मोकामा की तरह यहाँ केवल घृणा ही नहीं है,बाकी सब है

मोकामा की तरह यहाँ केवल घृणा ही नहीं है,बाकी सब है  

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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गोपालगंज का कुचायकोट विधानसभा क्षेत्र, कुचायकोट मार्केट। पाँच बार से लगातार जीत रहे बाहुबली विधायक अमरेन्द्र पाण्डेय का काफिला आ रहा है। सैकड़ों गाड़ियां, हजारों लोग… जिन्दाबाद के ओजस्वी नारे, लहराते झंडे, उल्लसित समर्थक… चुनाव में बस चार दिन हैं, आप समर्थकों के तेवर का अंदाजा लगा ही सकते हैं। अचानक सामने से जन सुराज के प्रत्याशी विजय चौबे का काफिला दिख जाता है। उधर से भी सैकड़ों गाड़ियां, लोग, गाजे बाजे, झंडा, शोर…

चार दिन पहले मोकामा में दो दलों के समर्थकों की झड़प और उसके बाद हुई हत्या की नकारात्मक खबर सबको पता है। भय तो होगा ही… बाजार वालों को भी, समर्थकों को भी…

जन सुराज के प्रत्याशी विजय चौबे पुर्व आईएस हैं, दो बार विधायक रहे स्वर्गीय बच्चा चौबे के पुत्र हैं। पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। वे आयु में भी अमरेन्द्र पाण्डेय से बड़े हैं। पर आज के समय में अमरेन्द्र पाण्डेय का कद बड़ा है। पांच बार से एक तरफा जीतने वाले नेता हैं वे, बहुत बड़ा पर्सनल जनाधार भी है… बाहुबली तो हैं ही…

जन सुराज का काफिला रुक गया है। वे लोग चाहते हैं कि अमरेन्द्र पाण्डेय का काफिला निकल जाय तो वे भी आगे बढ़ें… हालांकि नारे दोनों ओर से लग रहे हैं। अमरेन्द्र पाण्डेय की गाड़ी आगे बढ़ रही है, वे विजय चौबे के पास आते जा रहे हैं। विजय चौबे सहज भाव से दूसरी ओर मुंह कर लेते हैं। वे ठीक ही कर रहे हैं…

अमरेन्द्र पाण्डेय की गाड़ी विजय चौबे की गाड़ी के बगल में पहुँचती है। दोनों की आंखें मिल रही हैं, और अचानक अमरेन्द्र पाण्डेय झुक जाते हैं। कमर तक झुक कर प्रणाम करते हैं चौबे जी को… तनाव में दिख रहे चौबे जी की भंगिमा बदली है, वे मुस्कुरा उठे हैं। आयु में छोटे व्यक्ति ने प्रणाम किया है, आशीर्वाद कैसे न दें? वे हाथ मिलाने के लिए हाथ बढ़ाते हैं… अमरेन्द्र पाण्डेय हाथ बढ़ाते हुए और झुक गए हैं… राजनीति का क्या है, वह तो होनी ही है… लड़ेंगे, हार-जीत होती रहेगी, मर्यादा बनी रहनी चाहिये…

कुछ पल दोनों एक दूसरे को मुस्कुराते हुए देखते हैं। इशारों में ही हाल चाल लेते हैं और फिर आगे बढ़ जाते हैं… नारे कुछ पल के लिए रुक गए हैं। देखने वालों को एक अलग तरह का सन्तोष मिला है, समर्थकों के चेहरों पर पसरा उन्माद कुछ देर के लिए उतर गया है। एक सुकून दिख रहा है… यह बिहार है।

बिहार केवल मोकामा नहीं है। यहाँ की तस्वीरों में केवल घृणा ही नहीं है। सारे रंग हैं यहाँ पर… सद्भाव के, सम्मान के, शालीनता के… गङ्गा और सदानीरा के पावन जल से पली मिट्टी है यह, माता सीता का आंगन है। यह दिनकर, रेणु और बेनीपुरी की धरती है। सकारात्मकता समाप्त तो नहीं हो सकती न…

हमारी बात करिए तो हमारी अच्छाइयों पर भी बात कीजिये। अपनी कमियों से तो जूझ ही रहे हैं हम सब… बात करिए, कि लोकतंत्र का यह सौम्य स्वरूप जिन्दाबाद रहे। वोट तो जिसे देना है, दिया ही जायेगा।

आभार- सर्वेश तिवारी श्रीमुख, गोपालगंज, बिहार

 

 

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