया. वर्तमान में शत्रुघ्न सिन्हा, कीर्ति आजाद, मनोज तिवारी, संजय निरूपम, देवेशचंद्र ठाकुर व मीरा कुमार जैसे नेता इस लिस्ट में शामिल हैं. मशहूर फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा को पटना साहिब से भाजपा ने 2019 में टिकट नहीं दिया. वे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े. उनको हार का सामना करना पड़ा.

सियासी वनवास काट रहे बिहारी बाबू ने बंगाल का रुख किया. भाजपा सांसद व केंद्र में मंत्री रहे बाबुल सुप्रियो ने आसनसोल से सांसद व मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. उनके इस्तीफे से खाली हुई सीट पर शत्रुघ्न सिन्हा को ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने आसनसोल से उपचुनाव में उतारा. उनकी जीत भी हुई. इस फेहरिस्त में 1983 वर्ल्ड कप टीम के सदस्य रहे कीर्ति आजाद का नाम भी शामिल है.

2014 के लोकसभा चुनाव में कीर्ति आजाद भाजपा के टिकट पर दरभंगा से चुनाव लड़े और जीते भी. 2015 में पार्टी ने उन्हें सस्पेंड कर दिया. 2019 में वे कांग्रेस में शामिल हो गये. पार्टी ने झारखंड के धनबाद लोकसभा सीट से उन्हें प्रत्याशी बनाया. उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और टीमएसी ज्वाइन कर लिया. टीएमसी ने उन्हें इस बार बर्द्धमान दुर्गापुर से प्रत्याशी बनाया है.

मनोज तिवारी गये दिल्ली, संजय निरूपम मुंबई

भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने कैमूर जिले के अतरवलिया गांव से दिल्ली तक का सफर तय किया. पहले समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़े, पर सफलता नहीं मिली. भाजपा ने उन्हें उत्तरी-पूर्वी दिल्ली से टिकट दिया. वे चुनाव जीतने में सफल रहे. मनोज तिवारी की बक्सर से चुनाव लड़ने की इच्छा होने की भी खबरें आती रहती हैं. बिहार के औंरंगाबाद के संजय निरूपम ने मुंबई में शिवसेना व कांग्रेस के साथ राजनीतिक पारियां खेलीं. राज्यसभा और लोकसभा दोनों का प्रतिनिधित्व किया.

महाराष्ट्र से लौटे देवेशचंद्र ठाकुर

सीतामढ़ी से जदयू प्रत्याशी देवेशचंद्र ठाकुर पुणे विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति में सक्रिय रहे. उन्होंने इस विश्वविद्यालय से छात्र संघ का चुनाव भी लड़ा. महाराष्ट्र युवा कांग्रेस के उपाध्यक्ष भी चुने गये. 2002 से वे तिरहुत स्नातक स्तरीय निर्वाचन क्षेत्र से एमएलसी चुने जा रहे हैं. नीतीश सरकार में वे मंत्री भी बनाये गये. वर्तमान में वे बिहार विधान परिषद के अध्यक्ष भी हैं.

बिजनौर से पहली बार सांसद बनीं मीरा कुमार

कांग्रेस नेत्री मीरा कुमार 1985 में यूपी की बिजनौर लोकसभा सीट से पहली बार सांसद चुनी गयीं. उन्होंने कड़े मुकाबले में रामविलास पासवान को मात दी थी. यहीं से उनका राजनीतिक सफर शुरू हुआ. फिर मीरा कुमार बिहार की राजनीति में लौटीं. सासाराम सीट से दो बार जीत दर्ज की. 2004 में केंद्र में मंत्री बनीं. 2014 में लोकसभा की अध्यक्ष चुनी गई.

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